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Naushad bin Sharif
डर इसे कहते हैं ©Naushad bin Sharif दर किसे कहते हैं जब लोग तुमसे डरे और सारी दुनिया के लोग एक हो जाएं
दर किसे कहते हैं जब लोग तुमसे डरे और सारी दुनिया के लोग एक हो जाएं
read more- Arun Aarya
इस ग़लती को ग़लती नहीं कहते , बेवफाई को ज़िंदगी नहीं कहते ! मैंने जीवन के आड़ पे मौत माँगी है ,, अफ़सोस की इसे खुदखुशी नहीं कहते..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #ManKeUjaale #खुदखुशी नहीं कहते
#ManKeUjaale #खुदखुशी नहीं कहते
read moreIndian Kanoon In Hindi
न्यायपालिका की विशेषताएँ :- * स्वतंत्र न्यायपालिका :- भारत एक प्रजातंत्रात्मक देश है. प्रजातंत्रात्मक देश में स्वतंत्र न्यायपालिका का होना आवश्यक है. भारत की न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया स्वतंत्र है. यह जरुर है कि न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा की जाती है पर एक बार निर्वाचित होने के बाद न्यायाधीश बिना महाभियोग लगाए अपने पद से हटाये नहीं जा सकते. उनके कार्यकाल में उनका वेतन भी कम नहीं किया जा सकता और इस प्रकार वे व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया मुक्त रहते हैं * संगठित न्यायपालिका :- भारत की न्यायपालिका अत्यंत सुगठित है. ऊपर से लेकर नीचे तक के न्यायलाय एक दूसरे से पूर्णतया सम्बंधित हैं. अमेरिका में न्यायपालिका के दो पृथक अंग हैं अर्थात् वहाँ न्यायालयों की दोहरी व्यवस्था के दर्शन होते हैं. अमेरिका में संघीय कानून लागू करने के लिए संघीय न्यायालय होते हैं और राज्यों के कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों के अलग न्यायालय होते हैं और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायलाय भी होते हैं. संघीय न्यायालयों में चोटी पर एक सर्वोच्च न्यायालय होता है और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायालय भी होते हैं. * दो प्रकार के न्यायालय :- भारतीय न्याय-व्यवस्था की एक अन्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्न प्रकार के न्यायालयों के अलग-अलग दर्शन नहीं होते. यहाँ प्रमुख रूप से दो प्रकार के न्यायालय हैं – दीवानी और फौजदारी इसके अतिरिक्त भूमि-कर से सम्बंधित मामलों के लिए रेवेन्यू कोर्ट्स की व्यवस्था अवश्य ही अलग की गई है. पर कुछ अन्य देशों की तरह भारत में विशिष्ट न्यायालयों; जैसे सैनिक, तलाक, वसीयत से सम्बंधित न्यायालयों आदि का अभाव है. * न्यायपालिका की सर्वोच्चता :- भारत में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सभी का अपना अलग-अलग महत्त्व है परन्तु कुछ क्षेत्रों में न्यायपालिका अन्य दो की अपेक्षा विशिष्ट महत्त्व रखता है. भारत में संविधान को ही सर्वोपरि माना गया है. संविधान के उल्लंघन का अधिकार किसी को भी नहीं है. यहाँ की न्यायपालिका ही संविधान की संरक्षक है. न्यायालय व्यवस्थापिका द्वारा पारित किए गए किसी भी क़ानून को संविधान विरोधी कहकर अवैध कर सकते हैं. इस प्रकार व्यवस्थापिका और कार्यपालिका न्यायपालिका की इच्छा के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं कर सकती ©Indian Kanoon In Hindi न्यायपालिका की विशेषताएँ :-
न्यायपालिका की विशेषताएँ :-
read moreRadhe Radhe
बहुत खाश हो मेरे लिए पर तुम कहते क्यो नही माना कृष्ण राधा से विदह लेगी फिर भी तुम कहते क्यू नही जय श्री राधे ©Radhe Radhe कहते क्यू नही
कहते क्यू नही
