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Diya
White ए जिंदगी निकल पड़ी हूं मैं तूने मुझे जिस पथ पर चलाया है, कांटे तो बहुत है वहां ,पत्थरों की चुभन भी है , फिर भी चल पड़ी हूं मैं, ए जिंदगी तेरी फरमाइश जो है, कहीं फूलों की खुशबू ,कहीं पैरों में थोड़ी शरारत भी है, अगर तू ना संभाले तो थोड़ी घबराहट भी है, तेरे सहारे ही निकल पड़ी हूँ मैं ,जो रास्ता तूने दिखाया है, थोड़ा पतझड़ भी है शबनम भी है, हकीकत भी है, पग डंडियों पर चलते हुए पीले सरसों की खुशबू भी है, गिरने का डर है तो संभलने का मौका भी है, ए जिंदगी निकल पड़ी हूँ मैं, जो रास्ता तूने दिखाया है, कहीं सुख है तो कहीं दुख भी है....... कहीं आसमान छूने की ख्वाहिश तो कहीं चांद को पाने की फरमाइश भी है। ✍🏼deeptigarg ❤ ©Diya #Thinking #ए जिंदगी #निकल पड़ी हूं मैं तूने मुझे जिस #पथ पर चलाया है, कांटे तो बहुत है वहां ,#पत्थरों की चुभन भी है , फिर भी चल पड़ी हूं
brar saab
White मध्य भारत में निम्न में से किसने सतनामी आन्दोलन की शुरुआत की थी? (1) हरिदास ठाकुर ने (2) श्री नारायण गुरु ने (3) घासीदास ने (4) उपरोक्त में से कोई नहीं ©brar saab #मध्य @भारत में निम्न में से किसने सतनामी #आन्दोलन की शुरुआत की थी? (1) हरिदास ठाकुर ने (2) श्री नारायण गुरु ने (3) घासीदास ने
brar saab
White 1856 ई. में निम्नलिखितगवर्नर-जनरलमेसे किसनेयह निर्णयकियाथाकिबहादुरशाह जफरअन्तिममुगल बादशाह होंगेऔरउनकी मृत्यु के बादउनकेकिसी वंशज को बादशाहनहींमाना जाएगा? [CTET Sep 2016, CTET Dec 2018] (1) कैनिंग (2) कॉर्नवालिस (3) डलहौजी (4) हेस्टिंग्स ©brar saab 1856 ई. में निम्नलिखित गवर्नर-जनरलों में से किसने यह निर्णय किया था कि बहादुरशाह जफर अन्तिम मुगल बादशाह होंगे और उनकी मृत्यु के बाद उनके किस
1856 ई. में निम्नलिखित गवर्नर-जनरलों में से किसने यह निर्णय किया था कि बहादुरशाह जफर अन्तिम मुगल बादशाह होंगे और उनकी मृत्यु के बाद उनके किस
read moregauranshi chauhan
day - 483 भले हीं मेरी जुबान कड़वी हो चुकी है, पर मेरी नियत अभी भी साफ है, किसने ,कब ,कहाँ और कैसे मुझे सताया, सबका हिसाब बाबा के खाते मे दर्ज है। ©gauranshi chauhan भले हीं मेरी जुबान कड़वी हो चुकी है, पर मेरी नियत अभी भी साफ है, किसने ,कब ,कहाँ और कैसे मुझे सताया, सबका हिसाब बाबा के खाते मे दर्ज है। #Ant
भले हीं मेरी जुबान कड़वी हो चुकी है, पर मेरी नियत अभी भी साफ है, किसने ,कब ,कहाँ और कैसे मुझे सताया, सबका हिसाब बाबा के खाते मे दर्ज है। Ant
read moreseema patidar
White तुम्हारे चेहरे की रौनक कुछ गुम सी गई है बता पाओगी किसने चुराई है खुद को दूसरों सा बनाने की चाहत ने या खुद को अधूरा सा मानने की आदत ने कुछ टूटे सपनो ने,या रूठे किन्ही अपनो ने बार बार असफल हुई कहानियों ने या जिद में की हुई नादानियों ने किसी की तुमसे लगी उम्मीदों ने या बीते गुजरे संघर्षों ने आने वाले कल की चिंता ने या हर रोज मिलने वाली निरसता ने तुम्हारे चेहरे की रौनक कुछ गुम सी गई है बता पाओगी.......... ©seema patidar बता पाओगी किसने चुराई है
बता पाओगी किसने चुराई है
read moreN S Yadav GoldMine
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset {Bolo Ji Radhey Radhey} बड़ी अजीब बात है:- बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद, क्या बंदरिया जानती हैं, कुत्ते की पूंछ 12 साल नलकी मैं रखने के बाद भी टेडी, ये 12 साल किसने सेट किया और कियो, क्या कुतिया की पूंछ 12 साल में सीधी हो जाती हैं, फिर मिलेंगे। N S Yadav GoldMine. ©N S Yadav GoldMine #SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} बड़ी अजीब बात है:- बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद, क्या बंदरिया जानती हैं, कुत्ते की पूंछ 12 साल नलकी मैं रखन
#SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} बड़ी अजीब बात है:- बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद, क्या बंदरिया जानती हैं, कुत्ते की पूंछ 12 साल नलकी मैं रखन
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White नभ में काले बादल आये, अपने संग बारिश लाए। हवा संग इठलाते बादल, हवा संग ये पानी लाए। देखो काले बादल आये, कहा से और ऊपर जाएं। कितने पास बादल आये, हमको छूने बादल आये। किसने दिया पता मेरा, मेरे घर को बादल आये। देखो मुझपे गरज रहे हैं, संग अपने अंधेरा लाए। किसने छेद किया इसमें, जो बूँद-बूँद पानी गिराए। देखो काले बादल आये, नभ में काले बादल आये। इसको किसने बुलाया है, आंधी संग बिजली लाए। देखो कितने पास ये बादल, जैसे देखो पेड़ों को छू जाएं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #badal #kavita #barish नभ में काले बादल आये, अपने संग बारिश लाए। हवा संग इठलाते बादल, हवा संग ये पानी लाए।
theABHAYSINGH_BIPIN
कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे हैं, सर्दी ने रोका हर काम। हिम्मत भी थरथर कांप उठी, लिपटे हम गर्म चादर में। उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है, किसने बर्फ डाल दी पानी में? कौन है जो यूं कहर ढा रहा, पूरे गांव को कैद किया है घर में? राह अंधेरी, जमी हुई है, थोड़ी उम्मीद बची है मन में। चलता हूं बस सहारे इसके, जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में। शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात, आलस ने ले लिया गिरफ्त में। यह कैसा दिन, एक पल न सुहा, सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में। हर कदम जैसे थम सा रहा, जीवन को ढो रहा धुंध में। क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी, या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में? ©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे
#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे
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