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Shailendra Shainee Official
चांद तब चोर हो, न तन पे एक डोर हो। सांसे जोर जोर और धड़कनों का सोर हो। दृश्य वो बिहंग हो, नैन स्वयं बंद हो, प्रेमी दो निहंग जब, अंग संघ अंग हो। राग रति गाती हुई राति चली जाती हो। जब एक पहर बाकी तब प्रित गहराती हो। जन्मों से पियासी तब स्वयं को बुझाती हो। काम पे सवार तब रति भाती भाती हो। ©शैलेन्द्र शैनी #आज सखी साथ हो 3
Shailendra Shainee Official
हसी मंद मंद हो, उंगलियों में जंग हों। कोमल सखी अंग में, वस्त्र तनिक तंग हों। प्रेम राग गाने लगे, अंग अंग आग लगे। प्रथम स्पर्श जब बिजलियों की भाती लगे। सांसों से जो सांस लड़े, रोम रोम जाग पड़े। सखी बदन छू के जब हाथ कपकपाने लगे। गाएं मन मल्हार हो, कजरी की गुहार हो। पवन पर सवार तब, तेज बौछार हो। ©शैलेन्द्र शैनी # आज सखी साथ हो 2
Shailendra Shainee Official
कितनी हसी रात हो, आज सखी साथ हो। उम्मीदों की बारात लिए, पहली मुलाकात हो। कश्मकश की रात हो, लब्जो में ना बात हो। प्रेमी दोनो आप से, व्यर्थ ही लज़ात हो। वो प्रित भरी रात हो, प्रियतम के जो साथ हो। प्रित का बिहार अब, आज सारी रात हो। प्रेम रस पान हो, इस रात न बिहान हो। सखी अंग अंग से, सौंदर्य का बखान हो। ©शैलेन्द्र शैनी # आज सखी साथ हो -1
pooja verma
बहुत बोलती हो तुम पूरा दिन बस... बक बक जैसे-जैसे उम्र बड़ती गई समझ बढ़ती गई अब बढ़ती हुई समझ जीवन को मौन करती जा रही है चुप रहना सिखा रही है। ©pooja verma बहुत बोलती हो तुम #silence
रश्मि सचिन पाठक
तेरे नाम का व्रत पूरी हो जाए तेरी हर मनोकामना| हर मुश्किल से करूँ मैं सामना|| करने को हूँ तैयार मैं हर त्याग| दुआ हैं सलामत रहे मेरा सुहाग|| रश्मि आर्य पूरी हो तेरी हर कामना .....
Shailendra Shainee Official
दोनो इस जहा न हो प्रित की सीमा न हो। लगे इस पल के सिवा, उम्र अब बचा न हो। रति क्रीड़ा खेद हो, तनों का विच्छेद हो। प्रित के आखेट का, समझे सारा भेद हो। कितनी हसी रात हो, आज सखी साथ हो। जीवन के अध्याय का, आज नया पाठ हो। कितनी हसी रात हो, आज सखी साथ हो... ©शैलेन्द्र शैनी # आज सखी साथ हो 4 #poetry #प्रेम
सुसि ग़ाफ़िल
सुनो एक पत्र सखी को " मैं सखी बिन सती हो गया " २२/०९/२१ सुनो एक पत्र सखी को " मैं सखी बिन सती हो गया " २२/०९/२१
Vishal Chavan
सखी.. हिरव्यागार देठावर, लालभडक जास्वंद डोलते... जे जे सुंदर त्या सगळ्यातून, सखी माझ्याशी बोलते.... काठोकाठ प्रेमरस आणि अनुपम अनुराग, माझी सखी म्हणजे, जणू स्वर्गातली बाग... झाड वेली फुल पानांवर, जीव जडतो तिचा.. माझी सखी प्रेमग्रंथातील, सर्वोत्तम ऋचा... Vishaal/Aadinaath 12-07-21 . ©Vishal Chavan #सखी