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Mubarak
White हर सख्स ने मुझे इस्तीमाल किया अपने तरिके से इन सड़को की तरह धुल मिट्टी दिल मे था और हम जिन्दगी भर चेहरा साफ करता रहा ©Mubarak #Thinking हर सख्स ने मुझे इसतिमाल किया इन सड़कों की तरह धुल मिट्टी दिल में थाऔर हम जिंदगी भर चेहरा साफ करता रहा
#Thinking हर सख्स ने मुझे इसतिमाल किया इन सड़कों की तरह धुल मिट्टी दिल में थाऔर हम जिंदगी भर चेहरा साफ करता रहा
read moreदक्ष आर्यन
शाही स्नान करने तुम भी कुम्भ के मेले गए थे क्या? पुण्य कमाने गए थे या पाप धोने गए थे क्या? मन मेला करके गए थे जो, वो साफ करके आये हो क्या? पाप धोके आये हो या पाप करके आये हो क्या? रूह को भीगाया है या जिस्म से नहाके आये हो! क्या पछतावे वाले आंसू गंगा मे बहाके आये हो! या सिर्फ भीड़ का हिस्सा बनने गए थे तुम या भेड़चाल मे दिखावा करने गए थे तुम जो भगदड़ मे दब के मर गए उसके तुम भी जिम्मेदार हो तुम पुण्य से पहले पाप के हक़दार हो अब बताओ सच बताना क्या इंसाफ करके आये हो कुछ पुण्य कमाया या सिर्फ बदन साफ करके आये हो ऐसा ही नहाना था तो घर मे भी नहा सकते हो पाप ही धोने है तो भूखे को रोटी खिला सकते हो, प्यासे को पानी पिला सकते हो, इस रास्ते से तुम कभी भी पुण्य कमा सकते हो ©दक्ष आर्यन शाही स्नान करने तुम भी कुम्भ के मेले गए थे क्या? पुण्य कमाने गए थे या पाप धोने गए थे क्या? मन मेला करके गए थे जो, वो साफ करके आये हो क्या?
शाही स्नान करने तुम भी कुम्भ के मेले गए थे क्या? पुण्य कमाने गए थे या पाप धोने गए थे क्या? मन मेला करके गए थे जो, वो साफ करके आये हो क्या?
read moregauranshi chauhan
day - 483 भले हीं मेरी जुबान कड़वी हो चुकी है, पर मेरी नियत अभी भी साफ है, किसने ,कब ,कहाँ और कैसे मुझे सताया, सबका हिसाब बाबा के खाते मे दर्ज है। ©gauranshi chauhan भले हीं मेरी जुबान कड़वी हो चुकी है, पर मेरी नियत अभी भी साफ है, किसने ,कब ,कहाँ और कैसे मुझे सताया, सबका हिसाब बाबा के खाते मे दर्ज है। #Ant
भले हीं मेरी जुबान कड़वी हो चुकी है, पर मेरी नियत अभी भी साफ है, किसने ,कब ,कहाँ और कैसे मुझे सताया, सबका हिसाब बाबा के खाते मे दर्ज है। Ant
read moredilkibaatwithamit
White हर रात हर बात लिखेंगे हर कोई पढ़ सके इतना साफ लिखेंगे अपने जज्बात और अपने ही अरमान लिखेंगे बिन-तेरे क्या है मेरे वो सारे हालात लिखेंगे, बस नहीं लिखेंगे तो हम तेरी बात ना लिखेंगे ना तो तेरी खूबसूरती लिखेंगे ना तेरी कातिल अदाएं लिखेंगे अब जब भी मन करेगा हम दिल में मचलते अरमान लिखेंगे जो अकेले गुजारी है वो शाम लिखेंगे तन्हा तन्हा जो बीती वो रात लिखेंगे बहुत शिकायत है हमें तुझसे फिर भी जब भी लिखेंगे तेरी चाहत में डूबे अरमान लिखेंगे. ©dilkibaatwithamit हर रात हर बात लिखेंगे हर कोई पढ़ सके इतना साफ लिखेंगे अपने जज्बात और अपने ही अरमान लिखेंगे बिन-तेरे क्या है मेरे वो सारे हालात लिखेंगे,
