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Indrajeet Nirmalkar
जिस घर मे शेर होते है। वहाँ कुत्ता पाला नही करते।। ©Indrajeet Nirmalkar इन्द्रजीत निर्मलकर@#
Jaysingh Nayak
SK pant
पृथिवी दिवस पर विशेष... 👇👇👇 पढ़े.. ©SK pant ( I.A.S ) *पृथ्वी दिवस पर करणीय* १- वृक्ष लगाकर उनका शृंगार करेंगे। २-देशी गाय के गोबर से उनका भरण पोषण करेंगे। ३- उनके शरीर पर पालीथिन नाम का कलंक न
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
गण पति बप्पा मोरियाँ,,,,,,भगवान कृष्ण के अलावा "गणपति के मुकुट मे """मोर का पँखी"लगी होती है---- गणपति और कृष्ण दोनो की कामदेव जयी है,,,,
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 18 हनुमानजी अक्षय कुमार का संहार करते है कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि। कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल भूरि॥18॥ हनुमानजी ने कुछ राक्षसों को मारा और कुछ को कुचल डाला और कुछ को धूल में मिला दिया और जो बच गए थे वे जाकर रावण के आगे पुकारे कि हे नाथ! वानर बड़ा बलवान है।उसने अक्षय कुमार को मार कर सारे राक्षसों का संहार कर डाला ॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम मेघनाद और ब्रह्मास्त्र का प्रसंग रावण मेघनाद को भेजता है सुनि सुत बध लंकेस रिसाना। पठएसि मेघनाद बलवाना॥ मारसि जनि सुत बाँधेसु ताही। देखिअ कपिहि कहाँ कर आही॥ रावण राक्षसों के मुख से अपने पुत्र का वध सुन कर बड़ा गुस्सा हुआ और महाबली मेघनादको भेजा॥और मेघनाद से कहा कि हे पुत्र!उसे मारना मत किंतु बांध कर पकड़ लें आना, क्योंकि मैं भी उसे देखूं तो सही वह वानर कहाँ का है॥ मेघनाद हनुमानजी को बंदी बनाने के लिए आता है चला इंद्रजित अतुलित जोधा। बंधु निधन सुनि उपजा क्रोधा॥ कपि देखा दारुन भट आवा। कटकटाइ गर्जा अरु धावा॥ इन्द्रजीत (इंद्र को जीतनेवाला) योद्धा मेघनाद असंख्य योद्धाओ को संग लेकर चला। भाई के वध का समाचार सुनकर उसे बड़ा गुस्सा आया॥हनुमान जी ने उसे देख कर यह कोई दारुण भट (भयानक योद्धा) आता है ऐसे जानकार कटकटा के महाघोर गर्जना की और दौड़े॥ हनुमानजी ने मेघनाद के रथ को नष्ट किया अति बिसाल तरु एक उपारा। बिरथ कीन्ह लंकेस कुमारा॥ रहे महाभट ताके संगा। गहि गहि कपि मर्दई निज अंगा॥ एक बड़ा भारी वृक्ष उखाड़ कर उससे लंकेश्र्वर रावण के पुत्र मेघनाद को विरथ अर्थात रथहीन, बिना रथ का कर दिया॥उसके साथ जो बड़े बड़े महाबली योद्धा थे,उन सबको पकड़ पकड़ कर हनुमान जी ने अपने शरीर से मसल डाला॥ हनुमानजी ने मेघनाद को घूंसा मारा तिन्हहि निपाति ताहि सन बाजा। भिरे जुगल मानहुँ गजराजा॥ मुठिका मारि चढ़ा तरु जाई। ताहि एक छन मुरुछा आई॥ ऐसे उन राक्षसों को मारकर हनुमानजी मेघनाद के पास पहुँचे।फिर वे दोनों ऐसे भिड़े कि मानो दो गजराज आपस में भीड़ रहे है॥हनुमानजी मेघनाद को एक घूँसा मारकर वृक्ष पर जा चढ़े और मेघनाद को उस प्रहार से एक क्षण भर के लिए मूर्च्छा आ गयी। मेघनाद हनुमानजी से जीत नहीं पाया उठि बहोरि कीन्हिसि बहु माया। जीति न जाइ प्रभंजन जाया॥ फिर मेघनाद ने सचेत होकर बहुत माया रची, अनेक माया ये फैलायी पर वह हनुमानजी से किसी प्रकार जीत नहीं पाया॥ विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 718 से 729 नाम 718 महामूर्तिः जिनकी मूर्ति बहुत बड़ी है 719 दीप्तमूर्तिः जिनकी मूर्ति दीप्तमति है 720 अमूर्तिमान् जिनकी कोई कर्मजन्य मूर्ति नहीं है 721 अनेकमूर्तिः अवतारों में लोकों का उपकार करने वाली अनेकों मूर्तियां धारण करते हैं 722 अव्यक्तः जो व्यक्त नहीं होते 723 शतमूर्तिः जिनकी विकल्पजन्य अनेक मूर्तियां हैं 724 शताननः जो सैंकड़ों मुख वाले है 725 एकः जो सजातीय, विजातीय और बाकी भेदों से शून्य हैं 726 नैकः जिनके माया से अनेक रूप हैं 727 सवः वो यज्ञ हैं जिससे सोम निकाला जाता है 728 कः सुखस्वरूप 729 किम् जो विचार करने योग्य है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 18 हनुमानजी अक्षय कुमार का संहार करते है कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि। कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल