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श्यामजी शयमजी
White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में ©श्यामजी शयमजी #cg_forest कविता कविता
#cg_forest कविता कविता
read moreANSARI ANSARI
White तुमको नहीं तुम्हारे पोस्ट को । सलाम करते हैं। क्यो उठाते हो पोस्ट का नजायज। फायदा। पोस्ट की अहमियत नहीं मालुम। जो ऐसा करके अपनी दिन और। दुनियां बर्बाद करते हैं। ©ANSARI ANSARI पोस्ट की अहमियत।
पोस्ट की अहमियत। #विचार
read moreSapna Meena
White अबकी बार 400 पार या फिर गठबंधन सरकार। मोदी का उतरे का मुखौटा या फिर पहनेगा जीत का हार। केजरीवाली या कन्हैया या मनोज तिवारी होगा यमुना पार। कांग्रेस और आम आदमी के लड़ गए नैना बीजेपी रह गई बिन प्यार। अबकी बार 400 पार,या फिर गठबंधन सरकार। ©Sapna Meena #car चुनाव 2024 पर कविता
Mau Jha
🌹बात काले या गोरे रंग की नही होती💓 💓बात तो किस्मत की होती हैं💓 💓 💓काजल तो काला हो कर भी आंखों में रहता हैं💓 💓और 💓 💓पायल चांदी की होकर भी पैरो में रहती हैं💓 ©Mau Jha 💓अहमियत 💓
💓अहमियत 💓 #Quotes
read moreGurudeen Verma
White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #कविता
कविता
read moreShiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
कविता #शायरी
read moreKuldeep Shrivastava
अपनी अहमियत को उन आँखों में देखिए , जो आपको पाने की ख़ुशी से ज़्यादा आपको खोने से डरते है,,,,! ©Kuldeep Shrivastava #boatclub #अहमियत