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vikas Mourey
चली चली रणचंडी करने विनाश रे। दुष्टों को मारने भक्तों को तारने। चली चली रणचंडी करने विनाश रे....। देव लोक भू लोक करते त्राहिमाम रे। चली चली रणचंडी..... विनाश रे। सूरज कापे धरती कापे, कापे आसमान रे। नंदी कापे, भृंगी कापे,कापे कैलाश राज रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। गले मुंड माल है, हाथ खड़क भाल है। क्रोध की ज्योति से करती प्रकाश है। दैत्य मारे दानव मारे, मारे असुरों के राज रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। काली काली रात है जोगनिया साथ है, कांप उठा पाताल भी उसकी चिक्कार से, चलता काला भैरव माई के साथ रे। भोग में महारानी करें रक्तपान रे। चली चली रणचंडी...... विनाश रे। देवलोक भूमि का किया बुरा हाल रे। प्रतिशोध की ज्वाला से बिखरा संसार रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। सारे देव करने लगे रक्षा की गुहार रे। चली चली रणचंडी..... विनाश रे। जब लेटे महादेव चरणन में आन के। तब लोटी महामाई वास्तविक अवतार में। चली चली रणचंडी करने विनाश रे। लेखक - विकास मौर्य✍️✍️ ©vikas Mourey रणचंडी महामाई काली🙏🙏🙏🙏 विकास की कलम के रंग✍✍✍✍
Unconditiona L💓ve😉
आपको पता है मईया आपकी गौरी मूरत बहुत ही सजल और मोहनी मुरतिया होती है..! जो मुझे भी अतिप्रिय है मईया, लेकिन जब रक्त रंजित होकर नर मुंड धारण कर, अर्धनग्न होकर तांडव करती है, दुष्टो का विनाश करती है तो आपके यह रूप देख मैं अबोध बालक डर जाता हूँ, और बिलख बिलख के रोने लगता हूँ कि आप मेरी करुण ध्वनि सुन शांत हो जाओ और मुझे दुलार कर अपनी ममता का पान कराव!! ,, हे माँ गौरी मुझे अपने में समाहित कर ले अब 😔🙏 माटी माटी मा गड़ना करके नव दुर्गा ला बनाए वो.... आनी बानी के रंग रोगन में अंग तोर सजाए वो.... माटी माटी मा गड़ना करके नव दुर्गा ला बनाए वो..
Anuj Ray
प्रकृति के यौवन के, खिलते हैं जैसे उपवन में फूल । ठीक वैसे ही लगते, अधर तुम्हारे, चढ़ते यौवन के शूल। ©Anuj Ray # प्रकृति के यौवन के..
Sadakat Abbasi
संपर्क टूटा हैं मगर, संपर्क टुटा है होसला नही तोड़ना # के सिवान के नाम
Anuj Ray
ज़िन्दगी के सफ़र के, बिल्कुल आख़री ,कगार के नजदीक पहुंचकर एकदम, छुड़ा के हाथ, अगर तुमसे कोई कहे कि, अब ये रिश्ता हो गया यहीं पे खतम। क्या हुआ, थक गए क्या चलते-चलते, कोशिश करो चलने के और भी दो चार कदम। वैसे तो लाजमी है, बिछड़ ही जाएंगे, लेकिन तुम तो, मेरे गर्दिशों के साथी हो हमदम। बस क्या , ज़िन्दगी भर के कसमें वादे, और प्यार वफा का, तुम्हारा यही इन्तकाम है। शायद मोहब्बत में ,किसी को नहीं मिला होगा, ये पहला मेरी क़िस्मत का इनाम है। ©Anuj Ray # ज़िन्दगी के सफ़र के,