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vksrivastav
White ज़माने को ख़ुदगर्ज कहते हो लेकिन तुम्हें अपनी ख़ुदगर्जी दिखती नही कोई अपनी मर्ज़ी चलाए तो चिढ़ते हो ख़ुद अपनी मनमर्ज़ी दिखती नही ©vksrivastav ज़माने को ख़ुदगर्ज कहते हो लेकिन #Shayari #Love #Poetry #SAD #Quotes #vksrivastav
ज़माने को ख़ुदगर्ज कहते हो लेकिन #Shayari Love Poetry #SAD #Quotes #vksrivastav
read moreBanarasi..
शब्द सृजन की सदी अनोखी अनदेखी कुछ अनजानी सी डगर, ढूंढ रहा वो अपनी सी सुनहरी सहर। व्यापक विरूपाक्ष का व्यवसाय सा ओझल, जिंदगी बिन सादगी हो रही बेरंग सी बोझल। नितदिन न्योतित निहायत से निर्मित, मानव मंचित मोह माया में हो मिश्रित। काल की कालिका से हो कलंकित, खग खोजे खोह ख़लिश मुक्त खोखलित। गमन गति गीत से हो गतिमय ग्रसित, घृणा घेर घूर घर घाल घड़ी घालित। चमक चेतन चैतन्य चिन्मय में चीर चिंतन, छटी छठा छोह छः छल छीछल की छनछन। जीवन जटिल जीभ जंबू जाल जल से जलना, झंकृत झांझ झांझर झंझट झपट झेल बना झरना। टूटी टहनी टोहे टकराव की टंकार टंकित टिटहरी, ठूंठ ठहर ठौर ठग ठनकती ठिगनी ठकुराई की ठुमरी। डाकिया डर डपटे डगरी डकैत डंठल डसे डुगडुगाई, ढूंढे ढोंगी ढपली ढोलक ढाबा ढकोसलायुक्त ढिठाई। तिल तिल तीर तोरण तकती तेज त्यागी की तरूणाई, थाम थाली थिरकी थकी थोड़ा थपकी से थम थर्राई। दाम दया दंड दमनकारी दृष्टिगोचर दानव द्राक्ष दूषिताई, धर्म ध्यान धर धीरज ध्येय धन धवन ध्वजा धाय धराई। पाहुन पाए पोल्हाए पिंजरा पवन पोषित प्रेम पाप पनपाय, फिरे फनी फेरत फूले फ़राक फर्क फर्ज फैल फ़नफ़नाय। बनारसी बहुल बहुसंख्यक बहुलता बैर बेचैनी बहाए, भोले भंवर में भयानक भयंकर भजन भोजन भरमाए। यज्ञ यति योनि याज्ञवल् युगान्तर योग योग्य यमनयान, रोग रहित रेवती रंक रंजन रंगोली रंगाई राग रसिकपान। लोभ लाभ ललित लक्ष्य लंका ललाट लाग लपेट लगाए, वजन वारि वाक्य विकास वांछनीय विशेषता की विधाए। संकल्प स्तोत्र से संबंधित स्थित समाधानयुक्त संभावनाएं, शीर्ष शिखर शोषित शिशिर शेखर शनि शेष शुभकामनाएं। षट् षड्यंत्री षट्भुजी षड्यंत्रकारी षचि षट्कर्मित, हिमाचल हिमखंड हेमंत हजार हमलावार हठ हर्षित। क्षय क्षत्रिय क्षीण क्षति क्षणभंगुर क्षितिज क्षतिधारी, त्रिकालदर्शी त्रिरत्न त्रिपाद त्रेता त्रिगुण त्रय त्रिशरारी। श्रमिक श्रृंखला श्रुतिनन्दन श्रवण श्रमिक श्रुतिशास्त्री, ज्ञाचक ज्ञानी ज्ञानमीमांसा ज्ञानप्रकाश ज्ञपित ज्ञानदात्री। अनोखी अनदेखी कुछ अनजानी सी डगर, ढूंढ रहा वो अपनी सी सुनहरी सहर। - लेखक: बनारसी ©Banarasi.. "अभिव्यक्ति की अनूठी कला - शब्दों की सदी में नई डगर की तलाश।" #शब्दसृजन #हिंदीकविता #हिंदी_साहित्य साहित्य #शब्दोंकाजादू #कवितासंग्रह #अभिव
"अभिव्यक्ति की अनूठी कला - शब्दों की सदी में नई डगर की तलाश।" #शब्दसृजन #हिंदीकविता #हिंदी_साहित्य साहित्य #शब्दोंकाजादू #कवितासंग्रह अभिव
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी परिवारों की मजबूती ही समाज मे एकता का मंत्र फूंकती है पाठशाला संस्कारों की है यहाँ एक दूसरो के लिये मर मिटती है खुशहाली की पौध यही से खिलती पनपती है भले अभावो में रहते हो सदस्य मगर निश्छल प्रेम प्यार की मूर्ति यही पर गढ़ती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" खुशहाली की पौध यही पर खिलती और पनपती है #nojotohindi
खुशहाली की पौध यही पर खिलती और पनपती है #nojotohindi
read moreRameshkumar Mehra Mehra
New Year 2025 आपको और आप के परिवार को नये साल की शुभकामनाये... ये नया साल सबके लिए उन्नति और तरक्की लेकर आये ये नया साल आय सब के लिए खास हो... Happy new year... ©Rameshkumar Mehra Mehra #Newyear2025 की आप सब को और आपके परिवार को और नोजटो family ko हार्दिक शुभकामनाये...
