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Ravendra
#maxicandragon
वो खाता रहा वो चरता रहा ज्यादा जीने के लिए वो दिन रात मरता रहा हुजूम सा लगा होता था चाटुकारो की क्या कमी थी कोई आका को अपने खुश करने वो पैतरे चोरी के रोज टटोलता रहा भर गया था घर साजो सामानो से तब भी न जाने क्या खोजता रहा अरे घूसखोर नहीं है ये मौत तेरी वो घडी में भी नहीं वक्त मौत का जिसे तू घर के आडंबरों थथोलता रहा #Sadharanmanushya ©#maxicandragon वो खाता रहा वो चरता रहा ज्यादा जीने के लिए वो दिन रात मरता रहा हुजूम सा लगा होता था चाटुकारो की क्या कमी थी कोई आका को अपने खुश करने वो
#maxicandragon
#NewGenShona नर जैसी नारी तू हो गई दूजे घर लायक तू हो गई छोड़ छाड के चूल्हा चौकी नर को नारी तू कर गई पता नहीं क्या कद्दू लौकी चौका दई जब हद कर दई चाय को जीरे से झोंकी ओ दद्दा री जो का कर दई मोबाइल में जो सडी मती आॅनलाईन ढूँढ रही पति हाथ पाँव में लगी हो मेंहदी कछुए से धीमी चले गती शोना बाबू जानू बेटा खूब बोल जो लिया लपेटा आएगी जब घडी तुम्हारी अलग अलग हो जाएगा खूटा घर में बैठा बैल बेचारा गऊ चरती दूजे घर चारा है किसान ये खेत तेरा पूर्ण करो कर्तव्य तुम्हारा #Sadharanmanushya ©#maxicandragon #Love #NewGenShona नर जैसी नारी तू हो गई दूजे घर लायक तू हो गई छोड़ छाड के चूल्हा चौकी नर को नारी तू कर गई पता नहीं क्या कद्दू लौकी
Nir@j
गाँव की याद कुछ यूँ आ रही है। हर चीज़ ही अब दूर जा रही है।। दादा-दादी से कहानी सुनते रहना। हमेशा ही उनकी देखभाल करना।। खेतों में गेहूँ के फ़सल कट रहे होंगे। कहीं पटवन हेतू रहट चल रहे होंगे।। महुआ का वो पेड़, लटकते हुए आम। सुबह में डाल-पात, गुलिडण्डा शाम।। चरती हुईं गायें, वो विचरते हुए भैड़। झड़ते हुए पत्ते, रंग बदलते हुए पेड़।। दोस्तों के साथ खेलना, छत पर सोना। आँधी आ जाने पर बिस्तर नीचे ढोना।। चने के खेत से, जाकर चना उखाड़ना। खेलने जाने के लिए दोस्त को पुकारना।। कुल्फ़ी वाले का आना, बर्फ़ देकर जाना। बर्फ़ ख़त्म हो जाने पर भी डंटी चबाना।। गाँव घर की शादी, वो पत्तल पर खाना। दोस्तों के साथ मिलकर मौज उड़ाना।। गाँव घर में ढेर सारे, मेहमानों का आना अजनबी रिस्तेदारो को परिचित कराना।। #yqdidi #yqbaba #yqlove #gaav #गाँव #गाँव_की_यादें #छूटता_हुआ_बचपन #nirajnandini गाँव की याद कुछ यूँ आ रही है। हर चीज़ ही अब दूर जा रही है।।
कवि राहुल पाल 🔵
भगत सिंह जी अमर थे ,अमर है और अमर रहेंगे ********* मैं भगत हूँ भगत सिंह का जो भगत था प्यारे हिंदुस्तान का जिस लाल ने औकात दिखाया था अंग्रेजो को भी ********* सम्पूर्ण कैप्शन में पढ़े विधा -चोका 5,7,5,7.......7,7 वर्ण ©कवि राहुल पाल मैं भगत हूँ_5 भगत सिंह का_7 जो भगत था_5 प्यारे हिंदुस्तान का_7 जिस लाल ने_5 औकात दिखाया था_7 अंग्रेजो को भी_5 कहानी नही यह_7
Bhaurao Palekar
Abhimanyu Kamlesh Rana
"अंग्रेजों का नीम" पूरी कविता यहां paste नहीं हो पाई।caption में पढ़े अंग्रेजों का नीम बड़ा होता जा रहा इतनी शिद्दत से सींची जड़ें पेड़ वन होता जा रहा आज का कत्लेआम धर्म की रक्षा नहीं जहर का खेत जोता जा रहा हमा
N S Yadav GoldMine
