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Lalit Saxena
Unsplash मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं तारीफ़ तो मेरे बेवफ़ा हालातों की है जो मुझे लिखने के लिए हर पल, हर लम्हा बेताब करते है।।।।। गर ये लम्हे ये हालात ये अफसाने ना होते ..............तो क्या मैं लिखता? कोई कवि, शायर, गजलकार, या फनकार कलम कही पड़ी होती किसी कोने में और कागज़ हवा में उड़ रहे होते कैसा लगता....ख्वाबों में गोते लगाना डूब कर अंधेरों में कही दफ़न हो गए होते। मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं!!! ©Lalit Saxena #Book दिल से
#Book दिल से
read moreParasram Arora
Unsplash अपराध बोध से ग्रसित है ये. स्वछंद हवाएं बिना बताये चुपके चुपके आकर मेरी सांसे चुरा कर किसी और को बेच देती है और कही और से किसी और क़ी साँसे चुरा कर मुझे दे जाती है ©Parasram Arora अपराध बोधसे ग्रसित
अपराध बोधसे ग्रसित
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी कानूनों से हाथ बाँधकर अराजक व्यवस्था पनपी है मनमाना रवैया सरकारों का जनता के अरमानों की हदे तोड़ी है अपराध जगत सियासतों के हाथों में जब चाहे तब दंगो और बलबा करके रोटियाँ राजनीतिक सेकी है दूषित चरित्र राजनेताओं के हो तो कैसे सभ्य समाज बन सकता है अपराधबोध जिसे ना हो अपनी करनी का वो देश समाज का किया भला कर सकता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #love_shayari अपराध बोध ना हो जिसे अपनी करनी का
#love_shayari अपराध बोध ना हो जिसे अपनी करनी का
read moreपूर्वार्थ
White बैठी हैं क्यों दर्द लिए; आतीत-सा मन को शान्त किये । जो बीते पल माहुर से थे; आज क्यों उनके जाम पिए। भविष्य सुनहरा राह देखता; तेरे हर पल आने की, हौसले से तोड़ बेड़ियाँ जख्म भरे अल्फाजों की देख आसमाँ भर ऊँची उड़ाने; आगे बढ़ तू इसी बहाने , दर्द मिटा तू ख्व़ाब गढ़ ; भूल न उसे ; जो कहता तू आगे बढ़। जीवन समर में कुछ ऐसे उतर ; शत्रु हो जाए छितर - बितर।। मौत भी घबराए तुझ तक आने के लिए , तू बन जा एक मिसाल इस जमाने के लिए।। ©पूर्वार्थ #जख्म से जीता
#जख्म से जीता
read moreहिमांशु Kulshreshtha
मेरी कविता के दर्पण में, जो कुछ है, महज़ तेरी परछाई है एक कोने में नाम मेरा, लफ्ज़ लफ्ज़ में तू छाई है तू पढ़ती है मेरी कविता, मैं तेरा मुखड़ा पढ़ता हूँ… देख झील सी आँखे तेरी मैं अल्फाजों से तुझ को गढ़ता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha अल्फाजों से..
अल्फाजों से..
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