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PФФJД ЦDΞSHI
White हर बार different करो.... लेखक हो कलाकार हो, reels बनाते हो,एक जैसा देख कर पढ़ कर लोग bore होते हैं, इस्लिये कहा,जिनको पसंद नहीं करते उन्हें like मत करो सही देखो सही करो, जो गलत हैं उनको देख कर like कर बढ़ावा मत दो, इंटरनेट से गन्दगी साफ करनी हैं तो कला दिखाओ जिस्म नहीं, ये गन्दी reels बनाने वाली लड़कियों औरतो पर comment हैं पुरुष भी non veg types reels बनाते हैं और लड़कियां बन उनका मजाक उडाते हैं कैसे पुरष हो यार,, clean aap clean dirty things in mind ✌🏻 ©PФФJД ЦDΞSHI #Reels #लेखक #कलाकार
Sita Prasad
White लेेखन सौन्दर्य जब भी लिखी दास्तान दिल की कलम ने मेरा बखूबी साथ निभाया किसी ने कहा' वाह क्या बात है! ' किसी को मेरा नज़रिया न भाया हैं दिल की बातें भी अजीब इस दरिया में बस कुछ ही हैं नहाते हर एक को दृश्य सुन्दर हैं भाते बिरला ही कोई मनमोहक दिल हैं पाते स्वांग न रचना न बातें बनाना सीधी सी बात है दिल से दिल है मिलाना न अपना चातुर्य किसी को बार- बार दिखाना निर्मल हृदय पूर्ण सामने वाले की बात है समझना तुम कलिमल रहित मुझे अपनाना न मैं तुम्हे परखकर दोस्ती निभाऊँ मेरा तो बस काम ही है लिखना पाठक व दोस्त के घायल मन को सहलाना।। सीता प्रसाद ©Sita Prasad #flowers #कविता #लेखक #लेखन
Sandip rohilla
White मां मुझको कितना सुकून मिलता है। तेरे आंचल में आने से। सबकुछ सुलझा सा लगता है। तेरी गोद में सो जाने से। सब से ज्यादा तू खुश थी मां। मेरे दुनिया में आने से। मां धूप छाया का खेल नहीं है। मां दो शब्दों का मेल नहीं है। रब की मां से तुलना मत कर। मां से रब का मेल नहीं है। किरणों का उजागर है मां। बिहारी जी की गागर है मां। हम सब बहते पानी से है। इस पृथ्वी का सागर है मां। Happy mother's day ©Sandip rohilla #mothers_day Sherni mannu nagar प्रभाकर अजय शिवा सेन Parijat P Mirza raj
Amit Bharti Shrivastav
मां काली का रूप कालारात्रि या कालिका के रूप में जाना जाता है, जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक हैं। उन्हें धूम्र वर्ण, शूल, खड्ग, और दाहिने हाथ में शिर जैसे वस्त्रों के साथ दिखाया जाता है। उनके दर्शन साधकों को भय के बंधनों से मुक्ति और उनकी शक्ति को प्राप्त करने की प्रेरणा देते हैं ©Amit Bharti Shrivastav #navratri Shilpa yadav Anshu writer प्रभाकर अजय शिवा सेन sana naaz Ganesha•~•
Gurudeen Verma
शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखक
Aakash Meshram
Vishnu Hallu
तुम्हें पता नही तुमसे एकतरफा इश्क करने का गुनाह की है, अपने दिल के हाथों मजबूर हो के तुमसे इश्क सरेराह की है। लोग समझते हैं मुझे तन्हाई में अकेले मुस्कुराते हुए देख के मैं तेरे इश्क की दीवाना अपनी जिंदगी तेरे लिए तबाह की है। ©Vishnu Hallu #विष्णु #snowpark