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Devesh Dixit
लाचारी (दोहे) नेता जेबें भर रहे, देखो अब दिन रैन। लाचारी से देखती, जनता है बेचैन।। लाचारी सबसे बड़ी, करती है मजबूर। वश में तब कुछ हो नहीं, ये कैसा दस्तूर।। आती है जब त्रासदी, होते सब लाचार। कहती है कुदरत तभी, ये ही है आधार।। विद्यालय अब श्रोत है, धन का ये आधार। चिंता है माँ बाप की, धन से हैं लाचार।। खतरनाक ये दौर है, नहीं बनो अनजान। लाचारी को छोड़ कर, वीर बनो इंसान।। पट्टी बाँधी आँख पर, अंधा है कानून। लाचारी अब न्याय की, झूठ माँगता खून।। ..................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #लाचारी #nojotohindi #nojotohindipoetry #दोहे लाचारी (दोहे) नेता जेबें भर रहे, देखो अब दिन रैन। लाचारी से देखती, जनता है बेचैन।। लाचारी स
#लाचारी #nojotohindi #nojotohindipoetry #दोहे लाचारी (दोहे) नेता जेबें भर रहे, देखो अब दिन रैन। लाचारी से देखती, जनता है बेचैन।। लाचारी स #Poetry #sandiprohila
read moreShilpa Yadav
White दो वर्ष के प्रेम में पड़ ,जो यूं जीवन करती अपना सर्वनाश हैं कुकर्म करें जो दुहिता जब , ये घटना सदैव बड़ी ही शर्मनाक है वो लड़कियां जो अपने माता पिता के प्रेम को तोड़े पल भर में नव नवीन चेहरे अधर की सस्मित के खातिर खेले कीचडतल में लज्जित कर कुनुबा को क्यूं करते विनय औ चरित्रहीन काम हैं जीवन में अंधियारा होगा जिनकी आंखों में सलिल नहीं शाम हैं ©Shilpa Yadav विद्यालय से लौटते समय बस में मिली एक महिला के संग बैठने पर उसकी व्यथा सुन मेरी लेखनी से एक आवाज उभरी है ।। #milan_night #daughtershame#mytho
विद्यालय से लौटते समय बस में मिली एक महिला के संग बैठने पर उसकी व्यथा सुन मेरी लेखनी से एक आवाज उभरी है ।। #milan_night #daughtershamemytho #MyThought #dayari #MyReview
read moreAnjali Singhal
"ज़िन्दगी परीक्षा पर परीक्षा लिए जा रही है, और हम बिना किसी सवाल जवाब के दिए जा रहे हैं। ज़िन्दगी की परीक्षा से अच्छी तो विद्यालय की ही परीक #Zindagi #Shayari #EXPLORE #AnjaliSinghal #ytshayari
read moreDevesh Dixit
महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये सुर ताल।। बीच वर्ग के हैं पिसे, देख हुए नाकाम। अब सोचें वह क्या करें, बढ़ा सकें कुछ काम।। फिर भी हैं कुछ घुट रहे, मिला न जिनको काम। महँगाई के दर्द में, जीना हुआ हराम।। चिंतित सब परिवार हैं, दें किसको अब दोष। महँगाई ऐसी बढ़ी, थमें नहीं अब रोष।। विद्यालय व्यवसाय हैं, दिखते हैं सब ओर। शुल्क मांँगते हैं बहुत, पाप करें ये घोर।। मुश्किल से शिक्षा मिले, कहते सभी सुजान। महँगाई की मार है, यही बड़ा व्यवधान।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #महँगाई_की_मार #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये
#महँगाई_की_मार #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये #Poetry #sandiprohila
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
रोला छन्द :- भीषण गर्मी :- कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी । पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।। हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छित । खबर यही हो फ्रंट , सभी के मन हो हर्षित ।। हम भी हैं इंसान , करें हम सब मजदूरी । लू की लगे लपेट , मगर हम पर मजबूरी ।। सोचो कुछ सरकार , मिला हमको भी जीवन । भीषण गर्मी आज , झुलस्ता अपना तन-मन ।। आज नही कुछ हाथ , बनाओ आप प्रयोजन । किया सभी ने घात , दिखाकर हमें प्रलोभन ।। रोको आज विकास , जिसे सुख सुविधा कहते । करो प्रकृति शृंगार, जहाँ जन-मन हैं रहते ।। कुछ तो हो सरकार , अमल अब इन बातों पे। आये सुख की भोर, मेघ गायें रातों पे ।। बदले जीवन चाल , झूम जाये जग सारा । चाहोगे जब आप , तभी चमकेगा तारा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR रोला छन्द :- भीषण गर्मी :- कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी । पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।। हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छ
रोला छन्द :- भीषण गर्मी :- कहती है सरकार , आज है भीषण गर्मी । पर भाषण में आज , नही है कोई नर्मी ।। हो विद्यालय बंद , हुए हैं बच्चे मूर्छ #कविता
read moreअदनासा-
विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C57flTHJfyG/?igsh=MXFhcjVxdHF4bjFzcw== #सच्चे #बच्चे #सामाजिक #संदेश व #Instagram #विद्यालय #कर्तव्य #मोटिवेशनल #जागरूकता #विद्यार्थी #अदनासा
read moreAJAY NAYAK
पुराने दिनों के विद्यालय उन दिनों की बात ही न कीजिए जब झोला उठाए, पहुंच गए विद्यालय जब झोला उठाए, पहुंच गए घर बस रास्ते होते थे अलग अलग बस बहाने होते थे अलग अलग जाते थे तो एक बड़े से गेट से निकलते थे अलग अलग रास्तों से कहीं दिवाल फान कर तो कहीं कटीले तारों के बीच से कभी खुद का पेट दुख रहा है के बहाने से कभी दोस्त का दुख रहा है के बहाने से हद तो तब कर देते थे जब पापा मम्मी बीमार ही हो जाते थे उससे भी ज्यादा हद तब करके निकल जाते थे जब अपनी नाना नानी दादा दादी को ही मार देते थे आधे दिन की छुट्टी के लिए मार भी मिलती थी मास्टर से बहुत जब मौका मिलता था मौका फिर से कोई बहाना तरकीब निकाल निकल लेते थे वो दिन बड़े सुहाने थे न बोझ था न तनाव था जितनी हरियाली खेतो में थी उतनी हरियाली हमारे मनो में थी एक दूसरे के घर वालों को हर रोज मारकर हम सभी दोस्त एक ही रिक्शा में सवार हो घर जाते थे –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #पुरानेदिनकेविद्यालय पुराने दिनों के विद्यालय उन दिनों की बात ही न कीजिए जब झोला उठाए, पहुंच गए विद्यालय जब झोला उठाए, पहुंच गए घर बस
#पुरानेदिनकेविद्यालय पुराने दिनों के विद्यालय उन दिनों की बात ही न कीजिए जब झोला उठाए, पहुंच गए विद्यालय जब झोला उठाए, पहुंच गए घर बस #कविता
read moreRavendra
बहराइच के भारत नेपाल सीमा पर आचार्य रमेश चंद्र गर्ल्स इंटर कालेज में वार्षिक उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया गया।पूर्व ब्लाक प्रमुख डाक्टर हरीश च #वीडियो
read moreRavendra
महा विद्यालय में सम्पन्न हुआ माइक्रोआर्ब्ज़वर्स का प्रशिक्षण बहराइच जनपद में लोकसभा सामान्य निर्वाचन-2024 के मतदान को सकुशल सम्पन्न कराये जा #वीडियो
read moreINDIA CORE NEWS