हर रात हर बात लिखेंगे हर कोई पढ़ सके इतना साफ लिखेंगे अपने जज्बात और अपने ही अरमान लिखेंगे बिन-तेरे क्या है मेरे वो सारे हालात लिखेंगे,
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White बेहिचक,बेलाग, कितनी सफाई से, झूठ बोल जाता है दिल की सच्चाई से। भाता है वो मुझको, सूरत ही ऐसी है, भाता भी क्या है,दिल की गहराई से। झूठा तो कह सकता न, चल झूठे, चल साथ पड़ने को तैयार,वो भी ढिठाई से। मासूमियत उसकी गुनाहगार करती मुझको, रह जाते हैं अरमां दिल में मेरे सौदाई -से। ©BANDHETIYA OFFICIAL #Thinking #झूठ बोले सफाई से। शेरो शायरी दोस्ती शायरी 'दर्द भरी शायरी' शायरी हिंदी शायरी वीडियो Internet Jockey Rakesh Srivastava Madhusuda
Manas Subodh
White मै इस चीज मे यकीन नहीं करता की सपने हार जाने से सब कुछ खत्म हो जाता मै हर जगह हारा हूँ पर रुका नहीं हूँ खैर, ये सब मेरा मानना है तुम्हारा क्या मानना है जरूर बताना। ©Manas Subodh अब जो है यही है मान लिया मैंने अपनी गलतियां अब तुम देखो तुम्हें क्या चाहिए मुझ जैसा? जो सपने देखता कोशिश करता
अब जो है यही है मान लिया मैंने अपनी गलतियां अब तुम देखो तुम्हें क्या चाहिए मुझ जैसा? जो सपने देखता कोशिश करता
read moreHimanshu Prajapati
White हकीकत क्या है जान जाओगे, कभी नजरों के पर्दे हटाओ, सब साफ-साफ दिख जाएगा, यह गलत है इसे जाने दो, यह सही है इसे पटाओ..! ©Himanshu Prajapati #love_shayari हकीकत क्या है जान जाओगे, कभी नजरों के पर्दे हटाओ, सब साफ-साफ दिख जाएगा, यह गलत है इसे जाने दो, यह सही है इसे पटाओ..! #36gyan
#love_shayari हकीकत क्या है जान जाओगे, कभी नजरों के पर्दे हटाओ, सब साफ-साफ दिख जाएगा, यह गलत है इसे जाने दो, यह सही है इसे पटाओ..! #36gyan
read moreAkshita Gautam
नियत हीं नियति तय करती है ©Akshita Gautam सिर्फ नीयत साफ रखो हर गलती माफ होगी।
सिर्फ नीयत साफ रखो हर गलती माफ होगी।
read moreSushma
Unsplash शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो इतनी आँखें गिरी जमीं पर कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ कॉलर में अटकी थी कुछ उलझी थी बालों में गर्दन के पीछे चिपकी मिली कुछ उंगलियों में पोरों में, कुछ नशीली कुछ रसीली कोई बेशर्मी से भरी हुई ये आंखें ऐसी क्यों हैं? उनकी हमारी सी आंखें पर इतना अंतर क्यों है? मैं रोज़ प्रार्थना करती हूँ कुछ न चिपका मिले मुझ पर जैसी मैं सुबह जाती हूँ घर से , वैसे साफ सुथरी आऊं वापस मगर ऐसा हो पाता नहीं बोझ उठाये नजरों का हरदम चलते रहना नियति है मेरी, शायद। ©Sushma #Ladki शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो इतनी आँखें गिरी जमीं पर कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ
#Ladki शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो इतनी आँखें गिरी जमीं पर कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ
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