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Swati Mishra
एक बात बताना" जाना" ये जो हर बात पे प्यार का सुबूत मांगते हो, प्यार ही है ना या कोई "इन्क्वारी कमिटी" बैठा रखी है। "साँझ" ©Swati Mishra प्यार की इन्क्वारी कमिटी
Gurwinder Dhillon
यह भी सच्च है पैसे बिना जिंदगी अधूरी है पैसे से होती हमारी हर जरुरत पुरी है लेकिन सब कुछ पैसा भी नहीं होता जिंदगी में इसलिये मेरे दोस्त रिश्ते और पैसे के बीच बैलेंस होना जरूरी है ©Gurwinder Dhillon बैलेंस
Nimisha Mishra HI
मैंने अपने क्रोध पर काबू पा लिया है , क्योकि मुझे जिन से उम्मीद थी, जिनसे प्यार था, वो सब समाप्त कर दिया है । मैंने किसी को ज्यादा प्यार दे दिया इसलिए शायद प्यार कम हो गया सामने वाले का ।अधिक प्यार देने से भी प्यार कम हो जाता है । इसलिए बैलेंस में रहिए ,तो सब बैलेंस रहेगा । ©MishraNimisha® बैलेंस #Death
Anekanth Bahubali
पकोड़े भी क्रेडिट कार्ड स्वाईप करके खा रहा वीकेंड में घर पर ही आंसू बहा रहा मिनी स्टेटमेन्ट भी अब मुझसे देखा नहीं जा रहा मेरे प्यारे छोटे वेतन तू क्यों नहीं आ रहा? बैलेंस #yqbaba #yqdidi #project365
Anekanth B
पकोड़े भी क्रेडिट कार्ड स्वाईप करके खा रहा वीकेंड में घर पर ही आंसू बहा रहा मिनी स्टेटमेन्ट भी अब मुझसे देखा नहीं जा रहा मेरे प्यारे छोटे वेतन तू क्यों नहीं आ रहा? बैलेंस #yqbaba #yqdidi #project365
Ayush kumar gautam
सब बैलेंस है लाइफ में बस तुमने ही इक्वेशंस बिगाड़ रखे हैं क्वार्टिक इक्वेशन है लाइफ तीन रूट फाइंड कर लिये मैने बस तेरे ही नक्से हैं क्वार्टिक इक्वेशन-चतुर्घात समीकरण,रूट-मूल/मान शायर आयुष कुमार गौतम सब बैलेंस है लाइफ में
Anindya Dey
.. सुबह है आई, इस्तक़बाल किजे, तकल्लुफ़ क्यूँ जी, तवज्ज़ो दिजे, कीमत, किफायत से पहले क़द्र किजे, उसूल से वसूल नहीं, प्रीत से जीत लिजे, आईये मुस्कुरा कर, गर्म चाय की चुस्की लिजे..! .. अनिंद्य .. 🌱खुशामदीद..💞 (२१ अक्तुबर २०१७)
Anindya Dey
.. अबके जब तन्हा होंगे हौसले को सवार लेंगे, वस्ल के लम्हों की इत्र फिज़ा में मिला देंगे..! ..🌿खुशामदीद.. 💝 साल २०१७ में लिखी..
Anindya Dey
.. शरीफ़ों पे हुआ असर दिखे अब वो नज़र चाहिये, ऐहसास की क़द्र करने लिहाज़ की नब्ज़ चाहिये.. .. रिवाज़ तहज़ीब के सबब सब रंग सजने चाहिये, ख़ुदा के दुनिया की बारीकियों में गुंजाइश चाहिये.. .. 🌱खुशामदीद..💞 .. माज़ी के मोहल्ले से.. २०१७
Anindya Dey
.. सुबह कूछ फिकी सी उजली थी, नम सी चुभती ठंडक लिये, अंधियारा था तितर-बितर फैला हुआ चादर जैसे, रात अभी पूरी बीती न थी, झूठा मुंह था, रात सा आसमान मैला ज़मीं के पलकों पे नींद का डाले, के कल की थकान उतरी न थी, और रोज़ी को निकले ऊब को संभाले, के भूख किसीकी सगी न थी न माने समझे किसी के हवाले..! ..🌿 खुशामदीद..💞 २०१७ में लिखी गई पंतियां..