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Pnkj Dixit
#OpenPoetry स्वादिष्ट व्यंजनों से काया तृप्त होती है । सप्रेम स्वर व्यंजन का भी आहार लिया कीजिए । हींग पुदीना गुड़ छाछ लाभकारी है । रस छंद अलंकार से शुद्ध सृजन किया कीजिए । वर्ण - वर्ण के लोग यहाँ , भांति-भांति परिवेश है । उर्दू हिन्दी की छोटी भगिनी,गूढ़तम प्रयोग किया कीजिए । आचार-विचार, रहन-सहन अनेकानेक विषमता बहुत है । पर ,संस्कृति संस्कार भारतीय एकता,प्रचार किया कीजिए । ३०/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' स्वादिष्ट व्यंजनों से काया तृप्त होती है । सप्रेम स्वर व्यंजन का भी आहार लिया कीजिए । हींग पुदीना गुड़ छाछ लाभकारी है । रस छंद अलंकार से शु
Pnkj Dixit
#OpenPoetry स्वादिष्ट व्यंजनों से काया तृप्त होती है । सप्रेम स्वर व्यंजन का भी आहार लिया कीजिए । हींग पुदीना गुड़ छाछ लाभकारी है । रस छंद अलंकार से शुद्ध सृजन किया कीजिए । वर्ण - वर्ण के लोग यहाँ , भांति-भांति परिवेश है । उर्दू हिन्दी की छोटी भगिनी,गूढ़तम प्रयोग किया कीजिए । आचार-विचार, रहन-सहन अनेकानेक विषमता बहुत है । पर ,संस्कृति संस्कार भारतीय एकता,प्रचार किया कीजिए । ३०/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' स्वादिष्ट व्यंजनों से काया तृप्त होती है । सप्रेम स्वर व्यंजन का भी आहार लिया कीजिए । हींग पुदीना गुड़ छाछ लाभकारी है । रस छंद अलंकार से शु
Archana Tiwari Tanuja
शिक्षक ही होते है ज्ञान, बुद्धि, विद्या के दाता, जनमानस को राह दिखाते बन भाग्य विधाता । थाम कर उगली हमे कलम पकड़ना सिखाया, स्वर वयंजन की माला गुथ सुंदर हार बनवाया। जब कभी मै हुई निराश और कमजोर लक्ष्य से, मात-पिता सम नेह और प्यार का जोड़ा नाता । सृष्टि के कण-कण से साक्षात्कार करते हो सदा, देश-दुनिया का हाल शिक्षा के माध्यम से बताते। उज्वल भविष्य हो सके आज पर ही नीव धरते, जो कुछ भी हमें मिला है उसके तुम ही हो दाता। जब कभी हो जाती भूल हमसे अज्ञानता वश, बन मार्गदर्शक बन ज्ञान की सच्ची राह दिखाते। जो तुम न आते जीवन मे हमारे ऐ गुरुदेव जी, सही गलत का बोध हमें तुम बिन कौन कराता ।। ©Archana Tiwari Tanuja #शिक्षकदिवस #Teachersday #Nojoto #MyThoughts 05/09/2023 शिक्षक ही होते है ज्ञान,बुद्धि,विद्या के दाता, जनमानस को राह दिखाते बन भाग्य वि
KUNDAN KUNJ
#विषय # बच्चों तुम ये समझो ना रे, हिन्दी बस है एक खेल रे। अपनी है ये मातृभाषा, स्वर व्यंजनों का मेल रे।। बच्चों तुम................ रे, ..................... खेल रे। {२} जब इसकी 52 अक्षरों को समझ जाओगे, अपनी लवों से ही इसकी गुणों को गाओगे। सभी भाषाओं से है इसकी अलग पहचान रे, भू की हर रज कण में बसा है इसकी जान रे।। बच्चों तुम................ रे, ..................... खेल रे। {२} देवों की है मुख की वाणी, है देवनागरी जिसकी लिपि रे । अलंकारों से है सुशोभित, जिसके बदन की हर शेल रे।। बच्चों तुम................ रे, ..................... खेल रे। {२} ये है भौतिकी, रसायन शास्त्र, भूगोल और इतिहास का मेल रे। बिना इसके पढें तुम तो होंगे, जीवन के परीक्षा में फेल रे।। बच्चों तुम................ रे, ..................... खेल रे। {२} ✍🏻कुंदन, पूर्णिया (बिहार) #हिन्दी # बच्चों तुम ये समझो ना रे, हिन्दी बस है एक खेल रे। अपनी है ये मातृभाषा, स्वर व्यंजनों का मेल रे।। बच्चों तुम..
