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facto ak47
Shiv pratap
हर एक मुस्कुराहट मुस्कान नहीं होती.. हर एक मासूम लड़की नादान नहीं होती.. दिल तोड़ने वाली जोड़ने वाली होती है एक जैसी.. इन लड़कियों की कोई पहचान नहीं होती ll #$. P. ✍️ 😋🤭🤫 हर एक मुस्कुराहट मुस्कान नहीं होती.. हर एक मासूम लड़की नादान नहीं होती.. दिल तोड़ने वाली जोड़ने वाली होती है एक जैसी.. इन लड़कियों की कोई
Lokendra vishwakarma
Soulmate (Yuhee)
फिक्र न कर, एक दूसरे को संभाल लेगें यूँही ❤— % & नमस्कार लेखकों🌸 आज वैलेंटाइन्स के सुंदर अवसर पर हम #rzdearcharacters में लेकर आये हैं #rzप्रियप्यार। प्यार केवल एक शब्द या रिश्तों के बीच
Om Thakur
आओ तुम्हें आज शायरी सुनाता हूँ इक लड़की की खुबसुरती का बात सुनाता हूँ... प्यारे प्यारे नैन हैं उसके कोयल के आवाज के जैसी प्यारी मुस्कान हैं उसके... रेशमी जुल्फें है उसके हवा के झोकों में खिलते चेहरे है उसके... आंखों में चमकते ख्वाब है उसके टूटे ख्वाब को जोड़ने वाली अदा है उसके. ©Om Thakur आओ तुम्हें आज शायरी सुनाता हूँ इक लड़की की खुबसुरती का बात सुनाता हूँ... प्यारे प्यारे नैन हैं उसके कोयल के आवाज के जैसी प्यारी मुस्कान हैं
KHATOLA MUSIC
👉 मृत्यु से जीवन का अंत नहीं होता जैसे हम फटे-पुराने या सड़े-गले कपड़ों को छोड़ देते हैं और नए कपड़े धारण करते हैं, वैसे ही पुराने शरीरों को बदलते और नयों को धारण करते रहते हैं। जैसे कपड़ों के उलट फेर का शरीर पर कुछ प्रभाव नहीं पड़ता, वैसे ही शरीरों की उलट-पलट का आत्मा पर असर नहीं होता। जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो भी वस्तुत: उसका नाश नहीं होता। मृत्यु कोई ऐसी वस्तु नहीं, जिसके कारण हमें रोने या डरने की आवश्यकता पड़े। शरीर के लिए रोना वृथा है, क्योंकि वह निर्जीव पदार्थों का बना हुआ है, मरने के बाद भी वह ज्यों का त्यों पड़ा रहता है। कोई चाहे तो मसालों में लपेट कर मुद्द तों तक अपने पास रखे रह सकता है, पर सभी जानते हैं कि देह जड़ है। संबंध तो उस आत्मा से होता है जो शरीर छोड़ देने के बाद भी जीवित रहती है। फिर जो जीवित है, मौजूद है, उसके लिए रोने और शोक करने से क्या प्रयोजन? दो जीवनों को जोड़ने वाली ग्रंथि को मृत्यु कहते हैं। वह एक वाहन है जिस पर चढ़कर आत्माएँ इधर से उधर, आती-जाती रहती हैं। जिन्हें हम प्यार करते हैं, वे मृत्यु द्वारा हमसे छीने नहीं जा सकते। वे अदृश्य बन जाते हैं, तो भी उनकी आत्मा में कोई अंतर नहीं आता। हम न दूसरों को मरा हुआ मानें, न अपनी मृत्यु से डरें, क्योंकि मरना एक विश्राम मात्र है, उसे अंत नहीं कहा जा सकता। ✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य 📖 अखण्ड ज्योति-मार्च 1948 पृष्ठ 1 http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1948/March/v1.1 ©KHATOLA MUSIC 👉 मृत्यु से जीवन का अंत नहीं होता जैसे हम फटे-पुराने या सड़े-गले कपड़ों को छोड़ देते हैं और नए कपड़े धारण करते हैं, वैसे ही पुराने शरीरों को
JALAJ KUMAR RATHOUR
