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neelu
Unsplash जीना कैसे चाहते हैं अगर वह इच्छा आपकी है तो आप मरना कैसे चाहते हैं यह इच्छा भी आपकी ही होनी चाहिए बाकी सब धुआं धुआं है पर धुए धुए में भी फर्क है.. ©neelu #library जीना कैसे चाहते हैं अगर वह इच्छा आपकी है तो आप मरना कैसे चाहते हैं यह इच्छा भी आपकी ही होनी चाहिएबाकी है सब धुआं धुआं है पर पर धुए
#library जीना कैसे चाहते हैं अगर वह इच्छा आपकी है तो आप मरना कैसे चाहते हैं यह इच्छा भी आपकी ही होनी चाहिएबाकी है सब धुआं धुआं है पर पर धुए
read moreRakesh frnds4ever
White जाने क्यों कुछ कह नहीं पाता हूं या फिर कहते कहते रुक जाता हूं,सहम जाता हूं खामोश ही रह जाता हूं ,,,,,,, क्योंकि कुछ भी कहने सुनने को आवाज़ के अलावा दिल, तन ,मन,,चित, चाह,इच्छा,, लोभ,मोह,स्नेह,लगाव, समर्पण,अपनापन,भोलापन, सादगी,नादानी,प्यार, मनोदशा, मनोभाव, विचार, व्यवहार, चरित्र, नियत,जरूरत ,,,,,,,,,,,,, आदि सब किसी का होना भी जरूरी होता है।।। ©Rakesh frnds4ever #जाने_क्यों… कुछ कह नहीं पाता हूं या फिर कहते कहते रुक जाता हूं, #सहम जाता हूं #खामोश ही रह जाता हूं ,,,,,,, क्योंकि कुछ भी कहने सुनने
Rakesh frnds4ever
White कोई कैसे जीते जालिम जमाने से कि अपने ही लगे पड़ें हैं अपनों कि लाश गिराने में कोई कैसे जिए इन बेबस दुखी नासूर अत्याचारों से कि खूनी दरिंदे बने हुए हैं अपने ही परिवारों में """"किस्मत को मंज़ूर यही था जीती बाज़ी हार गए लड़ते रहे हम तूफानों से और वो दरया पार गए"""" ,,,,,,जब किसी की इच्छा या चाह ही नहीं है ,,, तो मैं जीतकर भी ,,,,क्या करू ,,,..!!!???!!! ©Rakesh frnds4ever #कोई #कैसे जीते #जालिम #जमाने से कि अपने ही लगे पड़ें हैं अपनों कि #लाश गिराने में कोई कैसे जिए इन बेबस दुखी #नासूर अत्याचारों से
Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White अब ना होती काम की इच्छा ना दौलत ना नाम की इच्छा..! जैसे-जैसे ढ़ले जवानी वैसे हो आराम की इच्छा..! ना कोई अभिमान की इच्छा ना झूठे सम्मान की इच्छा..! धीरे-धीरे समझ आ रही बे-मतलब इंसान की इच्छा..! ना जीवन अनमोल की इच्छा अंतर के पट खोल की इच्छा..! झूठ कपट छल छिद्र छोड़ के सबसे मीठे बोल की इच्छा..! ना छप्पन पकवान की इच्छा धर्म-कर्म जप दान की इच्छा..! अब केवल सदज्ञान सुहावे कैसे हो निर्वाण की इच्छा..! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #इच्छा
Bhanu Priya
लड़की हूं, इसलिए हर साल सुर्खी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत्ता, कभी मनाली न जाने कितनी हैं बिगड़ी, कितने आशियानों की रमजान, होली , दिवाली, हक का कहां मिला मुझे, दस्तूर ए जहां, आज इसने तो कल उसने सबने वादें किए मुझसे... यही रीत ज़माने की लड़ता हैं वह खुद के लिए , काश एक बार निकलता वह खुदसे और लड़ता मेरे लिए। ©Bhanu Priya #दस्तूर_ए_वक़्त दस्तूर लड़की हूं,इसलिए हर साल सरखी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत
#दस्तूर_ए_वक़्त दस्तूर लड़की हूं,इसलिए हर साल सरखी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
आप सभी को देव दिपावली पर्व गंगा स्नान व गुरु पुरब की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏 🎇 🎇 🪔 भाषा शैली स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्ष
read moreRakesh frnds4ever
तलब नहीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, उचहटी नहीं चाय भी छूट गई है इच्छा नहीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चाहत नहीं जीवन की चाह भी मिट गई है ©Rakesh frnds4ever #तलब #नहीं उचहटी नहीं #चाय भी छूट गई है इच्छा नहीं #चाहत नहीं #जीवन की #चाह भी मिट गई है #rakeshyadav #rkyadavquotes #rkyfrnds4ever
#तलब #नहीं उचहटी नहीं #चाय भी छूट गई है इच्छा नहीं #चाहत नहीं #जीवन की #चाह भी मिट गई है #rakeshyadav #rkyadavquotes #rkyfrnds4ever
read mores गोल्डी
झालर उतार दिए , लडिया लपेट रहे है ! दिवाली बीत गई , अब खुशियां समेट रहे हैं !! ©s गोल्डी दिवाली के बाद
दिवाली के बाद
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