#Newyear2025 की आप सब को और आपके परिवार को और नोजटो family ko हार्दिक शुभकामनाये...
read moreJeetal Shah
White दिसंबर की सर्दियों का जादू दिसंबर की सर्दियों का जादू, चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा। साग-सब्जियों की बहार, और गरमा-गरम सूप का आनंद, सर्दियों की रातों में भी, दिल को गरम रखने का मौसम। क्रिसमस की धूम, और सांता क्लॉज़ की कहानी, एक्समास ट्री की सजावट, और चर्च में प्रार्थना की धुन। साल के अंत में, नए साल का स्वागत, 365 नए दिन, नए विचार, नए लक्ष्य, और नए सपने। भूल जाने को पुराने दिन, और नए साल की शुरुआत, नए संकल्पों के साथ, और नए जोश के साथ। दिसंबर की सर्दियों का जादू, हमें नए साल की ओर ले जाने का एक मौसम। ©Jeetal Shah #poem दिसंबर की सर्दियों का जादू दिसंबर की सर्दियों का जादू, चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।
#poem दिसंबर की सर्दियों का जादू दिसंबर की सर्दियों का जादू, चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।
read moreAjay Meena
“नहीं है मुझे कोई चिंता कि आगे क्या होगा और क्या नहीं मैं बस इतना जानता हूँ कि मेरे हक़ में तेरी यारी है क्यों करूँ मैं फ़िक्र झूठे, फरेबी और मक्कार ज़माने की? मैं जानता हूँ कि मेरी इकलौती ताक़त तेरी यारी है…” ©Ajay Meena #friends “नहीं है मुझे कोई चिंता कि आगे क्या होगा और क्या नहीं मैं बस इतना जानता हूँ कि मेरे हक़ में तेरी यारी है क्यों करूँ मैं फ़िक्र झू
#friends “नहीं है मुझे कोई चिंता कि आगे क्या होगा और क्या नहीं मैं बस इतना जानता हूँ कि मेरे हक़ में तेरी यारी है क्यों करूँ मैं फ़िक्र झू
read moreSANIR SINGNORI
Unsplash 'कल' की डोली उठाने के लिए, 'आज' को कंधा दे रहे हैं लड़के अजीब दास्तां है ज़माने की 'सानिर' . ©SANIR SINGNORI 'कल' की डोली उठाने के लिए, 'आज' को कंधा दे रहे हैं लड़के अजीब दास्तां है ज़माने की 'सानिर'#Book
'कल' की डोली उठाने के लिए, 'आज' को कंधा दे रहे हैं लड़के अजीब दास्तां है ज़माने की 'सानिर'#Book
read moreSumit Kumar
कुछ पुरुष भी जला दिये जाते है उस "दहेज़ की आग" में जो उसने कभी माँगा नहीं होता है.. ©Sumit Kumar दहेज़ की आग और पुरुष.. sad shayari on life
दहेज़ की आग और पुरुष.. sad shayari on life
read moreSarfaraj idrishi
सदी का सबसे बड़ा मजाक बच्चे दो होने चाहिए.. और आयुष्मान कार्ड बनने के लिए यूनिट 6 होनी चाहिए!.😛 . ©Sarfaraj idrishi सदी का सबसे बड़ा मजाक बच्चे दो होने चाहिए.. और आयुष्मान कार्ड बनने के लिए यूनिट 6 होनी चाहिए!.. 201 Islam बाबा ब्राऊनबियर्ड Rajan Singh
सदी का सबसे बड़ा मजाक बच्चे दो होने चाहिए.. और आयुष्मान कार्ड बनने के लिए यूनिट 6 होनी चाहिए!.. 201 Islam बाबा ब्राऊनबियर्ड Rajan Singh
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