Find the Latest Status about राजनीतिक द्वेष from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, राजनीतिक द्वेष.
Devesh Dixit
गरल (दोहे) गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान। कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।। दुष्ट धरे जो भावना, वो बदले की राह। मर्म उसे सोहे नहीं, उसको क्या परवाह।। गरल धरे जो कंठ में, वो हैं भोले नाथ। दुष्टों का संहार कर, भक्तों का दें साथ।। करे गरल का त्याग जो, सज्जन उसको मान। छोड़ सभी वह द्वेष को, करता सुख का पान।। गरल भरे आस्तीन में, छिप कर करता वार। अपमानित होता तभी, मन में रखता भार।। .............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #गरल #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry गरल (दोहे) गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान। कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।। दुष्ट धरे
Kajal The Poetry Writer
White लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं, पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बता सकूं,, उसके स्नेह और प्यार को चंद लफ्जो में जता सकूं।। वो कहती हैं, जब बता आज क्या खाया तूने, तब अहसास होता हैं कि मां का साया भी पाया हैं मैंने।। उसके जीवन भर प्रेम ,त्याग का मेरा अनुमान व्यर्थ हो जायेगा,, जो नापू मै पोर्वो पर उसका मेरे सारे काम करना, मेरा जीवन अनर्थ हो जायेगा।। जब वो बोले तू आजा न मैं तेरे लिए कुछ खास बनाऊंगी,, उस पर लिख कर 4 लफ्ज़ मैं कैसे महान बताऊंगी।।। मैं क्या लिखूं उस पर कुछ खास, जो मेरी दुनिया इतनी सुंदर लिखने वाली हो,, वो प्यार हैं, परोपकार हैं,, मीठा सा दुलार हैं,, जो कायनात ने नवाजा रब का दिया उपहार हैं।। न द्वेष हैं, न लालच शेष हैं।। जीवन का आधार हैं वो मां हैं,, इसलिए विशेष हैं।। Happy mother's day 💐❤️ mammy lot's of love. ©Kajal The Poetry Writer #mothers_day लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं, पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बत
Devesh Dixit
जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना है, आती मुसीबत से भी बचना है। कौन कहाँ पर कब कैसे घेरे, काट कर बातों को वो मेरे। मुझ पर ही हावी हो जाए, काम ऐसा कुछ कर जाए। उलझ जाऊँ मैं तब घेरे में, शतरंज के फैले इस डेरे में। शह-मात का चलन रहा है, देख पानी सा रक्त बहा है। युद्ध छिड़ा धन सम्पत्ति पर, कभी नारी की इज्जत पर। भाई-भाई में द्वेष बड़ा है, देखो कैसे अधर्म अडा़ है। खून के प्यासे दोनों भाई, महाभारत की देते दुहाई। प्रेम भाव सब ख़त्म हुआ है, ये जीवन अब खेल हुआ है। सभ्यता ही सब गई है मारी, बुजुर्गों का जीवन ये भारी। मिले नहीं सम्मान उन्हें अब, संतानें ही विद्रोह करें जब। कलियुग का ये प्रभाव सारा, किसने किसको कैसे मारा। संस्कारों की बलि चढ़ी है, मुश्किल की ही ये घड़ी है। होती है ये अनुभूती ऐसी, शतरंज में दिखती है जैसी। .......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना ह
Devesh Dixit
