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Alok Tiwari ( KABIR)
"हो सके तो अच्छे रिश्ते बनाये रखिये, क्योंकि; बड़ी कीमती होती हैं, रिश्तों की ये डोरियां। 👬👭 विश्वास 👨👩👧👦 😍 प्यार 😍 और 🤗🤞उम्मीदों संग 🙏✌️ पक्के धागों से बुनकर बनती है ये डोरियां।" 🖋️~आलोक (KaBiR) #डोरियां.. diksha campus_poetry Dr Ashish Vats Ritika Gupta
Sarita Shreyasi
रेशमी डोरियों में बँध के, व्यस्त घड़ियाँ भी थम गयीं, माँ के लोरियों की थाप में, सूखी संवेदना भी नम गयीं। रेशमी डोरियों में बँध के, व्यस्त घड़ियाँ भी थम गयीं, माँ के लोरियों की थाप में, सूखी संवेदना भी नम गयीं।
सुसि ग़ाफ़िल
मेला ... कोई नहीं लगता हमारे जाने के बाद शमशान की गलियों में रस्मों की डोरियां बांधती है यहां तक राख और रात होने से पहले ही लौट आते हैं सब अपने - अपने घर //— % & मेला कोई नहीं लगता हमारे जाने के बाद शमशान की गलियों में रस्मों की डोरियां बांधती है यहां तक
Diya Singhal
Ranju Singh
जान न सके दूरियां क्यों थी न कभी जान सके दूरियां क्यों थी ज़ुबान पर थे लफ्ज़ फिर मजबूरियाँ क्यों थी दिलों की बातें अगर हक़ीक़त होती है हमारे दरमियाँ वो खामोशियाँ न होती बुने थे हमने भी कुछ रेशमी धागों से ख्वाब मगर हमारे हाथों में काली डोरियां क्यों थी....R@s जान न सके दूरियां क्यों थी न कभी जान सके दूरियां क्यों थी ज़ुबान पर थे लफ्ज़ फिर मजबूरियाँ क्यों थी दिलों की बातें अगर हक़ीक़त होती है हमारे
Ranju Singh
जान न सके दूरियां क्यों थी न कभी जान सके दूरियां क्यों थी ज़ुबान पर थे लफ्ज़ फिर मजबूरियाँ क्यों थी दिलों की बातें अगर हक़ीक़त होती है हमारे दरमियाँ वो खामोशियाँ न होती बुने थे हमने भी कुछ रेशमी धागों से ख्वाब मगर हमारे हाथों में काली डोरियां क्यों थी...R@s जान न सके दूरियां क्यों थी न कभी जान सके दूरियां क्यों थी ज़ुबान पर थे लफ्ज़ फिर मजबूरियाँ क्यों थी दिलों की बातें अगर हक़ीक़त होती है हमारे
Kunal chouhan
न दिल से न दिमाग से हैप्पी दिवाली तन से मन से और धन से
Shubham Dwivedi
मिलेंगे कभी तो खूब रुलायेंगे उसे.. 💕 सुना है…रोते हुये..लिपट जाने की आदत है उसकी.. #NojotoQuote दिल से दिल से
Mamta choudhary
सब जानते हैं हाथों से लिखा जाता फिर भी पता नहीं दिल से लिखो दिल से लिखो दिल से लिखो क्यों बोलते रहते हैं ©mamta choudhary दिल से नहीं हाथों से लिखो हाथों से