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Mona Singh

जिंदगी चलचित्र सी

©Mona Singh #चलचित्र

Anamika

#चलचित्र #मित्र#दरिद्र #यूंहीबेख्यालीमें दोस्त दोस्त ना रहा (गीत)..😌

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बीता अतीत था चलचित्र,
शो खत्म आगे निकल गया मित्र..


सुदामा को कर गया फिर दरिद्र..



 #चलचित्र #मित्र#दरिद्र
#यूंहीबेख्यालीमें 
दोस्त दोस्त ना रहा (गीत)..😌

indra patel

सवालों के जवाब ढूंढने के लिए तुमने भी बनाया होगा वो चलचित्र 😃😁😍 #yqdidi #yqbaba #yqaestheticthoughts #yqhindi #yqtales #yqdiary

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डायरी में लिखी बातें भी पूछ रही तुम्हारे बारे में
‘आखिर वो दिखने में थी कैसी’?— % & सवालों के जवाब ढूंढने के लिए 
तुमने भी बनाया होगा वो चलचित्र 😃😁😍
#yqdidi 
#yqbaba 
#yqaestheticthoughts 
#yqhindi 
#yqtales 
#yqdiary

JS GURJAR

मैं विचित्र हूँ इंसान हूँ या चलचित्र हूँ क्योंंकि चित्र मैं विचित्र हूँ अर्थ हूँ, अनर्थ हूँ महत्व हूँ, अदम हूँ लीन हूँ, विलीन हूँ #कविता #नोजोटोहिंदी

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मैं  विचित्र हूँ

इंसान हूँ या चलचित्र हूँ
क्योंंकि चित्र मैं विचित्र हूँ

अर्थ हूँ, अनर्थ हूँ
महत्व हूँ, अदम हूँ
लीन हूँ, विलीन हूँ
भीड़ हूँ, तन्हा हूँ
होश हूँ, बेहोश हूँ
भाव हूँ या भावहीन हूँ
वर्तमान-भूत हूँ या मैं भविष्य हूँ
रीत हूँ, कुरीत हूँ
इंसान हूँ या चलचित्र हूँ
क्योंकि चित्र मैं विचित्र हूँ

प्यार हूँ, अहिंसा हूँ 
या बोया नफ़रत का बीज हूँ
मौन हूँ, शब्द हूँ
सवाल हूँ या उत्तर हूँ
सांझ हूँ या भोर हूँ
दिन हूँ या रात हूँ
अमावस्या हूँ या पूनम का चाँद हूँ
तेज हूँ, शांत हूँ
इंसान हूँ या चलचित्र हूँ
क्योंकि चित्र मैं विचित्र हूँ

शीत हूँ, ताप हूँ
धूप हूँ, छाँव हूँ
धरती हूँ, आकाश हूँ
धार हूँ, सैलाब हूँ
रेत हूँ या कीचड़ हूँ
नदी हूँ या समन्दर हूँ
किनारा हूँ या भंवर हूँ
असित हूँ या सित हूँ
इंसान हूँ या चलचित्र हूँ
क्योंकि चित्र मैं विचित्र हूँ

राहत हूँ या भूचाल हूँ
दवा हूँ या दर्द हूँ
कोयल हूँ, काग हूँ
हास्य हूँ या व्यंग हूँ
संयुक्त हूँ या एकल हूँ
सदस्य हूँ या मेहमान हूँ
जंग हूँ या मैदान हूँ
हार हूँ, जीत हूँ 
इंसान हूँ या चलचित्र हूँ
क्योंकि चित्र मैं विचित्र हूँ
- जे. एस. गुर्जर✍️...... मैं  विचित्र हूँ

इंसान हूँ या चलचित्र हूँ
क्योंंकि चित्र मैं विचित्र हूँ

अर्थ हूँ, अनर्थ हूँ
महत्व हूँ, अदम हूँ
लीन हूँ, विलीन हूँ

अजनबी

#multitalented person the Gulzar sahabh #Gulzar ज़िन्दगी गुलज़ार हैं क्योंकि जिंदगी का नाम गुलज़ार हैं। जिंदगी चलचित्र हैं गुलज़ार उसका क

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#Multitalented person the Gulzar sahabh
#Gulzar
ज़िन्दगी गुलज़ार हैं
    क्योंकि जिंदगी का नाम गुलज़ार हैं।
जिंदगी चलचित्र हैं
   गुलज़ार उसका क

Bhuwnesh Joshi

क्यों खफा एक-दूजे से जब चलना हो साथ ज़िंदगीं समाज यहां तमाशबीन मात्र चलचित्र तेरी-मेरी बंदगी ❣ आकर आज गले लगा ले मुझे बाहें फैलाए मैं खड़ा ह #Poetry #Life #story #Hindi #lifequotes #writer #alone #nojotohindi #hindipoetry #bhuwnesh

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क्यों खफा एक-दूजे से
जब चलना हो साथ ज़िंदगीं
समाज यहां तमाशबीन मात्र
चलचित्र तेरी-मेरी बंदगी
❣
आकर आज गले लगा ले मुझे
बाहें फैलाए मैं खड़ा हूं
सोचता हूं समझौता तुझसे
आज मैं कर ही लूं ज़िंदगी!
-भुवनेश

©Bhuwnesh Joshi क्यों खफा एक-दूजे से
जब चलना हो साथ ज़िंदगीं
समाज यहां तमाशबीन मात्र
चलचित्र तेरी-मेरी बंदगी
❣
आकर आज गले लगा ले मुझे
बाहें फैलाए मैं खड़ा ह

Àbhishek Kumar Singh

खुद बिज़ रोपते हो हथियारों की, फिर फसल खुद खराब करते हो। शराब की बोतल खाने की मेज पे, तुम नसल अपनी खराब करते हो। अश्लील चलचित्र दीवारों पे #Feminism

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खुद बिज़ रोपते हो हथियारों की,
फिर फसल खुद खराब करते हो।

शराब की बोतल खाने की मेज पे,
तुम नसल अपनी खराब करते हो।

अश्लील चलचित्र दीवारों पे तुम्हारे,
तुम संतान को स्वयं बेताब करते हो।

बेटियों को घर पर्दे में रखना शान तुम्हारी,
और बाहर लड़के को अपने नवाब करते हो।

कैसे सुरक्षित रहेंगी बहन बेटियां मेरी,
बेटों को तलवार बेटियों गुलाब करते हो।














.......

©Àbhishek Kumar Singh खुद बिज़ रोपते हो हथियारों की,
फिर फसल खुद खराब करते हो।

शराब की बोतल खाने की मेज पे,
तुम नसल अपनी खराब करते हो।

अश्लील चलचित्र दीवारों पे

REETA LAKRA

बीसवीं सदी के मशहूर लेखक और पत्रकार जिन्होंने 7 वर्षों तक चलचित्र के लिए काम किया ऑल इंडिया रेडियो के ड्रामा प्रोड्यूसर रहे। 'कुंवारा बाप' 1

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अमृत लाल नागर - मानस का हंस 

घर में चाहे जिसको पूजो, धर्म सदा मानवता रखना , कह गए इतनी मीठी बात ।
महाकाल, बूंद और समुद्र, शतरंज के मोहरे, सुहाग के नूपुर, अमृत और विष, 
सात घूंघट वाला मुखड़ा, मानस का हंस, में लिख गए अपने मन की बात।
लोग समझ लेते थे मुस्लिम, जब वे पहन लेते थे  अचकन,
पहुंच जाते थे कोलकाता, करने शरद चंद्र और मुंशी प्रेमचंद के दर्शन, 
बीसवीं सदी के सुप्रसिद्ध लेखक और पत्रकार, 
अंदाज़ था जिनका खांटी लखनवी.... 
'क्लासिक' का सम्मान, 'मानस का हंस' ने पाया, 
विषय इसके गोस्वामी तुलसी , हिंदी है इसकी भाषा, 
प्रेरक, व्यापक, ज्ञानवर्धक, पठनीय, और प्रतिष्ठित बृहद बन पड़ा उपन्यास, 
लिखा गया है लखनवी अंदाज़ में, अप्रतिम है यह रोचकता में, 
दिलवाया इसने अमृतलाल को अखिल भारतीय वीर सिंह देव पुरस्कार, और जोड़ दिया साहित्य अकादमी पुरस्कार।। 
👉 रीता लकड़ा 
👉 २४:०२:२०२१ 
५३/३६५@२०२१  बीसवीं सदी के मशहूर लेखक और पत्रकार जिन्होंने 7 वर्षों तक चलचित्र के लिए काम किया ऑल इंडिया रेडियो के ड्रामा प्रोड्यूसर रहे। 'कुंवारा बाप' 1

रितिक पंचौली

मैं महसूस करता हूं ये जो एहसास होते हैं। स्वरचित कविता ✍️ बीते साल, खुले आसमान के नीचे अपने शहर के सुननेवालो के बीच रखी थी। मेरे ह्रदय के

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JALAJ KUMAR RATHOUR

सुनो यार , तुम्हारी यादों की हवा जब भी मुझसे टकराकर जाती है तो मुझे किसी शांत खड़े पेड़ सा झकझोर देती है।कुछ झकोरे जीवन में हमें जगा देते है

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सुनो यार ,
तुम्हारी यादों की हवा जब भी मुझसे टकराकर जाती है तो मुझे किसी शांत खड़े पेड़ सा झकझोर देती है।कुछ झकोरे जीवन में हमें जगा देते हैं।किसी के ख्वाबों की नींद से ,हम जाने अनजाने में मग्न हो जाते हैं।किसी गैर के चलचित्र रूपी जीवन में और भूल जाते हैं कि हम भी तो अपनी कहानी के मुख्य किरदार है।
..जलज कुमार राठौर

©JALAJ KUMAR RATHOUR सुनो यार ,
तुम्हारी यादों की हवा जब भी मुझसे टकराकर जाती है तो मुझे किसी शांत खड़े पेड़ सा झकझोर देती है।कुछ झकोरे जीवन में हमें जगा देते है
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