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Satish Kumar Meena
सत्य है शिव जी, शिव अविनाशी। गूंजे धरा में,, उज्जैन और काशी।। चंद्र जटा पर, उज्ज्वल प्रकाशित, गरल कंठ में, सबका निवासित। उमा संग विराजमान, धुर कैलाशी। सत्य है शिवजी,, शिव अविनाशी।। ©Satish Kumar Meena शिव अविनाशी
शिव अविनाशी
read morejaiveer singh
मेहमान देखकर मान और सम्मान बदल जाते हैं। चढ़ावा कम हो तो आशीष और वरदान बदल जाते हैं। वक्त पर मन की मनोकामनाएं पूरी ना हो तो। भक्तों की भक्ति मंदिर और भगवान बदल जाते हैं ©Jaiveer Singh भगवान
भगवान
read moreDinesh Sharma Jind Haryana
उन्हें मां बाप कहूं या भगवान कहूं एक ही तो बात है ©Dinesh Sharma Jind Haryana #भगवान
Mahesh Patel
Unsplash सहेली..... हर मानव घर के कोई.. कोने में भगवान रखता है.. फिर भी गलत करने में.. कहां ध्यान रखना है.. लाला.... ©Mahesh Patel सहेली... भगवान... लाला....
सहेली... भगवान... लाला....
read moreJitendra Giri Hindu
शिवस्य हृदयं विष्णुः, विष्णोश्च हृदयं शिवः। यथा शिवमयो विष्णुः, एवम् विष्णुमयः शिवः॥ अर्थ: भगवान शिव के हृदय में भगवान विष्णु विराजमान हैं
read morepuja udeshi
भगवान मुझ क़ो तेरी ये सुन्दर धरती देखनी है पर मेरे पास समय नहीं रूपया नहीं कि भर्मण कर सकूँ, ये फूलो से भरे पेड़, ये सड़क के किनारेवृक्ष ये जमीं आसमान, ये झीले तालाब, झरने, ये सुन्दर वन उपवन ये प्यारे पक्षी और जानवर, कितने सारे प्रजातियां, क़ीट पतंगे, तितलियाँ, भोरे, समुद्र मे गोता खाती मछलियां, ये चाँद सितारे, तारो से भरा नभ, कृतिमान सूर्य, अजर अमर 👆🏻 कोटी कोटी प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ©puja udeshi #भगवान #कुदरत #pujaudeshi
नवनीत ठाकुर
संग पार्वती, शक्ति की पहचान, तप का प्रताप और प्रेम का श्रृंगार, उनके मिलन का है दिव्य आधार। वैराग्य में बसा अनंत का प्रकाश, शिव का धैर्य और पार्वती का विश्वास। प्रकृति और पुरुष का यह अनूठा मेल। जो करते ध्यान, उन्हें मिलती राह, शिव-पार्वती बनें हर जीवन की चाह। शिव की जटाओं से जीवन की धारा, पार्वती की ममता से सजी है धरा। जो इनके भजन में मग्न हो जाए, वो सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाए। अमर यह युगल, जग के पालनहार, इनके चरणों में झुके हर संसार। शिव का वैराग्य और शक्ति का रूप, भक्तों के संकट में देते संपूर्ण छूप। ©नवनीत ठाकुर #शिव पार्वती
#शिव पार्वती
read moreनवनीत ठाकुर
जटा में गंगा, त्रिशूल की धार, शिव हैं महादेव, जग के आधार। भस्म से सजा तन, नीलकंठ का रूप, माथे पर चांद, गले में सांप, पहने बज की खाल, बैठे मृगछाल। शिव की चुप्पी में ब्रह्मांड का शोर, गले में विष, त्रिनेत्र की ज्वाला, जो देखे उन्हें, वह पाता उजाला। कैलाश पर उनका पावन बसेरा, गण हैं समीप, भूत-प्रेत हैं साये, हर युग में उनका न्याय जगाये। ब्रह्मा-विष्णु भी झुकते उनके सामने, काल भी रुके, जिनके चरणों के दामन। भांग-धतूरा चढ़े उनके श्रृंगार में, मृत्यु भी कांपे, उनके संहार में। काल भी झुके, जिनके चरणों की धूप, सृष्टि के कण-कण में जिनका स्वरूप। ©नवनीत ठाकुर #शिव
अनुज
नंदी जैसी प्रतीक्षा हो शिव के जैसी दीक्षा हो गुरु तुम्हें हम बनाएंगे तुम ही मेरी इच्छा हो सर्दी के सुहाने मौसम में शिव की मुझ पे कृपा हो बेल और धतूरे से सेव करूं अपनी आकांक्षाओं को समर्पित करूं ©अनुज #mahadev #शिव #MondayMotivation
#mahadev #शिव #MondayMotivation
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