⏰जय श्री नारायण हरि⏰ {Bolo Ji Radhey Radhey} कभी भी घमंड न करें :- ⏰ एक बार एक गाय जंगल में घास चरने के लिए गई वह घास बड़े मज़े से घास चर रही थी। घास चरते-चरते वह बहुत अधिक घने जंगल में चली गयी जब उसने अपना सर ऊपर उठा कर देखा तो गाय ने अपने चारों तरफ बहुत अधिक पेड़ घास और काँटों भरे झाड़ देखे। गाय को महसूस हुआ कि वह जंगल में रास्ता भटक गई है। गाय को अपने घर जाने का रास्ता ढूंढ़ते हुए श्याम हो गई। गाय ने सोचा मैं आज घर नहीं जा पाऊँगी पर मेरा मालिक मुझे ढूँढ़ते हुए यहाँ जरूर आ जायेगा गाय यह सोचकर वहीँ पर आराम करने लगी। ⏰ जब गाय आराम कर रही थी तब उसी जंगल में एक शेर अपना खाना ढूंढ रहा था। शेर को खाना ढूंढ़ते हुए गाय बैठी हुई दिखाई दी शेर मन ही मन में कहने लगाआज तो दावत मिल गई है पहले मुझे कभी ऐसा खाना नहीं मिला यह कहकर शेर गाय को खाने के लिए भागने लगा। गाय ने शेर को अपनी तरफ आते हुए देखा और जोर से चिल्लाई-मालिक मुझे बचाओ ⏰ बस यह कहकर गाय वहाँ से भागने लगी आगे- आगे गाय पीछे-पीछे। शेर भागते हुए उसके करीब पहुँचने लगा गाय घबरा गई। गाय भागते हुए बहुत अधिक थक चुकी थी तभी गाय को भागते हुए एक तालाब दिखाई दिया। गाय तालाब की तरफ भागने लगी गाय ने मन ही मन में बोला-तालाब में मैं शेर से बच जाऊँगी ⏰ उसी समय गाय ने तालाब में झलांग लगा दी। शेर ने गाय को खाने के लिए उसी तालाब में झलांग लगा दी। पर गाय ने जिसे तालाब समझा था वह एक कीचड़ भरा कुण्ड था जिसे दलदल भी कहा जाता है। गाय दलदल में धसने लगी और शेर भी दलदल में धसने लगा। शेर आधा धस चूका था और गाय भी आधी धस गई। तभी गाय ने शेर से सवाल किया कि-क्या तुम्हारा कोई गुरु यह मालिक है शेर ने हंसकर जवाब दिया। ⏰ मेरा कोई गुरु या मालिक नहीं है बल्कि मै इस जंगल का राजा हूँ शेर को अपने ऊपर बहुत घमड़ था। इसपर गाय बोली-तुम्हारा कोई मालिक नहीं है पर मेरा तो मालिक है शेर ने घमंड में जवाब दिया-हा हा हा पर हम तो दोनों मरने वाले हैं जब जंगल का राजा ही अपनी जान नहीं बचा सकता तो तुम कैसे अपनी जान बचोगी। गाय ने बड़े गर्व से शेर को कहा-मेरा मालिक अभी आकर मुझे बचा लेगा। जब गाय गर्दन तक डूब गई तो उसका मालिक वहां आ गया और गाय को दलदल से बचा लिया। पर गाय और उसके मालिक ने अपनी जान बचाने के लिए चाहते हुए भी शेर को नहीं बचाया। ©N S Yadav GoldMine #delhiearthquake ⏰जय श्री नारायण हरि⏰ {Bolo Ji Radhey Radhey} कभी भी घमंड न करें :- ⏰ एक बार एक गाय जंगल में घास चरने के लिए गई वह घास बड़े
Divyanshu Pathak
मैं भारतीय जीवनशैली के वैभवशाली इतिहास में यहाँ की मिट्टी और पर्यावरण का विशेष योगदान मानता हूँ।आज हम प्रकृति के सामीप्य का ढोंग तो करते हैं लेकिन हमें ये पता नहीं होता कि ऋतुओं के अनुरूप पथ्य और अपथ्य क्या है?पहला सुख निरोगी काया तो सब जानते हैं। फिर भी भक्ष्य और अभक्ष्य का भेद भुलाकर "स्वाद" के ग़ुलाम हो नए रोगों को निमंत्रण देते हैं। घी- संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएं आपको। माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उनको सादर नमन। "भादवे का घी" भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है। जिसे हम घास कहते हैं। वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ #औषधियाँ हैं। इनमें धामन जो कि गायों को