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Kanha Yaduvanshi
आग लगाने वालो को कहाँ इसकी खबर हैं, रुख हवाओ का बदला तो खाक वो भी होंगे आग लगाने वालो को कहाँ इसकी खबर हैं,
Parasram Arora
जहां जहां मौत है.. जीवन वहां नहीं है जहां जहां परिवर्तन है शाश्वत वहा नहीं है जहाँ जहाँ क्षणभंगुरता है सनातन वहां नहीं है जहां जहां इंद्रधनुष है वहां हाथ कुछ आना नहीं है जहां जहां जागरण है वहां सत्य को पा लेना कठिन नहीं है तुम यात्रा मे हो या गंतव्य तुम्हारा यात्रा मे है चल रहे हो या रुके हुए इसकी खबर नहीं है ©Parasram Arora #इसकी खबर नहीं है
Rishika ishita【 Dil ki bat】
बहुत खूबसूरत हो तुम........ और इसकी खबर तुम्हारी आँखे दे रही हैं........ ©Rishika ishita【 Dil ki bat】 बहुत खूबसूरत हो तुम........ और इसकी खबर तुम्हारी आँखे दे रही हैं........ 【❤️✍️Rishika ishita Dil ki bat】
Dr Manju Juneja
आ, ये जो पल है ,इसी पल में, खुशी से जी ले क्या खबर ? अगले पल में क्या हो ,कल हम हो या ना हो । ©Dr Manju Juneja live tha momentइसी पल में जो भी खुशी के पल मिलते हैं उन्हें जी ले। लोग कल की इंतज़ार में रहते छोटे छोटे खुशी के जो पल होते हैं उनमें जीना भूल
Kavya Goswami
मैने तो अपने हालात पर अस्क बहाये ऐ मेरे दोस्त, तुझे किस बात ने रुलाये है आज मै अपनी खामोश ज़िन्दगी से उदास हूँ तू बता तुझे किस बात की फिकर है कहना तो मै भी नही चाहती, मगर... तुमसे कुछ छुपा लू, ये मुमकिन भी नही मेरी हर धड़कन के पारखी हो तुम कब क्या दिल मे है तुम्हे इसकी खबर है हाँ मेरे 'मन' तुमसे कोई परदा तो नही कैसे कह दूँ, तुम्हारे बिना मै पूरी हूँ पर अपनी परेशानियों मे तुम्हे शरीक करू ये तो ज़रूरी नही।। मैने तो अपने हालात पर अस्क बहाये ऐ मेरे दोस्त, तुझे किस बात ने रुलाये है आज मै अपनी खामोश ज़िन्दगी से उदास हूँ तू बता तुझे किस बात की फिकर ह
MANJEET SINGH THAKRAL
कल दिनांक 23/05/2020 को #BJP कार्यालय में लॉकडाउन का खुला उल्लंघन हुआ, भाजपा में शामिल होने कांग्रेस के 200 कार्यकर्ता रायसेन से भोपाल पहुंच
रोली रस्तोगी | ~a_girl_inkings_her_emotions
.................. ©रोली रस्तोगी | ~a_girl_inkings_her_emotions Date of ✍️ 28 Feb 😘🐨💕💙🧿♾️ सुनो मैं मुस्कुराना पूरी तरह से भूल चुकी थी, दु:ख में डूबी मैं जीवन जीने के सही मायने भूल गई थी, किसी से कुछ भी ज़
रजनीश "स्वच्छंद"
