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PS T
एक रुका हुआ फैसला था "एक रुका हुआ फैसला" भाई साहब अक्सर मुझे अच्छी फिल्में, शो या यूट्यूब वीडियो, गाने सजेस्ट किया करते हैं। लॉक डाउन के शुरुआती दिनों में 3 हॉलीवुड फिल्में सजेस्ट
Shubham Bharti
#OpenPoetry देश को न जाने कितने साल हुये । काफ़ी गहरी है इसकी धरती । अजीब सच है की मैं अपने देश मे ही नहीं घूम सका हूँ । देश के उन बहोत सारे लोगों की तरह जो एक ही मिट्टी मे जन्म लिये और उसी मिट्टी मे मिल गये । वो सारे लोग जिन्होने एक ही स्थान और एक ही एंगल से देश का लंबा वक़्त देखा । सच मे कितना धैर्य रहा होगा न उनके पास भी । निर्भरता मे पूरा जीवन बिता होगा । कभी डाकिये का इंतज़ार ,कभी आकाशवाणी के न्यूज़ का इंतज़ार,कभी चुनाव मे अपने पसंद के नेताओं को देख पाने का इंतज़ार । सच मे उन्होने कई सालों से कोई यात्रा नहीं की होगी । उनकी यात्रा तो बस घर से खेत और खेत से चौपाल तक रही होगी ।देश मे कितने प्रकार का जीवन है न । एक देश मे न जाने कितने देश हैं । मैंने कई हॉलीवुड फिल्में देखी एक बात कॉमन पाया की उनके जीने का ढंग एक जैसा है । सिस्टम ने यूनाइट कर दिया है बहोत देशों को । हमें देश ने हमेशा आज़ाद कर रखा है । हम अपनी विविधताओं मे स्वतंत्र हैं ,अपने चिंतन मे आज़ाद है । मुझे ये देश ऐसे ही बेहद पसंद है । मैं ऐसे ही इसे स्वीकारता हूँ । मैं इसकी नदियों ,पहाड़ियों ,शहरों ,गाँवों और उसकी अस्मिताओं का बेहद सम्मान करते हुये इसे ऐसे ही अपनाता हूँ । उन सारे लोगों की तरह जिन्होने बारी बारी से देश का बोझा अपने कांधे लिया और जीते चले गये । जिन्होने देश से कुछ भी ज्यादा नहीं मांगा बल्कि इसकी मिट्टी से जो कुछ मिला उसे प्रेम से अपनाया किया । जो कभी राजनीति को नहीं समझ पाये बस सुबह काम पर गये और शाम को लौट आये । जब भी कुछ बुरा हुआ तो एक टीस मन मे बैठ गयी की अरे ऐसा नहीं होना था । देश के वे लोग जो हमेशा इस मिट्टी मे तृप्त रहे । मैं उन साधारण लोगों की बात कर रहा हूँ जो सिर्फ साधारण तरीके से देश के दायित्वों का निर्वहन करते चले गये । जिन्होने देश के हर नियम को स्वीकार किया और कानून को खुद से ज्यादा इज्ज़त दी । जो कुछ भी इनसे कहा गया वो देश के अपने हिस्से से इसे स्वीकारते चले गये । इस आज़ाद देश मे मेरा भी ऐसा ही एक सपना है । मैं कहीं और नहीं जाना चाहता ,बस मैं इसी देश मे मर जाना चाहता हूँ । इस अपनी यात्रा मे मिले अपने ही लोगों की मदद और इस मिट्टी के लिए जो कुछ भी संभव हो सके । मैं भी देश के उन लोगों की तरह अज्ञात रहकर इस देश को अपने पूरे अभिमान के साथ जीना चाहता हूँ । एक ही गाना याद आता है रह रह के ‘” देश मेरे ,देश मेरे ,मेरी शान है तू , देश मेरे देश मेरे मेरी जान है तू’” #OpenPoetry देश को न जाने कितने साल हुये । काफ़ी गहरी है इसकी धरती । अजीब सच है की मैं अपने देश मे ही नहीं घूम सका हूँ । देश के उन बहोत सारे
Qalb
हर आदमी अपनी जिंदगी में हीरो है बस कुछ लोगों की फिलमें रिलीज़ नहीं होती...... #फिल्में
Anjali Jain
बरसों पहले सरस्वती चंद्र फ़िल्म देखी थी, आज इतने बरसों बाद फिर देखी।हृदय गदगद हो गया।क्या अनुभूति हुई, शब्दों में बयाँ करना नामुमकिन है। इतना जरूर कहूँगी,इतनी महान और शानदार फिल्में लिखने और बनाने वाले हमारे देश में है, ये बहुत गर्व की बात है। आप सभी सहृदय भाई बहिनों से अनुरोध है कि सरस्वती चंद्र, गाइड, मदर इंडिया फिल्में जरूर देखें।देखी हुई है तोबहुत अच्छी बात है, न देखी हो तो मेरे कहने से देखें, धन्यवाद देंगे। नई फिल्मों में पा और ध्रुवा भी अवश्य देखें।धन्यवाद!! #महान फिल्में#०९.०८.२० #solotraveller
Ramesh Khichi
डी जे सी फिल्में म्यूजिक कंपनी ©Ramesh Khichi डी जे सी फिल्में म्यूजिक कंपनी
Sukumar Bhandari
आज अवसर है की आज ॐश्री गनेश चतुर्थी है तो मैं एक बात रखने जा रहा हूं तो बात है फिल्मों को ले कर क्या फिल्मों के अनुशार हमारे जीवन मे कुछ बदलाव होता है या हो रहा है जैसे कि कृषी का क्या महत्त है जनता ही देश का शासक है और देश विकसीत हो रहा है और तो और जनता सो रहा है कुछ तो असर होता ही होगा या सिर्फ और सिर्फ मोनोरंजन होता है मैं कोई बडा़ लेखक तो नहीं हूं की मुझे जबाब जाहिए वस एक आम ईन्सान हूं धन्यबाद ©Sukumar Bhandari फिल्में हमपे असर करतें हैं? #GaneshChaturthi