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Ajay Chaurasiya
White दिन दिन करते करते ये उम्र गुज़र रही है, बीतते दिनों की यादे मन की गुल्लक में सिमट रही है, कभी कभी कोई पुरानी याद जब, झाक लेती है गुल्लक से बाहर तब, विस्मृत से कुछ चहरे, धुंधले कुछ पल, छूटी हुई राहें, गुजरे हुए वक्त, ले आते है फिर उम्र के बीते पड़ाव पर, जो हम छोड़ आए थे पीछे, बढ़ते उम्र की जिम्मेदारियों के संग, अंतर्मन जैसे गुम जाता है उन यादों में, तभी मस्तिष्क फिर खट-खट्टाता है द्वार मन के, और ले आता है भूत से वर्तमान में, मैं भी एक दिन याद बनाना चाहूंगा, और रहना चाहूंगा यादों के साथ, तब तक लड़ता रहूंगा, मन और मस्तिष्क की लड़ाई स्मृतियों के संग.... ©Ajay Chaurasiya #मै और याद...
#मै और याद... #मराठीकविता
read moreAnjali Singhal
"दिल मृग है याद कस्तूरी है। महक भी रही है याद दिल को महका भी रही हैं।।" #Shayari composed by #AnjaliSinghal #EXPLORE nojoto
read moreBROKENBOY
White मेरी याद आने के बाद, कोई काम भी नहीं होगा मेरी याद मिटाने का,कोई इंतजाम भी नहीं होगा अपने दोस्तों से कहते हो,मेरे जैसे बहुत मिलते हैं तेरे शहर में मेरे जैसा,किसी का नाम भी नहीं होगा अंदर ही अंदर मरोगे, मेरी मोहब्बत याद करके तुम देखना कत्ल तुम्हारा, सरेआम भी नहीं होगा ©BROKENBOY #Romantic मेरी याद आने के बाद, कोई काम भी नहीं होगा मेरी याद मिटाने का,कोई इंतजाम भी नहीं होगा
#Romantic मेरी याद आने के बाद, कोई काम भी नहीं होगा मेरी याद मिटाने का,कोई इंतजाम भी नहीं होगा
read moreMohmad Tanveer
चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है हमको अब तक मोहब्बत का हर फसाना याद है वो वादे मुनव्वर वो शिकायत आज भी याद है तुम्हें वो मोहब्बत के बिता पिछला कसमे वादे याद है ©Mohmad Tanveer वो वादे मुनव्वर वह शिकायत है आज भी याद है
वो वादे मुनव्वर वह शिकायत है आज भी याद है #शायरी
read moreMonika Gera jindagi. A poetess, writer, lyricist, singer,motivational speaker,Handwriting expert for three languages as to training + language teacher ( three languages).
दुख आने पर भी मौत से पहले नहीं मरना! #Life
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल:- वो ख्वाबों की दुनिया सजाने लगे थे हमें देखने आने जाने लगे थे ।। छुपाने पड़े थे हमें भी तो आँसूँ । सनम दूर हमसे जो जाने लगे थे ।। नज़र जब कभी इत्तफाकन मिली तो उन्हें देख कर मुस्कराने लगे थे ।। यहाँ चाँद सबको कहाँ मिल सका है । चरागों से जीवन बिताने लगे थे ।। कभी चैन हमको न आया किसी पल । सुनो हाल दिल जब छुपाने लगे थे ।। अभी भी तरसती है आँखें उन्ही को । जिन्हें दिल में अपने बसाने लगे थे ।। हुए दूर हमसे वही आज फिर से । जिन्हें ज़िन्दगी हम बनाने लगे थे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:- वो ख्वाबों की दुनिया सजाने लगे थे हमें देखने आने जाने लगे थे ।। छुपाने पड़े थे हमें भी तो आँसूँ । सनम दूर हमसे जो जाने लगे थे ।। नज़र जब
ग़ज़ल:- वो ख्वाबों की दुनिया सजाने लगे थे हमें देखने आने जाने लगे थे ।। छुपाने पड़े थे हमें भी तो आँसूँ । सनम दूर हमसे जो जाने लगे थे ।। नज़र जब #शायरी
read moreLalit Musiya
White अब तो गांव भी बदलने लगे है , और शहर जैसे लगने लगे है । वो कच्चे मिट्टी के घर अब गिरने लगे है , अब तो सीमेंट ईट के मकान बनने लगे है । दूर- दूर तक फैले होते थे घर के आंगन, भाई-भाई के झगड़े में वो भी अब सिमटने लगे है। घर के बाहर होते थे नीम और फलदार पेड़ अब वो भी कटने लगे है, अब तो गमले में तरह-तरह के पेड़ और फूल खिलने लगे है । हुआ करते थे गांव में कुएं और वहां लोगों का जमघट, अब तो वो कुएं भी सूखने लगे है,हर घर बोरवेल होने लगे है । खेतों को जोतते थे वो बैल अब वो भी बिकने लगे है , अब तो खेतों में चलते ट्रैक्टर दिखने लगे है । अब तो गांव भी बदलने लगे है , अब तो बेटे भी मां-बाप से दूर रहने लगे है । ©Lalit Musiya अब तो गांव भी बदलने लगे हैं #story #Poetry