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CK JOHNY
जिस्म काल का बंधुआ मजदूर आत्मा गिरवी रख मन फरार कहीं दूर। आनंद का नंदन दुख की नगरी में ठोकरें खाने को देखो कैसा मजबूर। कोई मन को पकड़ के लाओ जल्दी से कर्मों का कर्ज चुकाओ। नाम की पूँजी ले सतगुरू से भजन सिमरन से फिर इसे बढ़ाओ। आत्मा को आजाद करने का है यही दस्तूर। जिस्म काल का बंधुआ मजदूर आत्मा गिरवी रख मन फरार कहीं दूर। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ बंधुआ मजदूर
Susheel Thakur
नया वाहन अधिनियम, जनता और पुलिस... नए वाहन अधिनियम के आते ही पुलिस और लोगों के मध्य खराब रिश्तों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं। सरकार के इस फैसले से कुछ लोगों काफी खफा नजर आ रहे हैं। कोई पुलिस वाला अगर कानून तोड़े तो भीड़ अति आक्रमकता दिखा रही है। ठीक इसी तरह जब पुलिस चालान काट रही है तो नौकरशाह उनकी बिजली और पानी के कनेक्शन काट रहे हैं। इस फैसले से जुर्माने की रकम कई गुना बढ़ गई है, जिसके चलते लोग सरकार को सड़कों की खस्ता हालत पर घेर रहे हैं। दुनिया के कई देशों में वाहन अधिनियम इससे भी सख्त हैं और ड्राइविंग लाइसेंस बनाना तो बहुत ही कठिन है। बहुत से लोग कई तरह की अव्यवस्थाओं का हवाला देकर सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं किन्तु यह भी सत्य है कि यह जनहित के लिए ही बनाया गया है। कई मौकों पर पुलिस की दादागिरी भी देखने को मिलती है, वहीं कई लोगों का मानना है कि इस अधिनियम से पुलिस का भ्रष्टाचार बढ़ेगा। शायद सरकारों ने जल्दी में ही इस फैसले को लागू कर दिया है। प्रशासन, पुलिस और जनता के मध्य सम्बाद स्थापित करने के प्रयास किये जाने चाहिए तभी वास्तविक लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। नया वाहन अधिनियम
santosh bhatt sonu
घरों से दूर यूं त्योहार मनाना, मजबूरी ही तो है। बस नाम बड़ा है प्रदेश की नौकरी का असल में मजदूरी ही तो है। मजदूरी
दूध नाथ वरुण
हम बंदे मजदूर हैं लोगों, हमे मजदूरी में शर्म नही। मजदूरी है काम हमारा, इससे बड़ा कोई कर्म नहीं।। ©दूध नाथ वरुण #मजदूरी
Vikas samastipuri
हूं मैं मजदूर मजदूरी हमारी पेशा है मंत्री जी की क्या बात करे उनका न लेखा न जोखा है । कवि-विगेश ©Kavi Kumar Vigesh मजदूरी #Labourday
संतोष सिंह
पिता नहीं चाहता बोझ देना.......... मजदूर की मजबूरी है, दो पैसे घर की जरूरी है। पिता नहीं चाहता बोझ देना, इसलिए घर - स्कूल की दूरी है। न कोई दिल की दूरी है, गरीब है, ख्वाहिशें पूरी है। पिता नहीं चाहता बोझ देना, उसकी सफ़र - ए - ज़िन्दगी अधूरी है। जीनत घर में जरूरी है, मानता हूं, तालीम की दूरी है। पिता नहीं चाहता बोझ देना, मजदूरी ही उसके घर धुरी है बेटा, पिता के पायजामा की डोरी है, बेटा, मां के हाथों की चूड़ी है। पिता नहीं चाहता बोझ देना, ये उसके घर की मजबूरी है। बाल मजदूरी भी चोरी है, मगर दुनिया कहां छोड़ी है। पिता नहीं चाहता बोझ देना, सरकार भी इसपर मुंह मोड़ी है। ....... संतोष सिंह #मजदूरी #बाल_मजदूरी
shabdokapitara
। मज़दूर। घर का एक कमाने वाला, भर दिन बोझ उठता है, परिवार का पेट भर कर, कभी खुद भूखा सो जाता है।। पैदल लौटता हर रोज़ अपने घर, लेकिन दूसरों की गाड़ी चलाता है, चप्पल इसके घिसे पांव के, पर हाथ की लकीर बनाता है।। पढ़ाई भले ना की इसने, लेकिन समय पर घंटी बजाता है, छुट्टी होते ही विद्यायल की, बच्चो का प्यार पता है।। बड़े - बड़े दफ्तरों के बाहर, अपना शीश झुकाता है, दरवाज़े का दरबारी बनकर, रोटी ये कमाता है।। जिस काम से हम घबराते, वो शौक से कर जाता है, दो वक्त के पैसे पाकर, वो मजदूर कहलाता है।। #shabdokapitara मजदूरी #InspireThroughWriting