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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
पुकारती है खामोश अनजान राहें मैं नहीं पहचानता हूँ रास्तो को रुक कर इंतजार करु तुम्हारा या आगे बढ़ जाऊँ .... ठिठकी सा खडा हूँ कई राहे फ़ुटती है इस इक राह से थोड़ी आवाक सा परेशान हूँ तुम्हारी चुप्पी का अर्थ ना आश्चर्य ना दोष..... मुझे भी तो मालुम था सबकुछ... पुकारती है खामोश अनजान राहें मैं नहीं पहचानता हूँ रास्तो को रुक कर इंतजार करु तुम्हारा या आगे बढ़ जाऊँ .... ठिठकी सा खडा हूँ कई राहे फ़
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
क्यों आ जाती है संवाद हीनता अचानक रिश्तो के दरमियां जैसे किसी ने चुप्पी के बीज बो दिए और उग आई है खामोशियां आज दरार है कल होगी खाई फिर भरेगा कौन मैं भी चुप तुम भी चुप चुप्पी को तोड़ेगा कौन तुम भी सही मैं भी सही फिर गलत कौन कल तक यहाँ संवादों की खुली आवाजाही थी मगर आज सारे रास्ते बंद हो गए हर एक चुप्पी का अर्थ है खामोशी मगर यह खामोशी मासूम और बेगुनाह नहीं है हवा में साजिश की तरह घुली है जिसने संवादहीनता के बीज बोए हैं चारों ओर पसरी संवादहीनता छीजते हुए मानवीय संबंध गहराते अवसाद भरे सन्नाटे उपेक्षा, तिरस्कार और अजनबीपन ऐसी महानगरीय बीमारियां हैं, जिस की गिरफ्त में सारा समाज बीमार नजर आता है ऐसे में संवाद ही मरहम है।। ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) क्यों आ जाती है संवाद हीनता अचानक रिश्तो के दरमियां जैसे किसी ने चुप्पी के बीज बो दिए और उग आई है खामोशियां आज दरार है कल होगी खाई फिर भरेगा
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
खामोशिया : क्यों आ जाती है संवाद हीनता अचानक रिश्तो के दरमियां जैसे किसी ने चुप्पी के बीज बो दिए और उग आई है खामोशियां आज दरार है कल होगी खाई फिर भरेगा कौन ? मैं भी चुप तुम भी चुप चुप्पी को तोड़ेगा कौन ? तुम भी सही मैं भी सही फिर गलत कौन ? कल तक यहाँ संवादों की खुली आवाजाही थी मगर आज सारे रास्ते बंद हो गए हर एक चुप्पी का अर्थ है खामोशी मगर यह खामोशी मासूम और बेगुनाह नहीं है हवा में साजिश की तरह घुली है जिसने संवादहीनता के बीज बोए हैं चारों ओर पसरी संवादहीनता जुझ्ते हुए मानवीय संबंध गहराते अवसाद भरे सन्नाटे उपेक्षा, तिरस्कार और अजनबीपन ऐसी महानगरीय बीमारियां हैं, जिस की गिरफ्त में सारा समाज बीमार नजर आता है ऐसे में संवाद ही मरहम है मगर सब के मन मे ये सवाल है कि ये मरहम लगाये कौन? ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) खामोशिया : क्यों आ जाती है संवाद हीनता अचानक रिश्तो के दरमियां जैसे किसी ने चुप्पी के बीज बो दिए और उग आई है खामोशियां आज दरार है कल होगी
Rahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ
Aman Baranwal
मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें, खाक होना लाजमी है, क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ
divya...
इश्क़ आज भी है मगर राधा- कृष्ण जैसा नहीं ... होगे एक - आध भी उनके जैसे अगर... तो उनको चैन का जीवन नहीं... लोगो को प्रेम का हर दस्तूर झुटा लगता है... क्योंकि उन्होंने कभी किसी से .... सच्चा प्रेम किया ही नहीं... प्रेम का अर्थ...
Kumar Gunjan
"सफलता" कभी भी अर्थ शिक्षा, पद या गरिमा द्वारा निर्धारित नहीं की जा सकती सफलता एक संतुष्टि हैं, जिसे आप निर्धारित करते है। सफलता का अर्थ