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vishal holker
बुद्धि का विकास मानव अस्तिव का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। सभी देशवासियो को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी की130 वी जयंती की हारदिक शुभकामनाएँ। ©vishal holker #Ambedkar_Jayanti समस्त देशवासियो को भीमराव अंबेडकर जयंती की हारदिक शुभकामनाएँ
Parul Sharma
विचार ऐसा क्यों............. दुष्ट लोगों में एक खासियत होती है कि वो जितने दुष्ट होते हैं उतने ही ढीट भी होते हैं । उन पर किसी की सज्जनता, सभ्यता, उदारता, दयालुता, क्षमा, सहनशीलता, आदी का कोई असर नहीं होता। वो पत्थर दिल और चिकने घड़े के समान होते हैं। न तो कुछ दिल को कुछ भी छू पाता है और ना ही दिल पर कुछ बनता हैं।पर दिमाग विचित्र और विलक्षण होता है। जो उन्हें उनके उटपटांग कार्यों को बरकरार रखने को प्रेरित करता रहता है।और उन्हें महानता का अनुभव कराता रहता है।और उन्हें अपने द्वारा किया गया हर कार्य ईश्वरीय कार्य लगने लगता और अंत में एक ऐसी स्थिति आती है कि वो खुद को भी ईश्वर से कम नहीं समझते या ये कहो कि ईश्वर ही समझने लगते है। इस दौरान उनके द्वारा किये गये गलत कार्य को रोकने,टोकने,व समझाने वाला कोई भी व्यक्ति उसे अपना दुश्मन लगने लगता है। और वह दुष्ट इंसान उस कार्य को बड़ी ढीटता से निरंतर दोहर्ता है। दुष्ट इंसान का आशय यह है कि उसे किसी ने रोका तो रोका कैसे। तब टोकने वाला या समझने वाला इस दुविधा में फंस जाता है कि उसने उसे रोक कर कहीं गलती तो नहीं सर दी। पर दुष्ट इंसान पर कोई असर नही पड़ता बल्की उसका मनोबल और बड़ जाता है। और निरंतर बड़ता जाता है वह अपने कृत्य की ओर अग्रसर रहते हुए खुद को भीमकाय व अन्य को तुच्छ समझने लगता है। पारुल शर्मा #कुछ_लोग_ऐसे_भी विचार ऐसा क्यों............. दुष्ट लोगों में एक खासियत होती है कि वो जितने दुष्ट होते हैं उतने ही ढीट भी होते हैं । उ
JALAJ KUMAR RATHOUR
आज मैं जिनकी वजह से स्वतंत्र हो बोल पा रहा हूँ ।उसकी प्रमुख वजह मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे ब्रिटिश सम्राज्य के सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं व अंतिम संतान भिवा है। जिसने बचपन में क्लास चौथी टॉप करने के बाद अपने दादा से पुरुस्कार स्वरूप भगवान बुद्ध की जीवनी को प्राप्त किया और उसे पढकर उस समय फैली छुआछूत को मिटाने का संकल्प लिया।बचपं की शिक्षा पूर्ण कर भिवा ने मुंबई विश्वविद्यालय से बी ए और कोलंबिया से डॉ के उपाधि प्राप्त की और डॉ. भीम राव राम जी आंबेडकर बन कर भारत वापस लौटे। बचपन में बुद्ध की जीवनी थामने वाला भिवा बड़ा होकर संविधान निर्माता बाबा साहेब के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बाबा साहेब विधिवेत्ता,अर्थशास्त्री,राजनीतिज्ञ,शिक्षाविद्,दार्शनिक,लेखक,पत्रकार,समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्,धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर थे। भारत रत्न बाबा साहेब ने दलितों और शोषितों के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्यौछावर कर दिया ।14 अक्टूबर 1956 को भीमराव अंबेडकर ने अपने 5 लाख समर्थको के साथ में बुद्ध धर्म अपना लिया।