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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान । मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।। जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम । एक समय के बाद में , दे सुंदर परिणाम ।। परम-पिता से मेल का, कष्ट बनाये योग । बाद मृत्यु के आप भी , करते इसका भोग ।। जीवन के संताप को , एक परीक्षा जान । करते जाओ पार सब , पाओगे सम्मान ।। मीठे होंगे फल सभी , पहले कर संतोष । यूँ ही अपने भाग्य को , नहीं आप दें दोष ।। करता जो संघर्ष है , मन में अपने ठान । पाता है वह एक दिन , जग में सुन सम्मान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान । मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।। जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम । एक समय के बाद
Anuradha T Gautam 6280
Devesh Dixit
जोकर कितना दिलचस्प होता है न जोकर जो खुद रो कर भी दूसरों को गुद गुदाता है अपनी तकलीफों को भूलकर सबके चेहरों पर मुस्कुराहट लाता है रंग बिरंगा सा चेहरा बनाकर सबको बहुत लुभाता है टेढ़ा मेढ़ा सा मुंह बनाकर सबको प्रसन्न करता है तरह तरह के करतब दिखाकर सबको बहुत हंसाता है दिल के अपने दर्द छुपाकर नई प्रेरणा को जगाता है उसकी खूबियों को देख कर मन में ये विचार आता है क्यों व्यक्ति रास्ता भटक कर दूसरों को दुख पहुंचाता है हंसी खुशी से जीवन बिताकर क्यों नहीं वह रह पाता है क्यों अधर्म का मार्ग अपनाकर सबके नयनों में अश्रु लाता है बस एक ऐसा है जोकर जो अपने धीरज को बढ़ाता है सब के मन खुद को बैठा कर दिलों पर राज करता है ……………………………. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जोकर #nojotohindi #nojotohindipoetry जोकर कितना दिलचस्प होता है न जोकर जो खुद रो कर भी दूसरों को गुद गुदाता है अपनी तकलीफों को भूलकर सबक
Yogi Sonu
ईश्वर बाहर भी है और भीतर भी बाहर खोजने वाला भटकता है भीतर खोजने वाला पाता है अतः है प्रिय अपने को सभी बंधनों से मुक्त जानो अष्टावक्र गीता। ©Yogi Sonu ईश्वर बाहर भी है और भीतर भी बाहर खोजने वाला भटकता है भीतर खोजने वाला पाता है अतः है प्रिय अपने को सभी बंधनों से मुक्त जानो अष्टावक्र गीता। #
Sangeeta Kalbhor
Beautiful Moon Night खामोशी से प्यार करना उतना आसान नही है खुद के जितना इन्सान औरों से परेशान नही है मन में होते है कई प्रश्न जवाब कहाँ मिल पाता है सुख दुःख है एक झौका कायम थोड़ी ना रहता है दिल लगाकर दिल में बसनेवाले बसेरा कही और भी करते है नाजूक होती है साँसों की ड़ोर एक ही झटके में श्वास हरते है जी नही करना चाहिए छोटा भलेही टूटना पड़े अंदर से आशा की किरण आ ही जाती है तलाशे अपने आपको गर प्यार से खामोशी से प्यार करना अपनेआप में बड़ी उपलब्धी है हरा नही कोई पाता उसे चाहे आये कितनी भी बड़ी आँधी है..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #beautifulmoon खामोशी से प्यार करना उतना आसान नही है खुद के जितना इन्सान औरों से परेशान नही है मन में होते है कई प्रश्न जवाब कहाँ मिल पाता
Manish Jakhmi
एक परिस्थिति के भले बुरे अंजाम का पता उस परिस्थिति के अंत में ही पता चलता है, परंतु एक से एक धुरंधर उस समय में इंतजार नहीं कर पाते भले वे बड़े बड़े प्रवचन ही क्यों ना सुनाते हो एक दूसरे को समझते वक्त। देखा जाए तो होता सब कुछ है बस एक शब्द शर्त किरदार निभाता है व्यक्ति उस शर्त को पूरा भी कर सकता है जिसमें वो धैर्य है कि वह परिस्थिति के परिणाम का इंतजार कर सके। परंतु उसके लिए आपको विद्वान बनना होगा और एक विद्वान बुरी परिस्थिति में कभी भी बैरागी नहीं होता अपितु वह उस परिस्थिति में कोई झलक भी नहीं दिखाता जिससे उसे कोई सहानुभूति का अनुभव हो तभी वह एक सटीक जीवन का आनंद ले पाता है या मान लो सब कुछ सुलझा हुआ दिखता है।बाकी व्यक्ति की प्रवर्ती पर निर्भर करता है। ©Manish Jakhmi एक परिस्थिति के भले बुरे अंजाम का पता उस परिस्थिति के अंत में ही पता चलता है, परंतु एक से एक धुरंधर उस समय में इंतजार नहीं कर पाते भले वे बड
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है ।। ०१/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
Sangeeta Kalbhor
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. हर मोड़ मुझे तेरी ओर.. हर मोड़ मुझे तेरी ओर लेकर ही जाता है पता नही क्यूँ और कैसे तू समीप मेरे रहता है रहूँ मैं कितने भी खयालों में एक खयाल तेरा भी होता है तू है कही आसपास ही मेरे हरपल अहसास ये आता है झूकी झूकी पलकों से मन मयूर जरुर बनता है बूँदे तेरे प्यार की पाकर तन जरुर झूम लेता है ये कौनसा है नशा जो सुरुर पे सुरुर आता है दिल भूल जाता है हर बात पर तुझे भूल नही पाता है..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #holi2024 हर मोड़ मुझे तेरी ओर.. हर मोड़ मुझे तेरी ओर लेकर ही जाता है पता नही क्यूँ और कैसे तू समीप मेरे रहता है रहूँ मैं कितने भी खयालों मे
Ravishankar Nishad
बड़े-बड़े आदमी में काम करने वाला कर्मचारी घर जाने के वक्त अगर कोई कस्टमर आ जाता है तो घर भी सही समय में नहीं जा पाता गरीब लोग का कोई समझ नहीं पता ©Ravishankar Nishad बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में खाना खाने वाला वीआईपी देर होने के बाद भी जाता है वहां पर काम करने वाला कर्मचारी घर जाने के समय उसकी सेवा में लगे रह
The Unknown Shayar
🥺 हर सख्स एक रिश्ता ऐसा चाहता है ! मगर कोई चाह कर भी वफ़ा निभा नहीं पाता है |❤️🩹 ©The Unknown Shayar #हर सख्स एक रिश्ता ऐसा चाहता है ! मगर कोई चाह कर भी वफ़ा नहीं निभा पाता है |❤️🩹 The Unknown Shayar 🧜🏻♂️ #As_tus #theunknownshayar #Shayar