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ß@Đ~B0¥

#श्लोकों # मतलब जरूर बातन दोस्तो

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Poetry Art

आयतो ने श्लोकों से यारी कर ली by satish Sharma shorts reel viral poetry shayari ghazal

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Paramjeet kaur Mehra

तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जी ने गीता की यथार्थता बताई है और यह भी सिद्ध किया कि अन्य सभी धर्मगुरुओं ने गीता जी के श्लोकों का अनर्थ किया #Shayari #nojotophoto

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 तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज जी ने गीता की यथार्थता बताई है और यह भी सिद्ध किया कि अन्य सभी धर्मगुरुओं ने गीता जी के श्लोकों का अनर्थ किया

Satpal Das

#santrampaljimaharaj यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को

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Paramjeet kaur Mehra

पहचानो असली कौन व नकली कौन ? अनिरुद्ध आचार्य जी कहते हैं की व्रज का अर्थ आना होता है। श्री कृष्ण जी अपनी शरण में आने को कह रहे हैं। जबकि स #astrologynormal

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chirag mittal

चलो तबाह करते है तुम हिंदू को मैं मुस्लिम को चलो आग लगाते है तुम चोगे को मैं चादर को चलो मार डालते है तुम दरिंदे को मैं दंगे को #Hindu #yqbaba #Muslim #yqdidi #ulta #Pulta

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शीर्षक : उल्टा पुलटा
(poem in caption) 
👇  चलो तबाह करते है 
तुम हिंदू को मैं मुस्लिम को 

चलो आग लगाते है 
तुम चोगे को मैं चादर को 

चलो मार डालते है 
तुम दरिंदे को मैं दंगे को

N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत का संक्षिप्त परिचय 'महाभारत' भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म #पौराणिककथा

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत का संक्षिप्त परिचय
'महाभारत' भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ है, हालाँकि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है।

हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है, और इसे लिखने का श्रेय भगवान गणेश को जाता है, इसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं।

महाभारत की विशालता और दार्शनिक गूढता न केवल भारतीय मूल्यों का संकलन है बल्कि हिन्दू धर्म और वैदिक परम्परा का भी सार है। महाभारत की विशालता महानता और सम्पूर्णता का अनुमान उसके प्रथमपर्व में उल्लेखित एक श्लोक से लगाया जा सकता है, जिसका भावार्थ है, 

'जो यहाँ (महाभारत में) है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जायेगा, जो यहाँ नहीं है वो संसार में आपको अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा।'

यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं।

विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर विद्वान महाभारत काल को 'लौहयुग' से जोड़ते हैं। अनुमान किया जाता है कि महाभारत में वर्णित 'कुरु वंश' १२०० से ८०० ईसा पूर्व के दौरान शक्ति में रहा होगा। पौराणिक मान्यता को देखें तो पता लगता है कि अर्जुन के पोते परीक्षित और महापद्मनंद का काल ३८२ ईसा पूर्व ठहरता है।

यह महाकाव्य 'जय', 'भारत' और 'महाभारत' इन तीन नामों से प्रसिद्ध हैं। वास्तव में वेद व्यास जी ने सबसे पहले १,००,००० श्लोकों के परिमाण के 'भारत' नामक ग्रंथ की रचना की थी, इसमें उन्होने भरतवंशियों के चरित्रों के साथ-साथ अन्य कई महान ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों सहित कई अन्य धार्मिक उपाख्यान भी डाले। इसके बाद व्यास जी ने २४,००० श्लोकों का बिना किसी अन्य ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों का केवल भरतवंशियों को केन्द्रित करके 'भारत' काव्य बनाया। इन दोनों रचनाओं में धर्म की अधर्म पर विजय होने के कारण इन्हें 'जय' भी कहा जाने लगा। महाभारत में एक कथा आती है कि जब देवताओं ने तराजू के एक पासे में चारों 'वेदों' को रखा और दूसरे पर 'भारत ग्रंथ' को रखा, तो 'भारत ग्रंथ' सभी वेदों की तुलना में सबसे अधिक भारी सिद्ध हुआ। अतः 'भारत' ग्रंथ की इस महत्ता (महानता) को देखकर देवताओं और ऋषियों ने इसे 'महाभारत' नाम दिया और इस कथा के कारण मनुष्यों में भी यह काव्य 'महाभारत' के नाम से सबसे अधिक प्रसिद्ध हुआ। जय श्री कृष्ण। जय श्री राधे।।