Divyanshu Pathak
प्रेम पंथ की बनकर किताब तुम मेरे सामने आती हो ! एक अल्हड़ से मस्त भ्रमर को तुम पाठक कर जाती हो !! स्वर व्यंजन के शब्द जाल को चुपके से यार बिछाती हो ! सन्धी कर खुद हो समास तुम प्रत्यय मुझे बनाती हो !! क्रियाविशेषण सर्वनाम सब तुम उपसर्ग लगाती हो ! महाप्राण का कारक बन अन्तःस्थ हृदय हो जाती हो !! प्रेम पंथ की बनकर किताब तुम मेरे सामने आती हो ! एक अल्हड़ से मस्त भ्रमर को तुम पाठक कर जाती हो !! स्वर व्यंजन के शब्द जाल को चुपके से यार बि
Sonam Jain
अ , आ , इ , ई से क , ख , ग की वर्णमाला में खेलती , मेरी हिंदी स्वर व्यंजन की टोली में बंट जाती , मेरी हिंदी शब्दों में पलकर बड़ी होती , मेरी हिंदी वाक्य की लंबाई थामकर खड़ी होती , मेरी हिंदी वाक्यांश कि ओर रुख मोड़ती , मेरी हिंदी कहानी कविता में खुद को जोड़ती , मेरी हिंदी अल्प विराम , पूर्ण विराम में आराम करती , मेरी हिंदी संधि समास में टूटकर बिखर जाती , मेरी हिंदी संज्ञा , सर्वनाम , क्रिया , विशेषण में झलकती , मेरी हिंदी भूत , भविष्य , वर्तमान काल में बदलती , मेरी हिंदी रस , छंद , अलंकार में संवर जाती , मेरी हिंदी एक कवि की सोच से होकर गुजर जाती , मेरी हिंदी एक भारतीय को परिभाषित करती , मेरी हिंदी जुबां का स्वाद बन दिल में बस जाती , मेरी हिंदी मातृ भाषा से राष्ट्र भाषा का सफर तय करती , मेरी हिंदी संस्कृत , उर्दू , अंग्रेजी , मलयालम , बांग्ला , उड़िया , कन्नड़ , राजस्थानी , पंजाबी , गुजराती हो या कोई अन्य भाषा सबको अपनाती , मेरी हिंदी सोनम #HindiDiwas2020 #hindi #14sept #language #nojoto #nojotohindi #Merihindi #prem #kavita मेरी हिंदी अ , आ , इ , ई से क , ख
रजनीश "स्वच्छंद"
हिंदी इंग्लिश मेल।। बच्चों आओ तुम्हे बताऊं, हिंदी इंग्लिश का मेल सरल, जो युक्ति आ जाये समझ, पीना न पड़ेगा तुमको गरल। हमने सुना है तुमने सुना है, आर्टिकल ए ऐन द को, कहाँ कहाँ लगते हैं आओ जानो तुम मकसद को। बोलो कब तुम्हे क्या है बताता ए ई आई ओ यू है, इनके बीच मे आओ जाने हिंदी की क्या वैल्यू है। हिंदी को तुम कर याद, स्वर व्यंजन का अंतर जानो, कैसे लगेगा ए और ऐन, सरल सटीक मंतर जानो। अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अँ अ: रख लो याद, फिर देखो कितना सरल होगा अपना ये संवाद। उच्चारण में पहले जो स्वर आये तो लगेगा ऐन, जो व्यंजन आ जाये पहले तो कर देना इसका बैन। एक उदाहरण लेता हूँ, चलो करूँ मैं तुमको लायक, हिंदुस्तान में रहते हो तो लेता हूँ मैं नेता विधायक। एमपी कहीं जो लिखा मिले, ऐन वहाँ लग जायेगा, जो मेंबर लिखा मिला तो भाई ए ही काम चलाएगा। ऐन एमपी, ए मेंबर ऑफ पार्लियामेंट है होता, हिंदी जो तूने पढा, फिर क्यों झेंपे क्यूँ है रोता। ए यूनिवर्सिटी और ऐन अम्ब्रेला ही जानो ठीक है, हिंदी स्वर की ये युक्ति बड़ी सरल और सटीक है। ©रजनीश "स्वछंद" हिंदी इंग्लिश मेल।। बच्चों आओ तुम्हे बताऊं, हिंदी इंग्लिश का मेल सरल, जो युक्ति आ जाये समझ, पीना न पड़ेगा तुमको गरल। हमने सुना है तुमने सुन
के_मीनू_तोष