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Anjali Jain
जब बचपन में मुझे ढ़ेर सारी पत्रिकाएं पढ़ने को मिलती थी, तब लगती थी असली आजादी! जब पिताजी ने ,दादी और ताऊजी के मना करते रहने पर भी मेरी पढ़ाई नहीं रुकने दी थी, तब लगी असली आजादी! जब मेरे पिता ने मनपसन्द जीवन-साथी चुनने की मेरी इच्छा को नहीं दबाया था, तब लगी थी असली आजादी! हर निर्णय लेते समय, जब मेरी सहमति भी ली जाती थी, तब लगती थी असली आजादी! मैंने हर दफ़े मिलने वाली आजादी का अच्छे से उपयोग किया, तब हुई असली आजादी! मेरे पिता को कभी मुझ पर पछतावा नहीं हुआ, तब लगी थी असली आजादी! मैंने ख़ुद को मिली आज़ादी को अपनी बेटी तक पहुँचाया, तब हुई असली आजादी! मेरी बेटी पर मुझे नाज है,ये है मेरी असली आजादी!! #असली आजादी#18.08.20 #flyhigh
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी जिंदगी घुटन से कम नही रही बोझ से दबी जिंदगी रही आँखों मे चुभती दो रँगी जिंदगी मिली जज्बातों में दबी सौगाते मिली खुली सांसे लेने में जकड़ी जिंदगी मिली जब जब सम्हाला अपने को कैद में जिंदगी मिली चैन की जिंदगी गुजारने में उम्रों की तंग हाली मिली लगता है मरने के बाद ही सकून की जिंदगी मिले तोड़े झूठे रिश्तो की रस्म तब ही आजादी की असली सुबह मिले प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" आजादी की असली सुबह मिले #Freedom
ajay jain अविराम
स्वदेशी अपनाओ विदेशी की गुलामी से निजात पाओ भारत को खूब लुटा है इंडिया बनाकर शर्म करो अब तो भारतीय होकर देश के काम आओ।। वंदेमातरम अविराम स्वदेशी अपनाओ
सुशील राय "शिवा"
नचनियों पर आई आंच टिकटॉक बंद हुआ, अब कैसे होगा नंगा नाच ? उनपर छाया भारी संकट, जीवन कैसा लेगा आकार ? जो दरबा से निकलते ही खुद को समझते थे कलाकार, कुछ बने थे अर्थशास्त्री तो कोई समझे सलाहकार, कोई बीबी के हाथों मार खाता अब उजड़ा उनका घर संसार. युकैम से कलुटे भी गोरे चिट्टे बन जाते, वीमेट पर वीडिओ डालकर खूब भौकाल झाड़ते, अब आएगी उनकी अक्ल ठिकाने, जो उसी के साथ लगे थे वक्त बिताने. अरे अब तो संभल जाओ इन चक्करों से बाहर निकलो, परिजनों संग प्रीत जगाओ अपनी संस्कृति को जानो असली ज्ञान को बढ़ाओ, चाइना को छोड़ देशी अपनाओ. -सुशील राय "शिवा" देशी अपनाओ
अर्पिता
"सतर्कता अपनाओ" जब हम हर बात को दूसरों को देखकर सीखते आये हैं, समझदार बनते आये है, तो अब वही समझदारी दिखाने का वक्त हैं, देख तो रहें ही हो, क्या क्या हो रहा दुनिया में, ज़रा समझों ,ज़रा सा संभलो, सतर्कता अपनाओ, जब खुद पर बीतेगी,तब देख लेंगे, ऐसे घटिया विचारों से बाहर निकलो, अब तो खुद भुगतने का वक़्त भी नहीं हैं कि, अभी भी वक़्त है,सम्भल जाओ, लोगों का तो क्या है, उन्हें तो एक गिलास चाय या शरबत और थोड़ी बातें करनी होती हैं, और ऐसी प्रकृति के लोग तो कभी नही बदलेंगे, वो तो जैसे आपके साथ है, वैसे ही दूसरों के साथ भी हैं, उनके लिए तो आज आप है, तो कल कोई और होगा, लेकिन अपने परिवार को भी दिमाग मे रखों, जिनके लिए कोई और कभी नहीं होगा, सम्भल जाओ, ये अच्छाई तो बाद में भी होती रहेगी, पहले खुद पर ध्यान दो, लापरवाही छोड़ दो,थोड़ी समझदारी दिखाओ, सतर्कता अपनाओ।। ©अर्पिता #सतर्कता अपनाओ