बस मेघ उमड़ते हैं।। ज़ुल्फ़ों को कहा था बादल, अब बारिश को तरसते हैं। दिल की बंजर ही रही धरती, उमड़ बस मेघ गरजते हैं। मुझको पता कब था, थी कब इसकी खबर दिल को, शमा तो जलती रही, परवाने ही जल दर्द समझते हैं। उन बिन आज हुए तन्हा, कलम से दर्द बयां कर दें, काली इस स्याही में, छुपा ग़म हम अपना बहलते हैं। अब तक जो छुपाये थे, इस दुनिया की निगाहों से, वो दर्द पिघल कर अब, बूदों में गालों से सरकते हैं। आहट वो पायल की, खनक फिर चूड़ी जगाती थी, पिघल चूड़ी के शीशे, गरम इन कानों में टपकते हैं। कहें लोग मुझे जोगी, फिरे जोगन को छुपा दिल मे, फिर आवारा हुए से हम, उन्ही गलियों में भटकते हैं। अरमां भी आज दफन से हैं, अपना भी न रहा कोई, जो कल गांव बुलाते थे, वही अब हाथ झटकते हैं। ©रजनीश "स्वछंद" बस मेघ उमड़ते हैं।। ज़ुल्फ़ों को कहा था बादल, अब बारिश को तरसते हैं। दिल की बंजर ही रही धरती, उमड़ बस मेघ गरजते हैं। मुझको पता कब था, थी कब इस
Ankit Mayank
"सालों बाद मिले हो कहीं भूल तो नहीं गए" "नहीं तो" अब उसे क्या बताये आज भी दुआ में पहला नाम उसका ही आता है... (👇Caption 👇) कितने सालो के बाद, आज आई है वो नज़र, सालों पुराना फ़साना, आँखों के सामने से गया गुज़र। टूट कर चाहा था जिसे, ना थी उसको मेरी कदर, ना जाने मेरे
Sundar Dafaali
आज फिर उन सबका गुस्सा तर गया, जब उनके हाथों एक पाक मर गया! वो झुण्ड भेड़ों का था, जो न्याय करने बैठ गया, तू अकेला क्या उखाड़ेगा, खबरदार जो तू ऐंठ गया!! हाथ जोड़े, पाँव पड़े, और लाख चिल्लाया, पर हजारों में से बचाने कोई नहीं आया! सड़क पर खड़ा हर शख्स जब तमाशबीन हो गया, 'ऊपर वालों' का है तमाशा, मुझको यकीन हो गया! 'देशद्रोह' का न्याय करने वाले लोग वो देशभक्त थे, भीड़ उनकी सेना थी, झूठ फरेब उनके शस्त्र थे उन पचासों का उस रोज़, सिर्फ एक ही शिकार था, खबर कुछ यूँ थी कि उसका कर्म एक पाप था झूठी थी या सच्ची थी किसको इसकी खबर थी? सबके अंदर दौड़ रही बस देशभक्ति की लहर थी! शरीर के हर हिस्से को नोंच खाने के इरादे से आए थे चाकू, लाठी, बंदूक, तलवार सरेआम सब लाए थे! खून से लपटा हुआ, सड़क पर पड़ा हुआ, उसका परिवार अब लाचार हुआ पर वो शरीर उधेड़ने वाला, वो आँख नोचने वाला, हर कोई ही फरार हुआ जाँच के आदेश गए, जब खबरें उछली अखबारों में, पर किसको पता, किसे बंद करना है बंद दीवारों में! जाँच कमेटी के मध्य में बैठा हुआ बादशाह था, जिसने घोषित कर दिया कि ये एक हादसा था! नादान हत्यारों को फिर नेताजी माला पहनाने आए और मरने वालों को बचने के कुछ उपाय भी बताए, मेरे अंदर के डर ने मुझको मुझमें दबोच लिया, ये मेरे साथ नहीं होगा, कैसे मेंने सोच लिया! कानून के रक्षक बने फिरते, देशभक्त सबकी पहचान है, न समझें जब से दीवाली है देश में, तब से ही रमजान है! सोच रहा था कि किस्सा ये गुजर गया, अगले दिन खबर आई, एक पाक और मर गया!... आज फिर उन सबका गुस्सा तर गया, जब उनके हाथों एक पाक मर गया! वो झुण्ड भेड़ों का था, जो न्याय करने बैठ गया, तू अकेला क्या उखाड़ेगा, खबरदार जो