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Sangeeta Kalbhor
गोष्ट एका प्रेमाची प्रेमाने मी मांडते प्रेम जोवर लेखणीत लेखणी सुखावते साजरा होतो ऋतू मनामनात काजवा प्रेम भरल्या मनाचा सदैव कौल उजवा नटते धरा नटते अंबर नटते अवघी सृष्टी प्रेम मनात असणाऱ्याची प्रेमळ बनते दृष्टी चराचरात एकची नाद प्रेम पुरुन उरते हाकला कितीही आठवणींना प्रेम स्मरते विठ्ठू माऊलीच्या चरणी प्रेममळा रंगतो वारकरी घेऊनी वीणा जय जय हरीत रंगतो भूक कुठे नि कुठे तहान प्रेम प्रेमात असताना करावी लागत नाही खंत प्रेम शीतलता देताना नात्यांना येते कुंदन रुप बळकटी जाम देते संकट येता एकजूटीने संकटाला दूर नेते लेखणी होती न्हातीधुती साजशृंगार आगळा तो शब्द उमटता काळजावर प्रेमप्रेम सोहळा तो..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor गोष्ट एका प्रेमाची प्रेमाने मी मांडते प्रेम जोवर लेखणीत लेखणी सुखावते साजरा होतो ऋतू मनामनात काजवा प्रेम भरल्या मनाचा सदैव कौल उजवा नटते ध
Devesh Dixit
खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों ने तोड़ी कमर, बना हुआ नासूर। जीवन यह बद्तर लगे, कैसा यह दस्तूर।। दिन प्रतिदिन कीमत बढ़े, खर्चों का विस्तार। जिन्हें नौकरी है नहीं, माने दिल से हार।। खुद को भी पीड़ित करें, कुछ औरों को जान। लूट करें वे शान से, बनते हैं नादान।। खर्चों के वश में सभी, कुछ करते तकरार। जीवन में उलझन बढ़े, घटना के आसार।। यही विवश्ता तोड़ती, अपनों के संबंध। प्रेम भाव से दूर हैं, आती है दुर्गंध।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #खर्च #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों
Instagram id @kavi_neetesh
गीत लिखे हैं मैंने मन के गीत लिखे हैं मैंने मन के, भावों के सुंदर उपवन के। जहां खिले हैं पुष्प हजारों, महकते हैं वन चंदन के। गीत लिखे हैं मैंने मन के कलमकार वाणी साधक, शब्द सुरीले मोती चुनता। ओज बने हुंकार लेखनी, देशभक्ति के स्वर बुनता। शब्द शिल्प सृजन सारथी, दीप जलाता जन मन में। उजियारा आलोक भरें, घट-घट चंचल चितवन में। गीत लिखे हैं मैंने मन के स्नेह सुधा रस बहती धारा, मोती बरसते प्यार के। अधरों पर मुस्कान मधुर सी, वीणा की झंकार से। गीत गजल दोहा चौपाई, पावन छंदों की फुहार से। मुक्तक मंद मंद मुस्कुराया, मृदु लेखनी की धार से। गीत लिखे हैं मैंने मन के आडंबर से दूर रहा नित ,सत्य का मार्ग अपनाया। शील सादगी समर्पण, किर्तिमान परवान चढ़ाया। राष्ट्रप्रेम में डूबा मनमौजी, गीत रचता मैं वतन के। गाओ मेरे देश प्रेमियों, बोल सुरीले अपने मन के। गीत लिखे हैं मैंने मन के ©Instagram id @kavi_neetesh #Path गीत लिखे हैं मैंने मन के गीत लिखे हैं मैंने मन के, भावों के सुंदर उपवन के। जहां खिले हैं पुष्प हजारों, महकते हैं वन चंदन के। गीत लिख
Neelam Modanwal
कुछ छोटे सपनो के बदले कीमत कुछ छोटे सपनो के बदले, बड़ी नींद का सौदा करने, निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे! वही प्यास के अनगढ़ मोती, वही धूप की सुर्ख कहानी, वही आंख में घुटकर मरती, आंसू की खुद्दार जवानी, हर मोहरे की मूक विवशता,चौसर के खाने क्या जाने हार जीत तय करती है वे, आज कौन से घर ठहरेंगे निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे! कुछ पलकों में बंद चांदनी, कुछ होठों में कैद तराने, मंजिल के गुमनाम भरोसे, सपनो के लाचार बहाने, जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे, उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे ©Neelam Modanwal कुछ छोटे सपनो के बदले कुछ छोटे सपनो के बदले, बड़ी नींद का सौदा करने, निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे! वही प्यास के अनगढ़ मोत
