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manoj kumar jha"Manu"
दीपो नाशयते ध्वांतं धनारोग्ये प्रयच्छति । कल्याणाय भवति एव दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥ दीपक अंधकार का नाश करता है और आरोग्य तथा धन देता है, सबका कल्याण करने वाले दीपक को मेरा प्रणाम। (दीप मन्त्र) दीपावली पर्व शुभ हो
Narendar yadav
दीपावली आ रही है दुश्मन बच के रहना नहीं तो पटाखे के साथ आपको भी फोड़ा जाएगा ©Huli Guli गु #MoonShayari दीपावली पावन पर्व
manoj kumar jha"Manu"
सकलं तिमिरं हन्तु प्रज्ञालोकं तनोतु वः। भूयाद्दीपोत्सवः सो ऽयं सर्वमङ्गलकारकः।। झिलमिलाते दीपों की रोशनी से प्रकाशित ये दीपावली आपके घर में सुख, समृद्धि तथा मां लक्ष्मी का आशीर्वाद ले कर आए। आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं....!! शुभ दीपावली....! दीपावली पर्व शुभ हो।
pankaj sharan
सहारण परिवार की और से दीपावली की घणी -घणी राम -राम सा ©pankaj sharan दीपावली के पर्व #diwali2020
Ganesh Din Pal
दीपावली की पूर्व संध्या पर सभी मित्रों को अग्रिम बधाई। ©Ganesh Din Pal # प्रकाश पर्व दीपावली 🪔
Narendra
दीपो के पर्व दीपावली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ©Narendra #Dhanteras दीपो के पर्व दीपावली
Ek villain
दीपावली 1 लोग परिवार है फिर भी यह केवल भाग्य अधिकार को ही नहीं बल्कि भीतरी अंधकार को मिटाने का पर्व भी बने हम भीतर में धर्म का दीप जलाकर मोह के अंधकार को दूर कर सकते हैं दीपावली पर हम साफ सफाई कर घर को सवार निकालने का प्रयास करते हैं उसी प्रकार यदि चेतना के अंग में जमे कर्म के कचरे को साफ किया जाए तो संयम से सहेजा संवारा जाए सकता है उसमें आत्मा रूपी दीपक की अखंडता ज्योति की प्रज्वलित किए जाए तो मनुष्य शाश्वत सुख शांति और आनंद को प्राप्त कर सकता है जहां धर्म का सूर्य उदित हो गया है वहां का अंधकार टिक नहीं सकता एक बार अंधकार में ब्रह्मा जी ने शिकायत की कि सूरज मेरा पीछा करता है वह मुझे मिटा देना चाहता है ब्रह्मा जी ने इस बारे में सूरज को बोला तो सूरज ने कहा मैं अलका को जानता तक नहीं मिटाने की बात तो दूर आप पहले से उसे मेरे सामने उपस्थित करते हैं ©Ek villain #Diwali दीपावली एक लोक पर्व है
CK JOHNY
वर्षों बीत गए अंधेरे में मुद्दतें हुईं खुद से मुलाकात हुए। चमके आफताब कई रौशन कई कायनात हुए। तुम्हारे बिन मेरे दिल में था उदासियों का अंधेरा जन्म जन्म से अपने तो यही हालत हुए। रौशन हों हर उम्मीदों के चिराग घर में तुम्हारे मेरे जिहन में तो कई बुझे हुए कई सवालात हुए। मेरी खुशियों को भी कर दे खुदा नजर तुम पर तुम्हारे हर गम मेरे लिए इक-इक सौगात हुए। दीवाली यूँ तो हर साल आती थी ए दोस्त इस बरस क्यों रौशन हसरतों के चिराग हुए। सुलगी हुई आग सीने में जलन तो करती है रौशन हों राहे-यार की हमेशा अपने तो यही जजबात हुए। मेरे ही मुक्कदर में न थीं मिलन की घड़ियाँ टूटे हुए पते, मुर्झाये गुल, उजड़े हुए बाग हुए। वर्षों बीत गए अंधेरे में मुद्दतें हुईं खुद से मुलाकात हुए। चमके आफताब कई रौशन कई कायनात हुए। बी डी शर्मा(साहिल) चण्डीगढ़ 13.10.1995 दीपावली के मंगल पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ
sk
दीपावली के मंगल पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं