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Parasram Arora
White मेरा वो गमगीन दिन बह गया आंसुओ क़ी बाड़ मे और ज़ब रात हुई तों मै सोचने लगा आज का दिन इतना लम्बा कैसे हुआ? जो काटे नही क्तट रहा था ©Parasram Arora गमगीन दिन
गमगीन दिन
read moreGhanshyam Ratre
नारी बिना अधूरा है संसार है। नारी शक्ति का है जयजयकार।। राष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर सभी महिला माता बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं! ©Ghanshyam Ratre राष्ट्रीय महिला दिवस
राष्ट्रीय महिला दिवस
read moreहिमांशु Kulshreshtha
म़ै.... तुमसे प्रेम करना छोड़ दूँगा उस दिन, जिस दिन, सूर्य परिक्रमा शुरु करेगा पृथ्वी की, जिस दिन, आग लग उठेगी बर्फ़ में, जिस दिन कवियों के बिना लिखी जायेंगी कवितायें बस, उसी दिन तुम्हारे प्रति मेरी भावनायें शून्य हो जायेंगी और मैं, विलीन हो जाऊँगा शून्य में उस दिन....!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha उस दिन...
उस दिन...
read moreranjit Kumar rathour
अब नहीं आओगी न फिर कभी बस इतना ही बोल पाया था जाओ खुश रहना अपना ख्याल रखना अटकी सी थी आवाज मेरी इतना कह कर उसे भर लिया था अपनी बांहों मे ये सब कुछ अचानक से हुआ आवाज रुआसी थी सीने से लगकर बोली आउंगी न मानो ढाडस दे रही थी उस वक्त मै कितना छोटा हो गया था वो छोटी होकर भी बड़ी भींच लिया था इस कदर बांहों मे जैसे ये अखिरी हो पता है अब तो तमाम उम्र यादो संग गुजारनी है उसके लेकिन हा जाते जाते कहा था भूलाना मेरी गलतियों को लेकिन भूलना गलतियों को सिर्फ हमें नहीं खुश रहना अपना ख्याल रखना ©ranjit Kumar rathour आखिरी दिन
आखिरी दिन
read moreranjit Kumar rathour
और आज़ आखिरी दिन है कॉलेज का फिर शायद ही कोई मौका मिले कॉलेज आने का वैसे भी कौन आना चाहता है यहाँ सारे खड़ूस है सिवाय आपके सो आता रहा अब नहीं आना ये शब्द पता नहीं डरावने थे मगर पहली दफा एक आवाज़ निकली आना किसी बहाने बोल नहीं पाया वो समझती बहुत थी बोली आऊंगा न मन रखने के लिए बस इतने ही दिनों का साथ था शुक्रिया तुम्हारा तुमने जीवन मे एक नया पन्ना जोड़ा ©ranjit Kumar rathour आखिरी दिन
आखिरी दिन
read moreNarendra Vyawhare
लहानपणी शाळेत जायचो तेव्हा विद्धेची देवता म्हणून 'देवी सरस्वती' ची ओळख झाली, पण जेव्हा पुस्तकं वाचली तेव्हा कळालं की हिच पुस्तक वाचता यावी म्हणून स्त्री समाजाला स्वतंत्र जगता यावं आणि गोरगरिबांची लेकर सुशिक्षित व्हावी यासाठी सावित्री ज्योतीनी पुढाकार घेऊन आम्हला स्वतःच्या पायावर उभ केल.ना की कुण्या देवी -देवतांनी. ©Narendra Vyawhare महिला दिन मराठी कविता मराठी कविता प्रेम मराठी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी
महिला दिन मराठी कविता मराठी कविता प्रेम मराठी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी
read moreRajendrakumar Jagannath Bhosale
प्रबोधन गीत स्त्री दास्यत्व झुगारून ज्ञान दीप चेतवून शिक्षणाची दोरी ओढली शाळा मुलींची काढली ll धृ ll वंचित बहुजनांसाठी घेतले ज्ञान महिला शिक्षिका प्रथम बहुमान मुलींसाठी शाळा काढली महात्मा फुल्यांची सावली ll १ll बावनकशी काव्यलेखन दीनदलितांसाठी वेचले कण विधवासाठी माय साऊ धावली सत्यधर्म तत्वे आचरलीll २ll विसरू नका तिच्या त्यागाला सामाजिक कार्य कर्तृत्वाला स्वाभिमानी ज्ञानज्योती दिली स्त्रीमुक्तीची ठिणगी सुलगली ll ३ll ©Rajendrakumar Jagannath Bhosale बालक दिन
बालक दिन
read moreअश्लेष माडे (प्रीत कवी )
हाडामासाचा फक्त शरीर नव्हे जन्म देणारी जन्मदात्री आहे ती नऊ महिने वेदना सहन करणारी वेदनारहित 'स्त्री' आहे ती.. फक्त संभोगासाठी नसते 'स्त्री' जन्म आणि पोषण असे दर्शन एकावेळी देणारी आहे ती दोन मासाचे गोळे आणि योनी एवढंच बघतो पुरुष खरं तर प्रचंड वेदना सहन करून जन्म देणारी 'स्त्री'आहे ती... प्रेम तिच्या शरीरावर की तिच्यावर असतं ? प्रसूती च्या वेळी पुरुषाला लाजवणारी आहे ती करावीच माणसाने एकदा स्त्री ची प्रसूती कळेलच किती कणखर आहे ती... नुसती हौस पूर्ण करण्यासाठी नसते पुरुषाला पूर्ण करणारी आहे स्त्री आहे ती कोणासाठी काहीही असो तिला बघण्याचा दृष्टिकोन आई,बहीण,बायको अशा अनेक नात्यांची जन्मदाती आहे ती... ©अश्लेष माडे (प्रीत कवी ) मराठी कविता संग्रह महिला दिन मराठी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी मराठी कविता संग्रह
मराठी कविता संग्रह महिला दिन मराठी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी मराठी कविता संग्रह
read moreseema patidar
White एक दिन के इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है हमारे इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है एक दिन बैठते है दिनों बाद साथ में हम और फिर उस दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है। ©seema patidar एक दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है
एक दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है
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