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🔔।। सरस्वती वंदना ।।🔔। 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 हिमकिरणों सा हार हृदय पर, चन्द्रप्रभा सम मुख। स्वेतवस्त्र राजे सुन्दर तन पर, देती विद्या, धन, सुख।। चंदन राजे माँ के माथे पर, करती सुख, हरती दुःख। वीणा वादिनी माथे पर, धर हाथ, सदा दायनि सुख।। स्वेत कमल के आसन पर, आप विराजमान सनमुख। ब्रह्मा,विष्णु,महेश,आप पर, चवर डुले देव, हर दुःख।। ©Instagram id @kavi_neetesh 🔔।। सरस्वती वंदना ।।🔔। 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 हिमकिरणों सा हार हृदय पर, चन्द्रप्रभा सम मुख। स्वेतवस्त्र राजे सुन्दर तन पर,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- द्वार माँ के आ गया हूँ आज सुनकर वंदना । दीप मन में जल गये हैं मातु की कर साधना ।। ज्ञान की देवी तुम्हीं हो दिख रहा संसार में । शीश सबके झुक रहे है आज तो दरबार में ।। हो कृपा सब पर यहाँ सब कर रहें.हैं अर्चना । द्वार माँ के आ गया हूँ..... हाथ पुस्तक और वीणा मातु तू है धारती । ज्ञान देकर आप जन को माँ सदा ही तारती ।। दूर हो जाता तिमिर जब भक्त करता कामना । द्वार माँ के आ गया हूँ ... माघ तिथि की पंचमी को मातु जन्मोत्सव हुआ । है खुशी की ये लहर सब भक्त करते हैं दुआ ।। मातु छवि मन मे बसाकर कर रहे हम कल्पना । द्वार माँ के आ गया हूँ ...। द्वार माँ के आ गया हूँ आज सुनकर वंदना । दीप मन में जल गये हैं मातु की कर साधना ।। १४/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- द्वार माँ के आ गया हूँ आज सुनकर वंदना । दीप मन में जल गये हैं मातु की कर साधना ।।
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“या देवी सर्वभूतेषु शारदा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।“ बसंत पंचमी की घड़ी सुहानी आ रही है, सरस्वती रूप में मां भवानी आ रही है। भोलेनाथ शिव शंकर तुम भी आ जाना, कृपा करना, डमरू डम डम बजा जाना। बसंत पंचमी की घड़ी………. जब छुएगी मैया अपनी वीणा का तार, सारे जग में गूंजेगा, ज्ञान का झंकार। ज्ञान का भंडार कभी नहीं खाली होगा, भवानी से मिलकर कैलाश लौट जाना। बसंत पंचमी की घड़ी……….. ©Instagram id @kavi_neetesh #Sunhera भक्ति गीत : बसंत पंचमी में भोलेनाथ *ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय* “या देवी सर्वभूतेषु शारदा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्
Devesh Dixit
कठोर (दोहे) हिय कठोर अब ये कहे, मैं ही हूँ सरताज। होते सब भय - भीत हैं, करता ऐसा काज।। जो कहता वो मानते, कर न सके इंकार। रुतबा मेरा देख कर, झुकता ये संसार।। पल पल दहशत में कटे, रहे नहीं कुछ सूझ। वाणी कहूँ कठोर जब, थम जाती तब बूझ।। ऐसा ही वह सोचता, करने को हुड़दंग। संकट में भी डालता, बनकर रहे दबंग।। नहीं समझ उसको अभी, बनता वह नादान। थामे रहे कठोरता, ये उसका अभियान।। वाणी करे कठोर वह, मिले नहीं सम्मान। जीवन में संताप है, कहाँ उसे अब भान।। दुविधा में जब खुद पड़ा, तभी पीटता माथ। संगी साथी छोड़ते, बढ़े नहीं तब हाथ।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कठोर #दोहे #nojotohindi कठोर हिय कठोर अब ये कहे, मैं ही हूँ सरताज। होते सब भय - भीत हैं, करता ऐसा काज।। जो कहता वो मानते, कर न सके इंका
Chanchala Singh
Rajeshwari Ghume
शत्रूला ही गुरू माना, कारण ' आपण काय करायचं नाही ' हे तोच आपल्याला शिकवतो. - वीणा ©Rajeshwari Ghume #वीणा #Teacherday #शत्रु