©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत का संक्षिप्त परिचय
'महाभारत' भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म

Kulbhushan Arora

वन्दना दीक्षित वन्दना 😍 मीता 🤗 स्पंदना 🙌 मित्र 😍😍😍😍 मन का इत्र जो जीवन महकाए मन की समझे बात #yqdidi #yqquotes #yqletter #yqकुलभूषणदीप

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मेरा पत्र नंबर 4
मेरी  मित्र
V   M  S
के नाम     वन्दना दीक्षित 
वन्दना 😍 मीता 🤗 स्पंदना 🙌

मित्र 
😍😍😍😍
मन का इत्र
जो जीवन महकाए
मन की समझे बात

JALAJ KUMAR RATHOUR

पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, #जलज

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पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, बैठा रहता था।मेरी हर उदासी को हंसी में बदलने वाली तुम आज कल मेरी आंखों में नमी का कारण बनती हो।जैसे इंद्रधनुष आसमान को खूबसूरत बनाता है वैसे ही मुझे तुम्हारा साथ खूबसूरत नजर आता था।अब जब भी घर आता हूं तो तुमसे मुलाकात की ऐसी तड़प होती है जैसी तड़प  छुट्टियों में नानी के घर से आने के बाद ,स्कूल में जाने के लिए किसी बच्चे को होती है।मुझे आज भी तुम्हारी जरूरत है जैसे आसमानी झूले पर बैठे किसी शक्श को होती है किसी का हाथ थामने की। मैं बचपन में जब भी अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को देखता था तो उनकी अंग्रेजी से बहुत प्रभावित होता था और मन में एक प्रकार की घृणा भी होती थी।क्युकी उनकी अंग्रेजी की दो लाइन हमारी हिंदी के याद किए कई श्लोकों से ज्यादा तारीफें बटोर लेती थीं।पर जब तुम्हे पहली बार देखा था तो अंग्रेजी से मुझे पहली बार प्रेम हुआ था और शायद तुमसे भी।फ्यूचर टेंस के सहारे तुम्हारे संग मैं अपना भविष्य देखने लगा था।इन डायरेक्ट  स्पीच के सहारे मैने कई बार बताना चाहा था कि तुम मेरी पोएम रूपी जीवन का सेंट्रल आइडिया थीं।जैसे हर लेखक और कवि का उसके द्वारा कही गई पंक्तियों से एक आशय होता है वैसे मेरी भी हर बात का एक आशय होता था। जिसमें तुम्हारे संग जीवन बिताने का मेरा एक निश्चय रूपी मतलब छिपा था।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं,

JALAJ KUMAR RATHOUR

पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, #जलज #AdhureVakya

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उलझन इस बात की है कि पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, बैठा रहता था।मेरी हर उदासी को हंसी में बदलने वाली तुम आज कल मेरी आंखों में नमी का कारण बनती हो।जैसे इंद्रधनुष आसमान को खूबसूरत बनाता है वैसे ही मुझे तुम्हारा साथ खूबसूरत नजर आता था।अब जब भी घर आता हूं तो तुमसे मुलाकात की ऐसी तड़प होती है जैसी तड़प  छुट्टियों में नानी के घर से आने के बाद ,स्कूल में जाने के लिए किसी बच्चे को होती है।मुझे आज भी तुम्हारी जरूरत है जैसे आसमानी झूले पर बैठे किसी शक्श को होती है किसी का हाथ थामने की। मैं बचपन में जब भी अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को देखता था तो उनकी अंग्रेजी से बहुत प्रभावित होता था और मन में एक प्रकार की घृणा भी होती थी।क्युकी उनकी अंग्रेजी की दो लाइन हमारी हिंदी के याद किए कई श्लोकों से ज्यादा तारीफें बटोर लेती थीं।पर जब तुम्हे पहली बार देखा था तो अंग्रेजी से मुझे पहली बार प्रेम हुआ था और शायद तुमसे भी।फ्यूचर टेंस के सहारे तुम्हारे संग मैं अपना भविष्य देखने लगा था।इन डायरेक्ट  स्पीच के सहारे मैने कई बार बताना चाहा था कि तुम मेरी पोएम रूपी जीवन का सेंट्रल आइडिया थीं।जैसे हर लेखक और कवि का उसके द्वारा कही गई पंक्तियों से एक आशय होता है वैसे मेरी भी हर बात का एक आशय होता था। जिसमें तुम्हारे संग जीवन बिताने का मेरा एक निश्चय रूपी मतलब छिपा था।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं,
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