Nojoto: Largest Storytelling Platform

हिमांशु Kulshreshtha

जब तुमने..

read more
White जब फैसला लिया तुमने
मुझसे दूर जाने का ,
धड़कनें मेरे दिल की
मुझसे सवाल करने लगीं ,
क्या जिन्दगी के इस सफर में,
यूँ ही अधूरे रहेंगे रास्ते इश्क़ के
अल्फाज़ ए मोहब्बत की तरह

©हिमांशु Kulshreshtha जब तुमने..

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
#Mythology  #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun

F M POETRY

#जब छत पे तुम....

read more
White जब छत पे तुम आ जाते हो ज़ुल्फ़ों को बिखेरे..

चाँद आता है दीदार ही करने को तुम्हारे..


यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #जब छत पे तुम....
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile