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Laxman Kumar M
आज गया मै उस घाट जहा पर कभी न कभी सभी को जाना है, उस घाट घाट यात्रा मै ,आगे तुम होंगे पीछे तुम्हारे .. न तुम चल पाओंगे , न तुम बेठ पाओंगे न तुम हँस पाओंगे न तुम रो पाओंगे और न तुम कुछ कह पाओंगे जब जा रहे होंगे तुम , उस घाट जहा पर जाना है , सभी को कभी न कभी न तुम्हे तन पर कपडा मिलेगा , न तुम्हे पैसो का पर्स मिलेगा , न तुम्हे हाथ का कडा मिलेगा , न ही कान का जेवर मिलेगा तुम्हे केवल मिलेगा आग का साथ या मिटटी में वास .... चार कंधे ही तुझे ले जायेंगे उस घाट ,जहा पर जाना है सभी को कभी न कभी उस घाट ........ घाट यात्रा में जल्द ले जाया जाएगा तुम्हे तुम शांत होंगे , तुम्हारे अशांत तुम निवस्त्र होंगे , तुम्हारे एक से वस्त्र में तुम जा रहे होंगे उस घाट जहा पर जाना है , सभी को कभी न कभी उस घाट .................. आज गया मै उस घाट जहा पर कभी न कभी सभी को जाना है, उस घाट ©Laxman Kumar M जीवन की अंतिम यात्रा, घाट्यात्रा
सौम्या साक्षी
चलते चलते कुछ लोग तो बस यूं ही चले जाते हैं, पर जाकर भी सबकी यादों में हर पल बस जाते हैं! हंसता परिवार तो जीवन की सबसे बड़ी पूंजी होती है, पर उसे ही गमों का,सबसे बड़ा सैलाब कैसे दे जाते है माना कि नही मिल सकता किसी को भी अमर होने का वरदान.... पर एक सवाल करती हूं ऐ खुदा तुझसे आज मैं, बता मुझे....हर खूबसूरत कहानी के अंतिम भाग आखिर तेरे घर में,आंसुओं से क्यों लिखे जाते है...! #Sakshi Thakur अंतिम यात्रा
शैलेन्द्र यादव
बात होली की है तो कैसे भूल सकता हूँ, वो आखरी बार तुम्हे सजाया जा रहा था, विभिन्न बिदा होने वाले रंगों से, हाँ तुम्हे दुल्हन बना कर बिदा किया जा रहा था, कोई मेहंदी, कोई हल्दी की छाप लगा रहा था तुम्हारे शरीर पर, गुलाल भी मैय्यत में उड़ाया जा रहा था, हाँ तुम्हे दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था, महावर भी हाथ पैरों में लगाया जा रहा था, रोने की किलकारियों के बीच हर कोई तुम्हे रंगे जा रहा था, कैसे भूल सकता हूँ वो तुम्हारे महावर में रंगे पैर... कैसे भूल सकता हूँ वो तुम्हारे महावर में रंगे पैर... रंगा तुम्हे जा रहा था पर मेरे जिंदगी का रंग उड़ा जा रहा था, बिखर ओर तबाह हो चुकी थी मेरी दुनिया उस दिन, गोद मे थी तुम मेरी, ओर में बस रोये जा रहा था, कैसे भूल सकता हूँ तुम्हारे अंतिम दर्शन, ओर वो महावर में रंगे तुम्हारे पैर... ओर वो महावर में रंगे तुम्हारे पैर... ©शैलेन्द्र यादव # अंतिम यात्रा
Sudhir Srivastava
अंतिम यात्रा ********** कड़ुआ पर सच है जीवन में अनगिनत यात्रियों के बाद हमें अंतिम यात्रा पर जाना ही होगा, हम लाख इस सत्य से दूर भागते रहें सच से मुंह छुपाते भागते रहें पर बच नहीं पायेंगे, अंतिम यात्रा से मुक्त होने का मार्ग या छुपने का स्थान भला कहाँ पायेंगे? जो आया है वो जायेगा भी जन्म संसार की यात्रा का शुभारंभ है मृत्यु इस संसार से विदाई संग अंतिम यात्रा का निश्चित अनुबंध है। ◆ सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा, उ.प्र. 811528592 ©Sudhir Srivastava अंतिम यात्रा #gurpurab