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Parasram Arora
White वे भी क्या दिन थे ज़ब मै ठहाके मार कर हँसा करता था बिना शिकायत के जिंदगी बसर करता था छोटे छोटे खबाब देख कर जिंदगी के दिन काट लिया करता था रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया और बचपन पीछे छुटता गया और मै जवान होता गया ©Parasram Arora भी क्या दिन थे
भी क्या दिन थे
read moreHarshit Rajasthani Official
Unsplash दो दिन की जिंदगी है हंस कर जी लीजिए, कोई भरोसा नहीं ये जिंदगी कब किस मोड़ पर विराम दे जाए। ©Singer Harshit Rajasthani दो दिन की जिंदगी
दो दिन की जिंदगी
read moreअश्लेष माडे (प्रीत कवी )
हाडामासाचा फक्त शरीर नव्हे जन्म देणारी जन्मदात्री आहे ती नऊ महिने वेदना सहन करणारी वेदनारहित 'स्त्री' आहे ती.. फक्त संभोगासाठी नसते 'स्त्री' जन्म आणि पोषण असे दर्शन एकावेळी देणारी आहे ती दोन मासाचे गोळे आणि योनी एवढंच बघतो पुरुष खरं तर प्रचंड वेदना सहन करून जन्म देणारी 'स्त्री'आहे ती... प्रेम तिच्या शरीरावर की तिच्यावर असतं ? प्रसूती च्या वेळी पुरुषाला लाजवणारी आहे ती करावीच माणसाने एकदा स्त्री ची प्रसूती कळेलच किती कणखर आहे ती... नुसती हौस पूर्ण करण्यासाठी नसते पुरुषाला पूर्ण करणारी आहे स्त्री आहे ती कोणासाठी काहीही असो तिला बघण्याचा दृष्टिकोन आई,बहीण,बायको अशा अनेक नात्यांची जन्मदाती आहे ती... ©अश्लेष माडे (प्रीत कवी ) मराठी कविता संग्रह महिला दिन मराठी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी मराठी कविता संग्रह
मराठी कविता संग्रह महिला दिन मराठी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी मराठी कविता संग्रह
read moreShashi Bhushan Mishra
आज, कल, परसों पे टलता जा रहा, साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा, तैरने वाले गये उस पार कबके, कुछ किनारे हाथ मलता जा रहा, भूलने वाले भुला बैठे अदावत, टीसने वाले को खलता जा रहा, जम गई है बर्फ़ सी संवेदनाएं, वेदना से ग़म पिघलता जा रहा, कोई बच पाया नहीं इस काल से, समय की चक्की में दलता जा रहा, संभलकर ही कर्म करना जगत में, भाग्य बनकर बीज फलता जा रहा, ज्ञान दीपक से मिटे अंधियार 'गुंजन', हृदय में सुख-शांति पलता जा रहा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #दिन निकलता जा रहा#
#दिन निकलता जा रहा#
read moreseema patidar
White एक दिन के इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है हमारे इंतजार में कितने दिन गुजर जाते है एक दिन बैठते है दिनों बाद साथ में हम और फिर उस दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है। ©seema patidar एक दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है
एक दिन को गुजरे कितने दिन गुजर जाते है
read moreGhumnam Gautam
White हम अपनी बात कहें और तुम अपनी बात कहो रात को हम कह देंगे दिन,तुम गर दिन को रात कहो ©Ghumnam Gautam #good_night #बात #दिन
Ravindra Rajdev
White Good evening Nojoto friends 💖💖💖💖💖 ©Mr.Ravi Rajdev #GoodMorning advocate SURAJ PAL SINGH Kamlesh Kandpal Anju Sumit Raj Chauhan Rakesh Srivastava महिला दिन मराठी कविता वाढदिवसाच्या श
#GoodMorning advocate SURAJ PAL SINGH Kamlesh Kandpal Anju Sumit Raj Chauhan Rakesh Srivastava महिला दिन मराठी कविता वाढदिवसाच्या श
read moreनवनीत ठाकुर
नौकरी करने वालों, न करो खुद पर इतना गुमान, उस खामोश औरत की मेहनत को भी पहचानो, जो है घर की असल जान। बिन वेतन, बिन तालियों के वो हर दिन खप जाती है, हर मुश्किल को मुस्कुराकर सह लेती है, फिर भी चुप रह जाती है।" "वो है घर की बुनियाद, हर सुख-दुख की साथी, उसके बिना अधूरी है हर खुशी, हर बात प्यासी। चुपचाप समेटे रखती है अपने आंचल में घर की रौनक, उसकी मेहनत से घर में बसी है सुख-शांति की सौगात।" "हवा की तरह बहती, फिर भी उसकी पहचान खो जाती है, घर में हर खुशी का रंग, वो खुद मिटकर सजाती है। वो हर दर्द, हर ग़म छुपाकर अपनी मुस्कान सजाती है, अपने हर कदम से घर में नयापन और उजाला लाती है।" "वो ही है जो चुपचाप सारा भार उठाती है, घर की महक और खुशियों की जड़ बन जाती है। ©नवनीत ठाकुर #महिला