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सुकुमार
मोड़, गलियां और सपाट-सीधे रास्ते आयें जितनें भी जिन्दगी में, मैं हर कदम पर तुम्हारे अपनीं एक नज्म छोड़ जाऊंगा। तुम्हें हो मुश्किल जरा भी जब अपनें चुनें रास्तों पर, तुम वहीं से एक नज्म उठाना और उसी के सहारे चले आना। इन्तज़ार मेरा है ठीक वैसा राम का कर रही थी शबरी जैसा!!❣ सुकुमार.....✒ सपाट
Heart Winner
10-10 लड़कियों को संभालने वाले बॉयफ्रेंड एवं 10-10 लड़कों को संभालने वाली गर्लफ्रेंड को एड्स दिवस की विशेष शुभकामनाएं 😀😀😀😀 सुरक्षा धारण करें सुरक्षित रहने के लिए 😀😀😀😀 ©Heart Winner जोक्स सपाट #WorldAidsDay
Heart Winner
आज एड्स दिवस के दिन हम सभी संकल्प लें की सावधानी, सतर्कता और सुरक्षा नामक कवच को सदा ही साथ लेकर चलेंगे। 😀😀😀 वरना एड्स दिवस की शुभकामनाएं भी आपको नहीं बचा पाएगी 😀😀😀😀😀😀 ©Heart Winner जोक्स सपाट #WorldAidsDay
Mr. Deg
आज की सपाट लाइन हमेशा मुस्कुराते रहिए 😄😄 कभी अपने लिए ... कभी अपनो के लिए...🤗🤗😍😍 ©Mr. Deg #Iqbal&Sehmat सपाट लाइन्स😄
DR. LAVKESH GANDHI
सड़क सीधी सपाट सड़कों पर चलती टेढ़ी-मेढ़ी जिंदगियांँ सफर कब आसान होता है अपनी जिंदगी का आजकल बधाएंँ आती ही रहती हैं मार्ग में मगर एक पथिक रुकता ही है कब ©DR. LAVKESH GANDHI #sadak # # सीधी सपाट सड़कों पर#
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी ढलती उम्रो की,दर्द भरी कहानी है सुनी आखों में झलकता अब पानी है तन्हाइयों में लिखी गयी कहानी है खपा दी जिस परिवार के लिये जबानी उनसे मिली है सजा हमे काला पानी है दोष हमारा है,परिवर्तन में बह गये संस्कारो की बगिया में विष की बेल बो गये संगत जमाने की कर बहकावे में बहक गये ,अंग अंग मेरा जकड़ा है भूख की आग में पेट सपाट दिखता है परछाईयों में ही प्रतिविम्ब झलकता है मुरझाये चेहरों पर अब पतझड़ झरता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #saath भूख की आग में पेट सपाट दिखता है #nojotohindi
Gumnaam
She:- बातो के अलावा कुछ और भी आता है??? Me :- आता है न!! चाय बन लेता हुं!!! She:- चाय!!!! बनानी आती है? Me :- हां!!! पानी गरम कर लेता हु She :- अरे!!! चाय, पानी नही!!! Me: - हां!!! मैं भी वही बोल रहा । Palag ladki🤣 हम दुनिया को बनाते है हमसे चाय बनावा रही👹 जोक सपाट 😝 फिर नही बना 😑 #yqdidi #joke
priyapal006
मैं तो नास्तिक हूं, तो फिर...किस दुआ का असर हो तुम! अगर मैं क़िस्मत को मानती तो कहती,स्याह किस्मत की सपाट हथेलियों पर अचानक से उभर आने वाली लकीर हो तुम! नास्तिक ना होती तो वो मन्नत बताती जो जन
पूजा निषाद
प्रेमिकाएं इस लिए भी ज्यादा नहीं रोतीं ! __________________________ ➳ क्रोध में कोई तो गंध होता है; सीधा-सपाट सत्य अक्षुण्ण होता है। लज्जा जाती हैं आँखें बिगडे स्वर पर, फिर कोप का लावा कुछ कम होता है । आत्मसात् करती हैं प्रेमिकाएं कुदरत का हर गुण ठगे जाने पर मील का पत्थर कर लेती हैं अपना मन सुनामी की दक्षता जैसे किसी तट की मोहताज नहीं होती ! प्रेमिकाएं इस लिए भी ज्यादा नहीं रोतीं ! प्रेमिकाएं इस लिए भी ज्यादा नहीं रोतीं ! __________________________ ➳ क्रोध में कोई तो गंध होता है; सीधा-सपाट सत्य अक्षुण्ण होता है।