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Unconditiona L💓ve😉
सुनो प्रिय मेरे आँखों के दर्पण में तुम हो मेरी साँसो की धड़कन में तुम हो, हाँ तुम्ही मेरा प्रेम मेरा समर्पण हो दिल में हो..( ❤ ).तुम पूनम की चांदनी रात हो, सितारों की बारात हो, पूस की रात हो और कोई न आस पास हो। तेरे सिवा कोई न खाश हो, तुम ही हर पल आस पास हो। तेरे लबो पे दूजा न कोई नाम हो, मेरे नाम के आगे तुम्हारा ही नाम हो। तेरे आंखों मैं कोई और उम्मीद न हो, मेरे आंखों मैं तेरे सिवा कोई न तसवीर हो। पास भी हो तुम, दूर भी हो तुम, जीत भी तुम,हार भी तुम ही हो। मूकद्दर भी तू सिकंदर भी तू, उम्मीद भी तू हताश भी तू। हर पल में तू हर दिन में तू, हर शाम में तू हर रात में तू। मेरे लिए सपना भी तू मेरे लिए अपना भी तू, मेरे हर रूह मैं तूओर मेरे हर एक साँस मैं तू। #gkfirst विभिन्न राज्यो के मुख्य नृत्य Trick’s ► केरल के लोकनृत्य Trick: करेले कि कथा ( केरल = कथकली kathakali_kerala ) ► पंजाब के लोकनृत
Gufran Bahraichi
बज़्म ए गुलिस्तान ए सुखन ((वाॅट्सअप ग्रुप)) में कहे गए कलाम में से कुछ पसंदीदा अशआर आप सभी अहबाब को पेश ए ख़िदमत है उम्मीद करता हूँ आप स
Gufran Bahraichi
बज़्म ए गुलिस्तान ए सुखन ((वाॅट्सअप ग्रुप)) में कहे गए कलाम में से कुछ पसंदीदा अशआर आप सभी की समाअतों के ज़ेर ए नज़र पेश ए ख़िदमत है उम्मीद करता हूँ आप सबको सभी शोअरा हज़रात के अशआर पसंद आएंगे ((मिंजानिब गुरूप एडमिन गुफरान बहराईची)) अगर किसी को जुड़ना है तो बरा ए करम इस नम्बर पर मैसेज करें (9140420308) कोई खिड़की तो खुले पर्दा हटे तो पहले दिल के कमरे में तेरे सुबहे नमोदार,तो हो ((वसिक़ अंसारी बदायुनी साहब)) मुझकाे मन्ज़ूर है इस शौक़ में अन्धा हाेना चन्द पल के लिये लेकिन तिरा दीदार ताे हो ((चांद ककरालवी साहब)) कुछ तो अरबाबे सुखन में तिरा मेयार तो हो मीरो ग़ालिब की ज़ुबाँ में तेरी गुफ्तार तो हो ((फारूक़ मेहवर हरदोई साहब)) घर में दाख़िल न कभी होगी तशद्दुद की हवा जिसमें सूराख़ न हो कोई वो दीवार तो हो ((जमील सकलैनी साहब)) पारसा चारों तरफ़ मुझको नज़र आते हैं बज़्मे ज़ाहिद में कोई मुझसा गुनहगार तो हो ((शायर:- आलम फिरोज़ाबादी साहब)) ख़ार आ जायें हिमायत में अभी फूलों की बागबाँ तुझको गुलिस्ताँ से मगर प्यार तो हो ((शायरा:- अस्मा तारिक़ साहिबा (कुवैत))) जिसने पैगाम-ए-मुहब्बत ही दिया मर कर भी फिर से उन लोगों का इस देश में अवतार तो हो ((प्रीतम राठौर भिनगाई साहब)) लाख पत्थर का सही पर वो पिंघल सकता है उससे सुफ़यान कभी प्यार से गुफ़तार तो हो ((सुफियान बुटरानवी साहब)) सुर्खरू इतना किसी राेज़ मिरा प्यार ताे हो मेरी तसवीर कभी ज़ीनत ए अखबार ताे हो ((गुफरान बहराईची)) WhatsApp Group बज़्म ए गुलिस्तान ए सुखन ((वाॅट्सअप ग्रुप)) में कहे गए कलाम में से कुछ पसंदीदा अशआर आप सभी की समाअतों के ज़ेर ए नज़र पेश ए ख़िदमत है उम्मी