इसके बाद उन्होंने बोधिसत्व की उपाधि ग्रहण की , इसी साल 6 दिसम्बर 1956 को भारत का यह रत्न पंचतत्व मे विलीन हो गया। अंबेडकर जी का उद्देश्य था भेदभाव मिटाना परंतु और उन्हे पता था की शिक्षा के बिना ये संभव नही। उन्होंने शिक्षा को हथियार बनाने के लियेे कहा पर कुछ फ़ायदा उठाने वालों ने अपने समाज से ही गद्दारी कर फिर से भोले लोगो को अशिक्षा की और ढकेल दिया। आज भी शिक्षा से दूर दलित समाज एक और भीम की आस में है जो शिक्षा के महत्व को समझाए और जो घृणा नही अपनाना सिखाये। मैं भारत का नागरिक अपने इस महान पूर्वज को नमन करता हूँ। जय हिंद जय भारत ..... #जलज राठौर #Ambedkar_Jayanti आज मैं जिनकी वजह से बोल पा रहा हूँ ।उसकी प्रमुख वजह मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे ब्रिटिश सम्राज्य के सू
JALAJ KUMAR RATHOUR
आज मैं जिनकी वजह से बोल पा रहा हूँ ।उसकी प्रमुख वजह मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे ब्रिटिश सम्राज्य के सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं व अंतिम संतान भिवा है। जिसने बचपन में क्लास चौथी टॉप करने के बाद अपने दादा से पुरुस्कार स्वरूप भगवान बुद्ध की जीवनी को प्राप्त किया और उसे पढकर उस समय फैली छुआछूत को मिटाने का संकल्प लिया।बचपंन की शिक्षा पूर्ण कर भिवा ने मुंबई विश्वविद्यालय से बी ए और कोलंबिया से डॉ के उपाधि प्राप्त की और डॉ. भीम राव राम जी आंबेडकर बन कर भारत वापस लौटे। बचपन में बुद्ध की जीवनी थामने वाला भिवा बड़ा होकर संविधान निर्माता बाबा साहेब के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बाबा साहेब विधिवेत्ता,अर्थशास्त्री,राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्,दार्शनिक,लेखक,पत्रकार,समाजशास्त्री,मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्,धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर थे। भारत रत्न बाबा साहेब ने दलितों और शोषितों के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्यौछावर कर दिया ।14 अक्टूबर 1956 को भीमराव अंबेडकर जी ने अपने 5 लाख समर्थको के साथ में बुद्ध धर्म अपना लिया।इसके बाद उन्होंने बोधिसत्व की उपाधि ग्रहण की , अंबेडकर जी का उद्देश्य था भेदभाव मिटाना परंतु और उन्हे पता था की शिक्षा के बिना ये संभव नही। उन्होंने शिक्षा को हथियार बनाने के लियेे कहा पर कुछ फ़ायदा उठाने वालों ने अपने समाज से ही गद्दारी कर फिर से भोले लोगो को अशिक्षा की और ढकेल दिया। आज भी शिक्षा से दूर दलित समाज एक और भीम की आस में है जो शिक्षा के महत्व को समझाए और जो घृणा नही अपनाना सिखाये। मैं भारत का नागरिक अपने इस महान पूर्वज को नमन करता हूँ। 6 दिसम्बर 1956 को भारत का यह रत्न पंचतत्व मे विलीन हो गया। जय हिंद जय भारत ..... #जलज राठौर #Hum_bhartiya_hain आज मैं जिनकी वजह से बोल पा रहा हूँ ।उसकी प्रमुख वजह मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे ब्रिटिश सम्राज्य के सू
Amit Kumar
चलेगा_सिक्का_मेरा जब_पूरी_दुनिया को_हिला_दूंगा.. हाय_हैलो_बोलने वालो को.. जय भीम बोलना_सीखा_दूंगा..
JJ SIR NOSAR BUDDHISM
जागो भीम सैनिको सभी साथियों को मेरा दिल से क्रांतिकारी जय भीम
दिल का राजा
पैदा ना होता वो मसीहा तो खुशियों का सिलसिला ना होता, बे रंग रहती ये जमी.. आसमान का रंग नीला नहीं होता, भारत तो कब का कंगाल हो जाता मेरे यारो.. अगर भीमराव बाबा जैसा हीरा मिला नहीं होता !! ©दिल का राजा जय भीम भीम