आईना जो कहे आईना जो कहे, वो स्वीकार नहीं किसी को, अगर कहे वो झूठ, तो मुस्कान दे सभी को। पर ऐसा होना कदापि संभव नहीं यहाँ, ये तो वो सच्चाई है, जो पैगाम दे सभी को। निहारते अकसर, जिसे देखकर सभी, दिखा दे अगर वही तो बद्सूरत कभी। फेंक आते उसे कहीं बेगानों सा, और नया आईना फिर ले आते तभी। दिखना है सुंदर यह चाहते भी सभी, पर कहाँ अंदर खुद के झाँकते कभी। द्वेष भावना ही देखो मन में पाले, ऊपर से भरोसे का भी गला घोंटते तभी। आईना ये वो है जो, चेहरे सबको दिखाता है, किसी को साफ, किसी को भद्दा दिखाता है। बुरा न मानना कभी, ये फितरत है इसकी, टुकड़ों में बंटकर ही, ये तब दरार दिखाता है। जब तक है सलामत, तब तक एक दिखाता है, हो जाते जब टुकड़े इसके, कई रूप दिखाता है। छोड़ कर उसे तब सभी आगे बढ़ जाते ऐसे, जैसे की वो जिंदगी की उन्हें सीख सिखाता है। ............................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #आईना_जो_कहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आईना जो कहे आईना जो कहे, वो स्वीकार नहीं किसी को, अगर कहे वो झूठ, तो मुस्कान दे सभी को। पर ऐ
अदनासा-
अपने विचारों को घृणा एवं द्वेष से, कदापि प्रदूषित ना होने दें, यह मानवता एवं समाज दोनों को, पूर्णतया विकलांग बना देती है, अपितु स्वयं के पतन का पथ प्रशस्त कर, केवल सर्वनाश ही करती है। Never Let Your Thoughts, Get Polluted With Hatred And Malice, It Completely Cripples Both Humanity And Society, But Only Leads To Destruction, By Paving The Path Of One's Own Downfall. ©अदनासा- #हिंदी #घृणा #द्वेष #Hatred #Malice #मानवता #समाज #Humanity #Society #अदनासा
Yogi Sonu
भारत के सोलह संस्कार जन्म से मृत्यु तक परिवर्तन की आंधी में भी सत्यम शिवम् सुंदर को लिए खड़ी है अपने सभी राग द्वेष को त्याग्ते हुए प्रभू के धाम पहुंचने तक की यात्रा शून्य से शून्य तक की यात्रा । ©Yogi Sonu #Holi भारत के सोलह संस्कार जन्म से मृत्यु तक परिवर्तन की आंधी में भी सत्यम शिवम् सुंदर को लिए खड़ी है अपने सभी राग द्वेष को त्याग्ते हुए प्र
संगीत कुमार
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. ऊंच नीच की ऐसी तैसी मिलजुल हम सब गाये प्रीति रंग गुलाल लगाये मिलजुल खेले खूब प्रीत की होली ऊंच नीच की ऐसी तैसी ईर्ष्या द्वेष को दूर भगाये प्रीत की खूब अलख जगाये मिलकर हमसब सुसंगीत गाये आओ आओ होली खेले ऊंच नीच की ऐसी तैसी खूब मिठाई हम सब खाये आओ आओ त्यौहार मनाये कटुता को मन से दूर भगाये हिया में खूशी का रंग घोल डाले ऊंच नीच की ऐसी तैसी खूब रंग हम सब मिल डाले भींगे तन मन खिल जाये गालो पर गुलाल लगाये अधरों पर मुसकान छा जाये ऊंच नीच की ऐसी तैसी ©संगीत कुमार #holi2024 ऊंच नीच की ऐसी तैसी मिलजुल हम सब गाये प्रीति रंग गुलाल लगाये मिलजुल खेले खूब प्रीत की होली ऊंच नीच की ऐसी तैसी ईर्ष्या द्वेष
संगीत कुमार
ऊंच नीच की ऐसी तैसी मिलजुल हम सब गाये प्रीति रंग गुलाल लगाये मिलजुल खेले खूब प्रीत की होली ऊंच नीच की ऐसी तैसी ईर्ष्या द्वेष को दूर भगाये प्रीत की खूब अलख जगाये मिलकर हमसब सुसंगीत गाये आओ आओ होली खेले ऊंच नीच की ऐसी तैसी खूब मिठाई हम सब खाये आओ आओ त्यौहार मनाये कटुता को मन से दूर भगाये हिया में खूशी का रंग घोल डाले ऊंच नीच की ऐसी तैसी खूब रंग हम सब मिल डाले भींगे तन मन खिल जाये गालो पर गुलाल लगाये अधरों पर मुसकान छा जाये ऊंच नीच की ऐसी तैसी ©संगीत कुमार #Holi ऊंच नीच की ऐसी तैसी मिलजुल हम सब गाये प्रीति रंग गुलाल लगाये मिलजुल खेले खूब प्रीत की होली ऊंच नीच की ऐसी तैसी ईर्ष्या द्वेष को द