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Sansriti Kapoor
वाह रे 2020 तूने क्या खेल रचाया पूरी दुनिया को अपनी उंगली पर नचाया, जीवन में संघर्षों का क्या तीर चलाया, कितनो की आशाओं को जला कर राख बनाया, नजाने कितनो ने रोजगार गवाया, रोटी के लिए भी बच्चे बच्चे को तरसाया, रोया गरीब , बच्चा बच्चा भूखा सोया, अश्कों के दामन से औरत ने अपने घर को सीचा। वाह री 2020 क्या खेल रचाया जीवन को दो रंगो में बाटा, किसी के जीवन में फूल तो किसी ने पाया काटा , कितनो को एक साथ मिलाया, तो कितनो को मौत को घूंट पिलाया, वाह रेे 2020 तूने क्या खेल रचाया, इतिहास में भी होगे चर्चे तेरे तूने जीवन में कितने रंग बिखेरे विद्यार्थियों को घर की रास्ता दिखाया शिक्षा घर को चिकत्सालय बनाया महानगरों को सुनसान बनाया वाह रेे 2020 तूने क्या खेल रचाया, सीख भी तूने दी है अनमोल वरना दुनिया क्या जानती अपने जीवन का मोल, प्रकर्तिक को फिर हरा भरा दिखाया, प्रदूषण पर रोक लगाया, शांत सी नदियां बहती सर सर उड़ते परिंदे फिर से फर फर, शांत हुआ हुआ यह संसार लौट आए फिर अपने संस्कार, सीखा सबने करना नमस्कार दुनिया में नया हो रहा आविष्कार, चलो करते है अब अलविदा तुमको, 2021 का है इंतजार सबको, जोड़ हाथ करे स्वागत, नई उमंगों के दीप जलाकर शुभ मंगल हो जीवन सबका। ©Sansriti Kapoor # स्वागत #2021 # कविता # सच्चाई # जीवन #प्रकृति #bye2020
सुरज उदार तिम्सिना
अामा तिमि कहिले नअाउने संसारमा। उडान भरेको नि नौ वर्ष थाहा नपाई बितेछ दिन बित्दै जादा कहिलेकाही त म अाफुलाई शुन्यतामा पो मन रंग- तरंगमा तिमिलाई मध्य रातको सुनसानमा सधैं घरको काममा व्यस्त भएको झल्याकझुलुक्क सपनीमा देख्छु। लेखक: सुरज उदार तिम्सिना मेरो अामा शिर्षक कविता मन परे लाईक/कमेन्टले स्वागत गर्नुहोला।