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न्यायपालिका की विशेषताएँ :- * स्वतंत्र न्यायपालिका :- भारत एक प्रजातंत्रात्मक देश है. प्रजातंत्रात्मक देश में स्वतंत्र न्यायपालिका का होना आवश्यक है. भारत की न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया स्वतंत्र है. यह जरुर है कि न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा की जाती है पर एक बार निर्वाचित होने के बाद न्यायाधीश बिना महाभियोग लगाए अपने पद से हटाये नहीं जा सकते. उनके कार्यकाल में उनका वेतन भी कम नहीं किया जा सकता और इस प्रकार वे व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया मुक्त रहते हैं * संगठित न्यायपालिका :- भारत की न्यायपालिका अत्यंत सुगठित है. ऊपर से लेकर नीचे तक के न्यायलाय एक दूसरे से पूर्णतया सम्बंधित हैं. अमेरिका में न्यायपालिका के दो पृथक अंग हैं अर्थात् वहाँ न्यायालयों की दोहरी व्यवस्था के दर्शन होते हैं. अमेरिका में संघीय कानून लागू करने के लिए संघीय न्यायालय होते हैं और राज्यों के कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों के अलग न्यायालय होते हैं और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायलाय भी होते हैं. संघीय न्यायालयों में चोटी पर एक सर्वोच्च न्यायालय होता है और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायालय भी होते हैं. * दो प्रकार के न्यायालय :- भारतीय न्याय-व्यवस्था की एक अन्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्न प्रकार के न्यायालयों के अलग-अलग दर्शन नहीं होते. यहाँ प्रमुख रूप से दो प्रकार के न्यायालय हैं – दीवानी और फौजदारी इसके अतिरिक्त भूमि-कर से सम्बंधित मामलों के लिए रेवेन्यू कोर्ट्स की व्यवस्था अवश्य ही अलग की गई है. पर कुछ अन्य देशों की तरह भारत में विशिष्ट न्यायालयों; जैसे सैनिक, तलाक, वसीयत से सम्बंधित न्यायालयों आदि का अभाव है. * न्यायपालिका की सर्वोच्चता :- भारत में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सभी का अपना अलग-अलग महत्त्व है परन्तु कुछ क्षेत्रों में न्यायपालिका अन्य दो की अपेक्षा विशिष्ट महत्त्व रखता है. भारत में संविधान को ही सर्वोपरि माना गया है. संविधान के उल्लंघन का अधिकार किसी को भी नहीं है. यहाँ की न्यायपालिका ही संविधान की संरक्षक है. न्यायालय व्यवस्थापिका द्वारा पारित किए गए किसी भी क़ानून को संविधान विरोधी कहकर अवैध कर सकते हैं. इस प्रकार व्यवस्थापिका और कार्यपालिका न्यायपालिका की इच्छा के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं कर सकती ©Indian Kanoon In Hindi न्यायपालिका की विशेषताएँ :-
न्यायपालिका की विशेषताएँ :-
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White जो जहां हैं, रास्ता निकालें , बंद मुट्ठी से सिक्का उछालें, जम नहीं पाता है, ये और बात है, सिक्का तो सिक्का है, इक्का -दुक्का निकालें, और उछाल दें गगन की ओर हवा में, शायद चित भी अपनी हो, पट भी अपनी हो, सिक्का जमने न पाए, जम जाए कुछ रंग, किस्मत जिसको कहते हैं, आजमाएं नुस्खा कहके। जो जहां हैं, रास्ता निकालें। ©BANDHETIYA OFFICIAL #sad_qoute #किस्मत इस को कहते हैं। मोटिवेशनल कविता इन हिंदी
#sad_qoute #किस्मत इस को कहते हैं। मोटिवेशनल कविता इन हिंदी
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी से दिल लगें, उसको मोहब्बत नहीं कहते, मोहब्बत उसको कहते हैं, जिसके बगैर कभी भी दिल न लगे।। ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी से दिल लगें, उसको मोहब्बत नहीं कहते, मोहब्बत उसको कहते हैं, जिसके बगैर कभी भी दिल न लगे।।
#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी से दिल लगें, उसको मोहब्बत नहीं कहते, मोहब्बत उसको कहते हैं, जिसके बगैर कभी भी दिल न लगे।।
read moreHira Tech
White जो लोग कहते हैं ना समय आने दे तुम्हें देख लेंगे अरे भाई समय तो सबके लिए बराबर चलता है यह डायलॉग बोलना बंद करो ©Hira Tech #जो लोग कहते हैं कि समय आने de तुम्हें देख लेंगे उनके लिए
#जो लोग कहते हैं कि समय आने de तुम्हें देख लेंगे उनके लिए
read moreVinod Mishra