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Shiv Narayan Saxena
बोल मधुर हों प्रेम के, जग अपना हो जाय। नफ़रत वाले बोल से, अनचाहे झगड़ाय।। ग़लत नीति पर राज्य को, कर विरोध चेताय। देश विरोध न आड़ में, भूले से हो जाय।। दल विरोध की आड़ ले, राष्ट्र से मत कर द्रोह। निरलज अंधा द्रोह में, बनत देश - विद्रोह।। ©Shiv Narayan Saxena #देश_की_बात कैसा और कितना विरोध poetry in hindi
#देश_की_बात कैसा और कितना विरोध poetry in hindi
read morePraveen Jain "पल्लव"
Unsplash पल्लव की डायरी जड़ो से काटकर शिक्षा कैसा ज्ञानी बना रही है उधेड़ रही परिवार समाज की बुनियाद आज रिश्तों की बाँट लगा रही है बढ़ रहे है चरित्रों में दोष वासनाओ में युवा डूबकी लगा रहे है लज्जा हया शर्म सब ताक पर है उच्च शिक्षा पाकर भी निखार उनके जीवन मे नही आ रहा है डिग्रियों के नाम पर भारत का स्वरूप बिगाड़ा जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #leafbook जड़ो से काटकर शिक्षा, कैसा ज्ञानी बना रही है
#leafbook जड़ो से काटकर शिक्षा, कैसा ज्ञानी बना रही है
read moreAjay Tanwar Mehrana
मानने और जानने में फरक होता है , अंधविश्वास भी एक नरक होता है ! हमारे बीच बस अंतर है इतना कि - आप हमें मानते हैं हम तुम्हे जानते है ! पहचानने और चाहने में फरक होता है एक तरफा प्यार भी नरक होता है , हमारी चाहत में बस अंतर है इतना कि हम तुम्हें चाहते बस आप पहचानते हैं ! . ©Ajay Tanwar Mehrana अंतर बीच हमारे poetry on love
अंतर बीच हमारे poetry on love
read moreShiv Narayan Saxena
White अंतर का गृह-युद्ध हमेशा मन से ही तो होता है। मन के ऐसे हालातों का मन खुद आप विजेता है।। मन में ठान लिया सरिता को सागर से मिलवाता है। निरुद्देश्य नालों में बहता जल बस सड़ता जाता है।। ©Shiv Narayan Saxena #GoodMorning अंतर का गृह-युद्ध..... poetry in hindi
#GoodMorning अंतर का गृह-युद्ध..... poetry in hindi
read moreShiv Narayan Saxena
White सबसे बड़ी विडंबना , अंतर का गृह-युद्ध। मुश्किल खुद को जीतना, जीते सोई बुद्ध।। अंतर का गृह-युद्ध यह, किया करे संकेत। खुद को जीते चेत वह, बाकी सभी अचेत।। अंतर के गृह - युद्ध से, बल-मद टूटा जाय। हरि ने करुण पुकार पे, गज को लिया बचाय।। ©Shiv Narayan Saxena #sad_qoute अंतर मन का युद्ध hindi poetry
#sad_qoute अंतर मन का युद्ध hindi poetry
read moreMatangi Upadhyay( चिंका )
वो पुरुष कभी प्रेम की पवित्रता को समझ नहीं सकते जो स्त्रियों को भोग की वस्तु समझते है जो दैहिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रेम करने का नाटक करते है वो ताउम्र बस देह तक रह जाते है कभी स्त्रियों के अंतर्मन तक पहुँच पाना संभव ही नहीं उनसे.. ©Matangi Upadhyay( चिंका ) एक स्त्री का अंतर मन 🤔 #matangiupadhyay #Nojoto #Hindi
एक स्त्री का अंतर मन 🤔 #matangiupadhyay #Hindi
read moreGanesh Din Pal
White हम भी पागल तुम भी पागल हम सब भी पागल पैसों के लिए पागल खुशी के लिए पागल इज्जत के लिए पागल किसी के लिए पागल संसार रूपी मंच पर मंचन के लिए पागल और अंत में इसी पागलपन को पूरा करने के लिए हम पागल होकर मर जाते हैं। ©Ganesh Din Pal #यह कैसा पागलपन?
#यह कैसा पागलपन?
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White हम भी पागल तुम भी पागल हम सब भी पागल पैसों के लिए पागल खुशी के लिए पागल इज्जत के लिए पागल किसी के लिए पागल संसार रूपी मंच पर मंचन के लिए पागल और अंत में इसी पागलपन को पूरा करने के लिए हम पागल होकर मर जाते हैं। ©Ganesh Din Pal #यह कैसा पागलपन?
#यह कैसा पागलपन?
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