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Vickram
Himanshu Raj
मरने या जीने के लिए एक बूंद ही काफी है, इच्छा है आपकी जहर लो या अमृत! ©Himanshu Raj #इच्छा
अर्पिता
अच्छा समय गुजरने के बाद, इंसान मरने की इच्छा ज्यादा रखता है... ना कि हर रोज़ मर मर के जिने की.... ©अर्पिता #इच्छा
Yuvraj Singh
प्रेम रंग शांवल, रूप आग, आंखों में झील है, ये तुम्हारी..।। रूप अप्सरा केश बादल, रूह पाक है, ये तुम्हारी..।। कमल अधर, देह ऐश्वरिया, शांत चंचल मन है, ये तुम्हारी..।। फिर भी मन में उमंग है, दिल में हजारों दर्द लेके, दर्द भारी ये दिल है तुम्हारी..।। चाह की इच्छा, राह की डगर ढूंढे नज़र ये तुम्हारी..।। नज़र की चाह खत्म न हो ये इच्छा है हमारी..।। ©Yuvraj Singh #इच्छा ki jaan
Mukesh Agrawal
होना ये चाहिए कि दुख रेत सा होना चाहिए बेफिक्री में आकर मुठ्ठी से गिरा दे और पैरो से उड़ा दे सुख चट्टानो सा होना चाहिए मजबूत और स्थापित ना हिला सके कोई ना गिरा सके कोई बस ज़िन्दगी में ज़िन्दगी भर डटा रहे। (19/05/15) ©Mukesh Agrawal #इच्छा#
Manjul
ख़त्म कहां होता है कुछ सब कुछ ख़त्म हो जाने के बाद.. किसी का में रह जाता है किसी का काश.. कोई यादों में ही उलझा रह जाता है किसी को छोड़ता नही अतीत का आभास. कोई सुलझाता है खुद को पर उलझता चला जाता है। सब कुछ ख़त्म हो जाने के बाद कुछ ना कुछ रह ही जाता है। ©Manjul Sarkar #Nightlight #काश #खत्म #इच्छा #हिंदी #हिंदी_कविता
Sarita Shreyasi
कल फुर्सत थी,तो कुछ काम चाहिए था, आज काम है तो दो पल आराम ढूंढते हैं, कल उनके साथ माँ-बाप और सारे बच्चे थे, पर घर की जमीन और छत,दोनों ही कच्चे थे। चाहा सबने,थोड़े पैसे,और सुख-सुविधा थोड़ी, मनचाहा पाने के लिए अपनी-अपनी इच्छा जोड़ी, एक पलड़े से समय और साथ उठाया, कुछ पैसे,थोड़ी सुख-सुविधा रख दी। आज छोटे-मोटे काम से है आराम, नर्म बिछावन पर अकेले नींद हराम, माँ-बाप,बच्चे सब हो गए दूर, भागता मन थककर हो गया है चूर। प्रकृति के तराजू का अपना है संतुलन, घटता है कहीं कुछ होता तभी संवर्धन, जिसने कुछ खोया उसीने कुछ पाया, चाहतों के हिसाब से सबने मूल्य चुकाया। कल फुर्सत थी,तो कुछ काम चाहिए था, आज काम है तो दो पल आराम ढूंढते हैं, कल उनके साथ माँ-बाप और सारे बच्चे थे, पर घर की जमीन और छत,दोनों ही कच्चे थे। चाहा सबने,थोड़े पैसे,और सुख-सुविधा थोड़ी, मनचाहा पाने के लिए अपनी-अपनी इच्छा जोड़ी, एक पलड़े से समय और साथ उठाया,
Vaseem Akhthar
आशिक़ों के अन-गिनत फ़साने निकले, हमारी आरज़ू के भी जनाज़े निकले। दर्द में मज़ा तो तब आने लगा, औरों के घर जब वो सजाने निकले। Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "आरज़ू" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example:
Vaseem Akhthar
आशिक़ों के अन-गिनत फ़साने निकले, हमारी आरज़ू के भी जनाज़े निकले। दर्द में मज़ा तो तब आने लगा, औरों के घर जब वो सजाने निकले। Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "आरज़ू" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example: