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Naresh Chandra
शून्य की खोज इतिहास जाने कृपया कैप्शन मे जरूर पढ़ें 🙏धन्यवाद🙏 ©Naresh Chandra आर्य भट्ट ने शून्य की खोज की तो रामायण में रावण के दस सर की गणना कैसे की गयी? रावण के दस सिर कैसे हो सकते हैं,जबकि शून्य की खोज आर्यभट्ट ने
Divyanshu Pathak
5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना। -- हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया कि जीवन के आरंभ और पोषण के साथ सृष्टि में होने वाले कौतूहल के साथ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में प्रथम चार देवियों का योग निहित हुआ। स्कंदमाता के दिन में सुमार नवरात्रों का ये 5 वां दिन है।आज के दिन तिथि भी पञ्चमी है। सम्पूर्ण सृष्टि का सूक्ष्मतम रूप पंच महाभूत ( आकाश Space , वायु Air- Quark, अग्नि fire-Energy, जल water- Force तथा पृथ्वी Earth-Matter ) माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। देवताओं को भोग लगाने के लिए 5 तरह के द्रव्य मिलाए जाते हैं जिनसे पंचामृत बनता है। देहधारियों में 5 ज्ञानेंद्रिय और 5 ही कर्मेन्द्रीयाँ हैं।शब्द ,रूप, रस, गंध और स्पर्श ये 5 इंद्रियों के विषय हैं।किसी मसले को सुलझाने के लिए पाँच लोगों का आगे आकर निराकरण करने में सहयोग 'पञ्च परमेश्वर' के रूप में देखा जाता है। हमारे राजस्थान में पंच पीरों को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके बारे में एक प्रसिद्ध दोहा है- पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा । पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा।। 5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना। -- हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया क
आयुष पंचोली
सनातन धर्म की देन "ग्रंथ" जिनमे छुपा हैं, ब्रह्मांड का हर राज। 4 वेद, 4 उपवेद, 6 शास्त्र, 18 पुराण, 108 उपनिषद, 2 महाकाव्य, और 1 भगवद् वाणी का संकलन श्रीमद भगवद् गीता..!!!
Anil Siwach
Adv Virendra Tomar
नवदुर्गाओं में पाचवी देवी स्कंदमाता हैं । सिंह पर सवार स्कन्द माता शक्ति और आध्यात्म की दैवीय शक्तियों को अपने भक्तों को प्रदान करती हैं। इनके केवल मात्र क्षण भर ध्यान से विपरीत परिस्थितियां समाप्त हो कर साधक को शक्ति रूपा बना देती हैं। ©virendra singh Tomar स्कन्द माता # नवरात्रि
Harvinder Ahuja
हमारे शरीर और मन में गहरे सम्बन्ध हैं। हमारी मानसिकता हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के संदेशों का प्रसार करती है। दूसरी ओर हमारा मन अपनी मानसिक तंरगो से विभिन्न संदेशों का प्रसारण करता है और उनको ग्रहण भी करता है। कभी आंख का फड़कना, कभी दिल का अजीब तरह से धड़कना विभिन्न प्रकार की आने वाली विपत्तियों की सुचना देता है। कभी हमें जाने अनजाने छींक आती है तो मन व्याकुल हो उठता है कि ना जाने कौन याद कर रहा है। छींक क्या कहती है,उस पर भी ज़रा गौर फरमाइए। • एक छींक आए तो कोई आपको याद कर रहा है। • दो छींक आए तो कोई आपको बहुत याद कर रहा है। • तीन छींक आए तो जो आपको याद कर रहा है, आपसे मिलने को व्याकुल है। • चार छींक आए तो जो आपको याद कर रहा है,आपसे मिलने को बहुत ज्यादा व्याकुल है। • अगर पांच छींक आए तो ........... किसी डॉक्टर की सलाह लें। ©Harvinder Ahuja #छींक पुराण