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Gokuksingh Rathore
White वो दिन भी क्या जो आपको याद नहीं कीया भूल कर भी आपने हमें याद नहीं कीया ©Gokuksingh Rathore #GoodMorning भूल गये वो दिन जहां आपने हम को पाया था हमें सब याद है वो दिन जहां हम एक साथ खाना खाया था और उस होटल बिल मेने दिया था क्योंकि आप
#काव्यार्पण
aaj_ki_peshkash
White संगीत की धुन से जीवन को साज़ करें, दिल की गहराईयों में छू जाए वो तार बसाएं। दर्द को आहटों में पिघलाए, संगीत ही है जो रूह को सुकून दिलाए। ©aaj_ki_peshkash #संगीत की #धुन से #जीवन को #साज़ करें, #दिल की गहराईयों में छू जाए वो तार बसाएं। #दर्द को आहटों में पिघलाए, संगीत ही है जो #रूह को #सुकून दि
Dalip Kumar Deep
Shayer tera ©Dalip Kumar Deep 🍂🍂🥀वो भी याद आ जाते हैं जो रुला के गये🥀🥀🍂✍🏿
Ashutosh Mishra
White छल गया छलिया छल से मुझे,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं जान कर भी अंजान रहा वो क्या जाने ,,,,,,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,इस हार में भी जीत है मेरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #mountain छल गया छलिया छल से मुझे मैं जाकर भी अंजान रहा वो क्या जाने,,,,, इस हार मे भी जीत है मेरी। #छल #छलिया KRISHNA Vaibhav's Poetry R
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Sayyu
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
Anjali Singhal
Shivkumar
White ये पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी ऊँचे बन जाओ । ये सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो गहराई सा उसको लाओ । तुम समझ रहे हो न वो क्या कहती है , तु उठ-उठ कर और गिर-गिर कर तटल तरंग सा । तु भर ले अपने इस मन में , तेरी मीठी-मीठी बोल और ये मृदुल उमंग सा ॥ पृथ्वी कहती के ये धैर्य को न छोड़ो , इस सर पर भार कितना ही हो । नभ कहता फैलो इतना कि , तुम ढक लो ये सारा संसार को ॥ ©Shivkumar #mountain #Mountains #Nojoto #कविता ये #पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी #ऊँचे बन जाओ । ये #सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो