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jitendra sharma
Sultan Mohit Bajpai
अश्क ,रुसवाईयां ,तनहाईयों में डूबा अजाब यहीं होता है ,मुहब्बत का आखिरी हासिल ©Sultan Mohit Bajpai अश्क ,रुसवाईयां ,तनहाईयों में डूबा अजाब यहीं होता है ,मुहब्बत का आखिरी हासिल सुल्तान मोहित बाजपेई #merasheher #Nojoto #Love #SAD #Music
Aftab @123
Sultan Mohit Bajpai
किराया ––––– दरअसल ,हमारी खिड़की से थोड़े–थोड़े पहाड़ दिखते है ,कभी–कभी बादल धुंध और कुहासा छटने पर भूली बिसरी यादों की तरह, जब मैं लौटता हूं शाम को मजदूरों की भीड़ के साथ थका हारा तब अचानक से मेरी बगल में समूची भीड़ का नेतृत्व करने आ जाती है तुम्हारी क्रांतिकारी स्मृतियां वो मुझे युद्ध में अकेले खड़े पहाड़ों जैसी लगती है शायद दुनियां का सबसे पहला क्रांतिकारी अपनी प्रेयसी से पहाड़ों की तरह प्रेम करता होगा या हो सकता है क्रांति और प्रेम की संकल्पना भी पहाड़ों से हुई हो पता नही पर मुझे पहाड़ पसंद है बस इसी लिए मैं रुका हूं यहां की पहाड़ों को देखने के लिए मुझे कभी कोई किराया नही देना पड़ता •••• ©Sultan Mohit Bajpai किराया ––––– दरअसल ,हमारी खिड़की से थोड़े–थोड़े पहाड़ दिखते है ,कभी–कभी बादल धुंध और कुहासा छटने पर भूली बिसरी यादों की तरह, जब मैं लौटता हू
Sultan Mohit Bajpai
थोड़ी थोड़ी मौत –––––––– शून्य से देखता हमे मिट्टी का एक तीक्ष्ण मानव शून्य में धीरे धीरे होता है परिवर्तन और फिर शून्य हो जाता है हम सबका मस्तिष्क तब बाज धीरे धीरे नोंचने लगता है कबूतर का मीठा मांस बिखरने लगता है घोंसले का एक एक तिनका होने लगती है थोड़ी थोड़ी मौत मरने लगता है समाज •••• ©Sultan Mohit Bajpai थोड़ी थोड़ी मौत –––––––– शून्य से देखता हमे मिट्टी का एक तीक्ष्ण मानव शून्य में धीरे धीरे होता है परिवर्तन और फिर शून्य हो जाता है हम सबका
pramod malakar
नम् से आंखें बन्द हो रही,अब दिल से है आंसू बह रहा ,, मेरी आत्मा जो है तन में , आप से है कुछ कह रहा ।। ******************************************** अभी अटल जी सो रहे हैं , मात्री भुमी कि गोद में । छुट्टीयों में गये हैं वो , नई राजनिति की खोज में ।। दिपक अभी बूझा नहीं है , दरवाजा बन्द हो गया है । अटल जी कि आत्मा , भीतर शान्त सो गया है ।। आमावश्या कि रात है , चांद फिर निकल आएगा । देश कि राजनिति को , नया राह दिखलाएगा ।। दुर्लभ तन तुष्य में , विलीन हो गया है । दर्पण जो था मुखारविंद में , निलगगन में ,कहीं खो गया है ।। प्रांगण था यह देश अटल का , प्रतिज्ञ स्मरण हो गया है । कवीताओं में धधक थी जोलाहल का , आज पुष्प गंध में खो गया है ।। ****************************** मेरी ओर से कवीता के द्वारा अटल जी को दी गई श्रधांजली प्रमोद मालाकार , जमशेदपुर , झारखण्ड , भाजपा ।। ©pramod malakar #भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी को श्रद्धांजलि
Slumdog Entertainment
सुसि ग़ाफ़िल
१.दूध का डोलू २.आखरी स्तंभ मैंने देखा है जैसे छोटा बच्चा पड़ोसी से दूध का डोलू भरवा कर लाता है और रास्ते में आते आते वह ढोलू छलकने लगता है हालांकि उसका ढक्कन बंद होता
Ankit Srivastava
एक 21 बरस के लड़के के आत्महत्या करने की खबर सुनकर 65 वर्षीय वृद्ध के मुख से कहते हुए सुना, "ये आजकल के लड़के इन्होंने दुनिया नहीं देखी अभी और जरा सी परेशानियों में हार मानकर क्या कर ले रहे हैं"। (शेष अनुशीर्ष में पढ़ें) __ नव्या बाजपेई एक 21 बरस के लड़के के आत्महत्या करने की खबर सुनकर 65 वर्षीय वृद्ध के मुख से कहते हुए सुना, "ये आजकल के लड़के इन्होंने दुनिया