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sushil mishra
जग झूटा साचा जिसका नाम बनते हे मेरे सारे काम जब लूं तेरा नाम ओ मोहन मुरली वाले ओ राधा के श्याम ओ मोहन मुरली वाले ओ राधा के श्याम सुबह भजूं शाम भजूं भजूं तेरा नाम धर शीश चरणों में चलता मेरा काम ओ मोहन मुरली वाले ओ राधा के श्याम ओ मोहन मुरली वाले ओ राधा के श्याम मीरा ने जिसे गाया यशोदा ने बुलाया गोपियों का माखन तूने सखा संग चुराया ओ मोहन मुरली वाले ओ राधा के श्याम ओ मोहन मुरली वाले ओ राधा के श्याम धर वंशी अधरो पर वंशीधर कहलाया गीता का ज्ञान जिसने रण में सुनाया ओ मोहन मुरली वाले ओ राधा के श्याम ओ मोहन मुरली वाले ओ राधा के श्याम सुशील मिश्रा ( क्षितिज राज) ©sushil mishra ओ मोहन मुरली वाले ओ राधा के श्याम
ajju bhai
लिख रहा हूं उस पल को जिस पल तेरी याद बहुत आती है तेरी मुस्कुरा के चले जाना तेरी हस के मानना लिख रहा हूं उस पल को जिस पल तेरी याद बहुत आती है तेरी आंखो के इशारे से बात करना तेरी पलकों को झुका के सर्माना लिख रहा हूं उस पल को जिस पल तेरी याद बहुत आती है बातो ही बातो में गुस्सा हो जाना ख्वाबों ख्यालों में खो जाना लिख रहा हूं उस पल को जिस पल तेरी याद बहुत आती है तड़पती थी आखे तेरी मिलने के लिए फिर थम सा जाता ओ तन्हाई बेकरारी सी हो जाती ओ पल लिख रहा हूं उस पल को जिस पल तेरी याद बहुत आती है ©ajju bhai ज़िन्दगी के ओ पल
Vinay Potphode
घर का रास्ता बचपन के ओ दिन,कितने याद आते है दोस्तों सभी दोस्त एक साथ खेलना, और लड़ना झगड़ना Miss you friends #बचपन के ओ दिन
B.L Parihar
*ओ उपवन के माली...* जिस पौधे को स्नेह करों से...रोपा तूने अपने आँगन... मधुर भावों की तूने उसको जाने कितनी खाद खिलाई.. अभी खिले ही थे प्रसून कुछ..शाखें थोड़ी सी लहराई.. तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... तेरे उपवन का ये पौधा...घनी छाँव का आलय बनता.. नन्हें नन्हें दो फूलों का...शाखाओं पर बचपन पलता... जाने क्यों तेरी नज़रों को...ना भायी इसकी तरुणाई... तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... कोमल मन का ये कोटर..अब सूनेपन में मुरझा जाएगा... कैसे अब उम्मीद का पँछी साँझ को लौट के घर आएगा.. जिसके शिखर पर रोज निशा..आकर लेती थी अंगड़ाई.. तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... कब माँगा था इसने तुझसे..हर पल मुझे बहार ही देना... कभी गमों की झुलस ना देना..बरखा की बौछार ही देना.. पतझड़ भी सह लेता हँसकर..तूँ ना देता चाहे पुरवाई... तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... जग-उपवन के माली सुनले..अब कोई तूफ़ान न देना... ना पूरा करना हो जिसको..फिर कोई अरमान न देना... करुणानिधि उपमा है तेरी..करुणा तूने खूब दिखाई... तरु वो काटा अपने हाथों..माली ज़रा सी दया न आई... "ओ उपवन के माली"
Pradyumn awsthi
ओ राही,अगर तुझे अपने रास्ते में चलते वक्त यदि कोई उदास या दुखी इंसान मिल जाए तो तू उस बेचारे के दुख,दर्दों को थोड़ा बांट लेना और उसे तू अपनी प्यार भरी बातों से थोड़ा हंसा देना ,तुझसे बनजाए तो उस उदास के चेहरे पर तू थोड़ी मुस्कान जरूर ला देना इससे वो उदास ,अपनी उदासी को भूल जाएगा और तेरे जीवन में तेरा आगे का रास्ता भी अच्छे से सुख पूर्वक कट जाएगा ©"pradyuman awasthi" #ओ पथ के राही