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Anamika Nautiyal
माँझी हौसला लिए चल पड़ा वह पहाड़ सा प्रण ज़ाहिर किया सिंह की दहाड़ सा गाँव से शहर की बीच की जो दूरी थी पहाड़ पार कर जाना ही मज़बूरी थी वो पहाड़ फिर उसकी प्रियतमा को निगल गया
हौसला लिए चल पड़ा वह पहाड़ सा प्रण ज़ाहिर किया सिंह की दहाड़ सा गाँव से शहर की बीच की जो दूरी थी पहाड़ पार कर जाना ही मज़बूरी थी वो पहाड़ फिर उसकी प्रियतमा को निगल गया
read moreचारण गोविन्द
#बादल/#प्रतीक "धूम बना कर चलते बादल, पल-पल रूप बदलते बादल, लाल कभी तो केसर जैसे, सूरज रोज निगलते बादल, ज्वाला-जैसी माँ की ममता, बन कर बेटा फलते बादल, अब्बा यानि सुलगती धरती अम्मा यानि पिघलते बादल, दिन को उजले शब में काले, खादी को यूँ छलते बादल, हीरे मोती सांझ निहारे हाथ सवेरे मलते बादल, चुनरी बन कर के कन्या की, दुनियाँ बीच उछलते बादल, जीवन के जैसे पर्वत पर, गिरते और सम्भलते बादल, इक घर बरसे इक घर सूखे, बन तकदीर टहलते बादल, चान्द चुरा कर लाया हूँ मैं, तब से मुझ से जलते बादल, गोविन्द लिखे है प्रीत-फ़िज़ा, उस को पढ़ के गलते बादल।" #चारण_गोविन्द #चारण_गोविन्द #govindkesher #CharanGovindG #बादल #शाइरी #Poet #Poetry #ग़ज़ल
Poetry with Avdhesh Kanojia
अंदर के रावण का अंत प्रतीक रूप में रावण दहन हर वर्ष करना चाहिए। पर अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। अभिमान क्रोध व निरंकुशता होते पतन के द्वार हैं। इन असाधारण रोगों का बस एक प्रेम ही उपचार है। निष्ठुरता रूपी उलूक बैठा जो मन रूपी टहनी पे है। उड़ा देना है उसे भी ज्ञान दृष्टि पैनी से है। कर्म निंदित हैं जहर से इनसे डरना चाहिए। अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। वन्दनीया नारी है सो सम्मान का भी भान हो। हर नर में हर आभास हों व दूर सब अज्ञान हो। बन्धु भगिनी देवतुल्य से ये सभी के विचार हों। बृद्धजन पूजित रहें और सत्य कटु स्वीकार हों। सार्वभौम सौहार्द्र हो व स्वार्थ तजना चाहिए। अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। प्रतीक रूप में रावण दहन हर वर्ष करना चाहिए। पर अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। ✍️अवधेश कनौजिया© अंदर के रावण का अंत प्रतीक रूप में रावण दहन हर वर्ष करना चाहिए। पर अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। अभिमान क्रोध व निरंकुशता
अंदर के रावण का अंत प्रतीक रूप में रावण दहन हर वर्ष करना चाहिए। पर अपने अंदर के रावण का भी अंत करना चाहिए।। अभिमान क्रोध व निरंकुशता
read morePrabodh Prateek
आज़ादी के आन्दोलन के उस अविस्मरणीय योद्धा ज्वलंत देशप्रेम , अदम्य साहस , निर्भीक जोश , आदर्श के प्रति अटल निष्ठा , दृढ़ संकल्प शक्ति , ज्ञान की प्रगाढ़ता , सत्यान्वेषी मानसिकता , सांगठनिक दक्षता , छोटी उम्र में ही विचारों की गहराई, पर उनकी देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अतुलनीय भूमिका और उच्च आदर्शों को याद करते हुए शत् शत् नमन ,प्रणाम करता हूँ भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए जीवनभर संघर्ष किया और उनके साहसी व्यक्तित्व, क्रांतिकारी विचारधारा, दूर-दृष्टि तथा सटीक कार्ययोजना से आज की युवा पीढ़ी को
आज़ादी के आन्दोलन के उस अविस्मरणीय योद्धा ज्वलंत देशप्रेम , अदम्य साहस , निर्भीक जोश , आदर्श के प्रति अटल निष्ठा , दृढ़ संकल्प शक्ति , ज्ञान की प्रगाढ़ता , सत्यान्वेषी मानसिकता , सांगठनिक दक्षता , छोटी उम्र में ही विचारों की गहराई, पर उनकी देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अतुलनीय भूमिका और उच्च आदर्शों को याद करते हुए शत् शत् नमन ,प्रणाम करता हूँ भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए जीवनभर संघर्ष किया और उनके साहसी व्यक्तित्व, क्रांतिकारी विचारधारा, दूर-दृष्टि तथा सटीक कार्ययोजना से आज की युवा पीढ़ी को
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