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Surbhi Awasthi
White तेरी मर्जी से ढल जाऊं हर बार ये मुमकिन तो नहीं मेरा भी अपना वजूद है , मैं कोई आईना तो नहीं .....!! काश तुम मुझे समझ पाते Virat.. ©Surbhi Awasthi #Couple sakshi Pandey Ishika ghost is the host प्रिय-अंक
Dharm Chand Paliwal
खोया हूं तुम्हारे खयालो मे जमाने का कोई होश नही ना समझो मुझे तुम दीवाना इतना भी मै मदहोश नही चला तेरा जादू कुछ ऐसा धडकन मेरी खामोश नही नजरें बन गई अब तेरी मुझमें इनका आघोश नही ©Dharm Chand Paliwal #lakeview IshQपरस्त प्रिय-अंक बाबा ब्राऊनबियर्ड Anshu writer indu singh
प्रिय-अंक
तेरी तस्वीर से फुर्सत मिले तो आईना देखूँ, मगर जब आईना देखूँ तुम्हारी याद आती है। ©प्रिय-अंक #aaina तेरी तस्वीर से फुर्सत मिले #प्रिय अंक
Surbhi Awasthi
उसकी हर इक याद में लज्जत होती है पहली मोहब्बत पहली मोहब्बत होती है तेरे साथ नहीं है तो एहसास हुआ कि इक तस्वीर की कितनी कीमत होती है क्यों कि पहली मोहब्बत पहली मोहब्बत होती है 𝚖𝚒𝚜𝚜 𝚢𝚘𝚞 𝚢𝚛𝚛 ©Surbhi Awasthi #oddone प्रिय-अंक
Surbhi Awasthi
आओ मिलकर ढूंढ ले कोई वजह एक होने की यू बिखरे बिखरे ना तुम अच्छे लगते हो ना हम ©Surbhi Awasthi #longdrive प्रिय-अंक
sakshi Pandey
Vishnu Bhagwan जो भी चाहो सरे आम हो जाएगा, मेरा नाम ले देना तुम्हारा काम हो जायेगा…! ©sakshi Pandey #vishnubhagwan अभिषेक योगी (alfaaz_बावरे) Surbhi Awasthi DEEPAK SHUKLA प्रिय-अंक M.k.kanaujiya
Surbhi Awasthi
अब जिन्दगी थमी सी रहती है एक आपकी कमी सी रहती है आजकल रहता नहीं दिल आस पास और हर शाम आंखों में एक नमी सी रहती है ...!! 𝙢𝙞𝙨𝙨 𝙮𝙤𝙪 𝙮𝙧𝙧 ©Surbhi Awasthi #GingerTea sakshi Pandey प्रिय-अंक DEEPAK SHUKLA
Ankit Upadhyay....
चेहरों के बाजार में आईना भी बेचा गया नजर में आने वालों को नज़रिया भी दिया गया कहानियाँ ईमान की फैली ही नहीं शहर में "अंक" बेईमानियों के प्रसंग से अखबार सजाया गया आसमां बनते-बनते जमीन को कुचला गया चांद -सा रौशन इलाका अंधेरों का होता गया निभाने वाले ईमान पर दाग भी लगाए गए जश्न के माहौल में देश ही बदल गया एक अकेला क्रांति के फिर भी लगाए नारे यहां आँधियों के वार से पेड़ भी लड़ता गया खूब चलते है चाकू कितनों के सीने तलें अखबार के पृष्ठों में देश कहानियाँ पढ़ता गया जनतंत्र करता है शोर रसातल के मेहमान का मोल -तोल करते नहीं है चुनावी-प्रचार का अखबार ही क्या जवाबदेह है? लोकतंत्र के इस विकार का दफ़्तरों में मौन-मुखौटो से दीनों की बात हुई है दीमकों को कागज़ो -सी खुराकी मिल गई है मानवों में दानवों -सा रक्त बह गया है मानो कलमों को कलम ही रहने दो मत प्रलोभन के स्वर को मानो प्रतिवर्ष तन मन की निर्मलता से विवेक,त्याग और कौशलता से फूलों-सा ईमान आता है देश जानूस-सामना के परिवेश में दीमकों का बनता है भेंट ©Ankit Upadhyay.... #traintrack #कविता #भष्टाचार #Corruption #अंक #लेखन #मेरेशब्द #नोजोटो #Nojoto #आलोचक