यार कॉमरेड, वक्त कितनी जल्दी बीतता है, हैं ना।आज जब हमारी फेसबुक फ्रेंडशिप की मेमोरी का नोटिफिकेशन आया तो पुराने दिन याद आ गए।मुझे आज भी याद है जब तुमने, प्रोफाइल फोटो न लगाने की शर्त पर पहली बार मुझसे अपनी फेसबुक आईडी बनवाई थी।मैंने जब तुमसे कहा था कि लो अपना पासवर्ड डाल लो।उस वक्त तुम्हारा जबाब "इतना विश्वास है तुम पर " आज भी मुझे तुम्हारे करीब लाकर खड़ा कर देता है।अब जब उस पुरानी आईडी पर लास्ट सीन हमारी आखिरी मुलाकात वाली साल का देखता हूं तो ऐसा लगता है जैसे,वो सिर्फ एक फेसबुक आईडी नहीं बल्कि हमें जोड़ने वाली कोई डोर थी।आजकल तुम्हारी तस्वीर लगी नई आईडी जब भी एड फ्रेंड का ऑप्शन दिखाती है तो ऐसा लगता है कि ये मार्कजुकरबर्ग की कोई साजिश हैं मुझे सताने के लिए।वैसे मैं अब तुम्हारी तस्वीर को जूम करके नहीं देखता।क्युकी तुम्हारी आंखों में काजल की जगह नमीं मुझे बैचैन कर देती है।हमारी स्कूल वाली ग्रुप फोटो में जब भी तुम्हारे साथ मेरा नाम देखता हूं तो ऐसा लगता है जैसे हमारे नामों के बीच किसी ने रेडक्लिफ रेखा खींच दी हो।मैं हमारे नामों के बीच सदैव नेपाल और भारत सी सरहद चाहता था।जहां कोई रोक टोक ना हो और दोनो का अस्तित्व भी बरकरार रहे।वैसे इंसान जिसे प्रेम करता है उसे उस इंसान के बदलने का उतना अफसोस नहीं होता जितना उसे, उस इंसान के पता बदल लेने से होता है।क्युकी फिर भेजे गए माफी पत्र और जुड़ाव के आग्रह लापता हो जाते हैं।..#जलज कुमार ©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड, वक्त कितनी जल्दी बीतता है, हैं ना।आज जब हमारी फेसबुक फ्रेंडशिप की मेमोरी का नोटिफिकेशन आया तो पुराने दिन याद आ गए।मुझे आज भी याद
JALAJ KUMAR RATHOUR
हिंदी मेरी पहचान है, हिंदी दिवस बचपन में मेरी तुतलाती जुबान से निकलने वाली भाषा थी हिंदी, मेरे पहले शब्द पर जब मां के आंसू निकले थे उसकी भाषा थी हिंदी, मेरे हर लफ्ज़ को शब्दों में पिरोने वाली भाषा थी हिंदी , मुझे मेरा नाम देने वाली भाषा थी हिंदी, लोगो से मेरी पहचान कराने वाली भाषा थी हिंदी, जिसके साए में मैंने अपना जीवन जिया वो भाषा है हिंदी, जिसके सहारे मैंने इश्क़ ए इजहार किया वो भाषा है हिंदी, मेरे प्रेम पत्रो का अलंकार है हिंदी, भाषाओं के इस भंवर जाल में, मेरे लिए एक सुकून भरा रविवार है हिंदी, जिसके सहारे मैंने कविताएं और शायरियां लिखी वो भाषा है हिंदी मेरा एक तरफा प्यार है हिंदी, जिसके नाम पर मेरे देश का नाम है वो भाषा है हिंदी मेरे लिए किसी के लवो की लाली है हिंदी , किसी के कानों की बाली है हिंदी , प्रेमचंद्र की कलम है हिंदी , लोगो को जोड़ने वाली है हिंदी, छोटे, बड़े और भेदभाव से परे है हिंदी, धर्मो का आधार है हिंदी, पड़ोसी का व्यवहार है हिंदी, बचपन का संस्कार है हिंदी, अनपढ़ से ज्ञानी बनाने वाली है हिंदी, अब तो एक कहानी बनने वाली है हिंदी, आज अपनों से दूर हो रही है हिंदी, और अपनों के है ही हाथो मजबूर हो रही है हिंदी, ...#जलज #हिंदी दिवस की आपको और आपके अंग्रेज बच्चो को शुभकामनाएं बचपन में मेरी तुतलाती जुबान से निकलने वाली भाषा थी हिंदी, मेरे पहले शब्द पर जब मां के आंसू निकले थे उसकी भाषा थी हिंदी, मेरे हर लफ्ज़ को श
MR VIVEK KUMAR PANDEY
Writer Mr Vivek Kumar Pandey #ये बात सच है कि नहीं बताओ "दिल जोड़ने में बहुत समय लग ही जाता है, पर किसी को हमारा दिल तोड़ने में समय नहीं लगता है". #दिल जोड़ने में #Mrvivekkumarpandey