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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White बाल-गीत :- प्यारी-प्यारी अम्मा मेरी , प्यार बहुत ही करती हैं । नये-नये कपड़े पहनाकर , राजा बाबू कहती हैं ।। प्यारी-प्यारी अम्मा मेरी ... नई-नई पुस्तक मँगवा कर , थैले में रख देती हैं । कहती करना खूब पढ़ाई , काम न करने देती हैं ।। अम्मा की वह अच्छी बातें, मुझको बहुत लुभाती हैं । प्यारी-प्यारी अम्मा मेरी.... नये न होते जूते चप्पल , नये न होते हैं कपड़े । पर अम्मा का प्यार नया यह , हमको रहता है जकड़े ।। छुट्टी से पहले ही अम्मा , थाल सजाये रहती हैं ।। प्यारी-प्यारी अम्मा मेरी .... कल अम्मा से हमने बोला , साथ सदा मुझको रखना । जीवन की सारी खुशियाँ , लाकर रख दूँगा अँगना ।। तो अम्मा मुस्का कर सिर पर , हाथ फेरने लगती हैं । प्यारी-प्यारी अम्मा मेरी .... थक जाता हूँ जब मैं पढ़कर , कहती अम्मा फिर खेलो । देखो इधर-उधर कुछ कोने , तुम समझ खिलौना ले लो ।। ऐसी मेरी प्यारी अम्मा, संग-संग जो रहती है । प्यारी प्यारी अम्मा मेरी .. प्यारी-प्यारी अम्मा मेरी , प्यार बहुत ही करती हैं । नये-नये कपड़े पहनाकर , राजा बाबू कहती हैं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बाल-गीत :- प्यारी-प्यारी अम्मा मेरी , प्यार बहुत ही करती हैं । नये-नये कपड़े पहनाकर , राजा बाबू कहती हैं ।। प्यारी-प्यारी अम्मा मेरी ...
बाल-गीत :- प्यारी-प्यारी अम्मा मेरी , प्यार बहुत ही करती हैं । नये-नये कपड़े पहनाकर , राजा बाबू कहती हैं ।। प्यारी-प्यारी अम्मा मेरी ... #कविता
read moreAJAY NAYAK
पुराने दिनों के विद्यालय उन दिनों की बात ही न कीजिए जब झोला उठाए, पहुंच गए विद्यालय जब झोला उठाए, पहुंच गए घर बस रास्ते होते थे अलग अलग बस बहाने होते थे अलग अलग जाते थे तो एक बड़े से गेट से निकलते थे अलग अलग रास्तों से कहीं दिवाल फान कर तो कहीं कटीले तारों के बीच से कभी खुद का पेट दुख रहा है के बहाने से कभी दोस्त का दुख रहा है के बहाने से हद तो तब कर देते थे जब पापा मम्मी बीमार ही हो जाते थे उससे भी ज्यादा हद तब करके निकल जाते थे जब अपनी नाना नानी दादा दादी को ही मार देते थे आधे दिन की छुट्टी के लिए मार भी मिलती थी मास्टर से बहुत जब मौका मिलता था मौका फिर से कोई बहाना तरकीब निकाल निकल लेते थे वो दिन बड़े सुहाने थे न बोझ था न तनाव था जितनी हरियाली खेतो में थी उतनी हरियाली हमारे मनो में थी एक दूसरे के घर वालों को हर रोज मारकर हम सभी दोस्त एक ही रिक्शा में सवार हो घर जाते थे –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #पुरानेदिनकेविद्यालय पुराने दिनों के विद्यालय उन दिनों की बात ही न कीजिए जब झोला उठाए, पहुंच गए विद्यालय जब झोला उठाए, पहुंच गए घर बस
#पुरानेदिनकेविद्यालय पुराने दिनों के विद्यालय उन दिनों की बात ही न कीजिए जब झोला उठाए, पहुंच गए विद्यालय जब झोला उठाए, पहुंच गए घर बस #कविता
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White गर्मियों की छुट्टी आई साथ में अपने खुशियां लाई नानी के घर जाएंगे रास्ते में कुल्फी खाएंगे गर्मियों की छुट्टी आई साथ में मौज मस्ती लाई सुबह देर तक सोते रहेंगे खेलते वक्त शीशे तोड़ा करेंगे गर्मियों की छुट्टी आई साथ में चिलचिलाती धूप लाई खूब देर तक खेला करेंगे ठंडी-ठंडी ठंडाई पिया करेंगे ©Shivkumar #summer_vacation #summervacation #Summer #Nojoto #गर्मियों की #छुट्टी आई साथ में अपने #खुशियां लाई नानी के घर जाएंगे #रास्ते में कुल
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