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Stories related to अंधियारा किसका प्रतीक है

theABHAYSINGH_BIPIN

#villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।

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Village Life अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी,
यहाँ अब किसका इंतज़ार है।
रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती,
कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।

चल पड़ा हूँ वापस पगडंडी पर,
बस्ती से दूर, एक छोटा सा गांव है।
जहाँ सुकून की मिट्टी से गंध उठती है,
और सपनों का आकाश साफ़ है।

ढूंढ रहा है हर कोई शहर में बसेरा,
पर वहाँ भी ज़िंदगी कहाँ आज़ाद है।
शोर में खो जाती है पहचान अपनी,
बस भीड़ में रह जाता एक फरियाद है।

लौट आओ अपनों के बीच, अभी वक्त है,
ज़िंदगी छोटी है, किसे सरोकार है।
रिश्तों की गरमाहट को महसूस कर लो,
फिर न कह सकेगा दिल, ये जो अंगार है।

शहर के शोर में सब कुछ खो जाता है,
पर दिल सुकून तो अपनों में ही पाता है।
थोड़ा ठहरो, जरा संभालो इन पलकों को,
क्योंकि यादें ही अंत में हमारा संसार हैंl

©theABHAYSINGH_BIPIN #villagelife 
अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी,
यहाँ अब किसका इंतज़ार है।
रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती,
कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।

Lotus Mali

"बर्फ तो पानी बन बह जाता हैं लेकिन ना जानें क्यों....? ये हिमालाय किसका दर्द अपने सीने मैं संभाले खड़ा हैं!" https://lotusshayari.blogspot.

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"बर्फ तो पानी बन बह जाता हैं
लेकिन ना जानें क्यों....?
ये हिमालाय किसका दर्द
अपने सीने मैं संभाले खड़ा हैं!"
https://lotusshayari.blogspot.com/

©Lotus Mali "बर्फ तो पानी बन बह जाता हैं
लेकिन ना जानें क्यों....?
ये हिमालाय किसका दर्द
अपने सीने मैं संभाले खड़ा हैं!"

https://lotusshayari.blogspot.

Public servant Lokendra Singh

जिंदगी है तों सब कुछ है

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katha Darshan

किसका परिचय - Katha Darshan

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Riyanka Alok Madeshiya

#चलना है विश्राम नहीं है

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White चलना है विश्राम नहीं है.... 
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चलना है विश्राम नहीं है। 
व्यर्थ में करना आराम नहीं है। 
अमूल्य समय गंवाने से, 
बनता कोई काम नहीं है। 

समय जो एक बार चला जाएगा। 
वापस वह लौट कर नहीं आएगा। 
चाहे तुम जितना जोर लगा लो, 
समय का चक्र तो ना घूम पाएगा। 

जीवन को ना समझो  सुमन-पथ। 
यह तो है ;बिन पहियों का रथ। 
खींच कर तुमको ले जाना है, 
और पार करना है यह अग्निपथ। 

 संकल्प और स्वाभिमान जीवन पथ पर संगी होंगे। 
तभी तो पूर्ण जीवन के हर एक सपने होंगे। 
अनवरत हो आगे ही आगे जब तुम बढ़ते जाओगे, 
तो कांटे भी इस पथ के फूलों से कोमल होंगे। 

स्वरचित और मौलिक

रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya #चलना है विश्राम नहीं है

F M POETRY

#चाँद है हुश्न पे इतराता है....

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White  छिप भी जाता है नज़र आता है..

चाँद है हुश्न पे इतराता है..


यूसुफ आर खान...

©F M POETRY #चाँद है हुश्न पे इतराता है....
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