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madandas singer

भक्तों का नाड़ा हनुमान जी #समाज

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राजेश गुप्ता'बादल'

आसां है जम्हूरियत में वक्त बेवक्त उनको गालियां देना, वो रियासतें चलाते हैं इनसे अपना नाड़ा भी नहीं संभलता।

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आसां है जम्हूरियत में वक्त बेवक्त उनको गालियां देना,
वो रियासतें चलाते हैं इनसे अपना नाड़ा भी नहीं संभलता। आसां है जम्हूरियत में वक्त बेवक्त उनको गालियां देना,
वो रियासतें चलाते हैं इनसे अपना नाड़ा भी नहीं संभलता।

Manoj Nigam Mastana

तुम 200 CC की Pulsar हो मैं HERO PUCH पे चढ़ता हूँ तुम हर्र हर्र हर्राती हो मैं पैदल नाक रगड़ता हूँ तुम ADIDAS का जीन्स-शर्ट मैं पैजामें वाल #कविता #हास्य #मनोज_मस्ताना #Pehlealfaaz

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#Pehlealfaaz तुम 200 CC की Pulsar हो
मैं HERO PUCH पे चढ़ता हूँ
तुम हर्र हर्र हर्राती हो
मैं पैदल नाक रगड़ता हूँ
तुम ADIDAS का जीन्स-शर्ट
मैं पैजामें वाला नाड़ा हूँ
तुम महंगी GYM की FITNES हो
मैं तो खुला अखाड़ा हूँ तुम 200 CC की Pulsar हो
मैं HERO PUCH पे चढ़ता हूँ
तुम हर्र हर्र हर्राती हो
मैं पैदल नाक रगड़ता हूँ
तुम ADIDAS का जीन्स-शर्ट
मैं पैजामें वाल

Sumeer Bhati

मन कृष्ण पुकार बैठा है। आँखें खोलो दुशासन दरबार सजाये बैठा है। पतलून का नाड़ा खोल ने को मर्दानगी समक्षे बैठा है। समाज नग्नता का चोला पहने ब #Indian #Shayari #justice

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मन कृष्ण पुकार बैठा है।
आँखें खोलो दुशासन दरबार सजाये बैठा है।

पतलून का नाड़ा खोल ने को मर्दानगी समक्षे बैठा है।
समाज नग्नता का चोला पहने बैठा है।

घर , माँ , बहन सब भूला बैठा है।
 बाजारों में नारी की आबरू को तोले बैठा है।

दग्ध हो मन मुझ से बोल बैठा है। प्रेम कहाँ है? 
भूख बन जिस्म हर हृदय में घर कर बैठा है।
©सुमीर भाटी मन कृष्ण पुकार बैठा है।
आँखें खोलो दुशासन दरबार सजाये बैठा है।

पतलून का नाड़ा खोल ने को मर्दानगी समक्षे बैठा है।
समाज नग्नता का चोला पहने ब

RKant

एक कविता जवानों के लिए। *घर का बैरी!* पल रहे है सांप भीतर, आस्तीन उठाकर देखो तुम। होगा न शहीद जवान एक भी, तलवार उठाकर देखो तुम। #IndianArmy #Dard_Bewajah

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घर का बैरी!

©RKant एक कविता जवानों के लिए।

*घर का बैरी!*

पल रहे है सांप भीतर,
आस्तीन उठाकर देखो तुम।
होगा न शहीद जवान एक भी,
तलवार उठाकर देखो तुम।

अधुरी कहानी (T.S Eli@t)

मैं रावण हूँ दस सिरों वाला वो रावण था, दस सिरों वाला, भला कहां छिपता कुकर्मो को कर के, नदी, तलाब, आकाश, पताल, चांद,किवाड़, दस सिर लिए भल #कहानी

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मैं रावण हूँ, दस सिरों वाला मैं रावण हूँ दस सिरों वाला

वो रावण था, दस सिरों वाला, 
भला कहां छिपता कुकर्मो को कर के, 
नदी, तलाब, आकाश, पताल, चांद,किवाड़, 
दस सिर लिए भल

Samar Shem

kabir singh movie meri najro m बहुत बहस हो चुकी है कबीर सिंह पर। मुझे बहस नहीं करनी है। साबित करने वालों ने उसे बुरा भी साबित कर दिया और ब #samar_shem

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kabir sinhg movie 
meri najaro m

बहुत बहस हो चुकी है कबीर सिंह पर। मुझे बहस नहीं करनी है। साबित करने वालों ने उसे बुरा भी साबित कर दिया और बहुत अच्छा भी। मुझे बात करनी है लड़कों की। 
फिल्म देखकर निकले हुए मुश्किल से 2 घंटे हुए थे। भिवाड़ी से  घर  जाने के लिए ई रिक्शा का इंतजार था। ई रिक्शा आया उसमें आमने सामने लड़का-लड़की बैठे थे। मैं ई रिक्शा में बैठने लगा। झट से लड़का उठा और लड़की की तरफ बैठ गया। मैं भी उधर ही बैठ रहा था, क्योंकि ड्राइवर के जस्ट पीछे वाली सीट के मुकाबले सबसे पीछे वाली सीट आरामदायक होती है। लड़का लड़की को सिक्योर करते हुए मुझसे बोला कि उधर बैठ जाओ। 

ये लड़का कबीर सिंह नहीं था, क्योंकि कबीर तो गुस्से पर कंट्रोल नहीं कर सकता था। हां अगर मैंने उस लड़की को छू भी दिया होता तो यकीनन वो कबीर सिंह बन जाता। अगर इस बात पर यकीन ना हो तो किसी लड़के के सामने छूकर देख लेना। जबरन रंग लगाने पर कबीर सिंह ने भी वही किया जो गुस्से में एक इंसान कर पाता है। 

मैंने लड़कों को देखा है, अपनी प्रेमिकाओं की फिक्र करते हुए। भीड़ से बचाते हुए  मेट्रो में, लिफ्ट में। बस में। उसे अपने आगे ऐसे खड़ा करते हैं ताकि कोई और उसको टच ना कर पाए। पता है क्यों खड़े होते हैं। क्योंकि वो लड़का है। उसे पता है लड़के लड़की को देखकर क्या सोचते हैं। उसे पता है लड़के कहां टच करना चाहते हैं। उसे पता है लड़की के साथ वो क्या चाहते हैं। कबीर सिंह भी जानता है ये बात। तभी तो दुपट्टा संभालने को कह देता है, ताकि कोई उसकी छाती का नाप दूर से ही ना ले सके। अब ये सवाल मत करना कि लड़की ही क्यों छाती छिपाए। लड़के क्यों नहीं। ये सवाल ऐसे लगते हैं ज़मीन ही नीचे क्यों रहे आसमां क्यों नहीं। औरत वो ज़मीन है, जिसने हर भार अपने ऊपर उठाया है, मर्द का भी। उससे ताकतवर कोई नहीं। बस उस ताकत को ही पहचानना है। 

कबीर सिंह औरत की ताकत को जानता है। तभी तो वो उस दर्द को जानता है, जिसपर कोई समाज खुलकर बात भी नहीं करता। पीरियड्स का दर्द। वो बताता है कैसे प्रेमिका को गोद में बैठाकर पुचकारना है। ये दर्द मेरे आसपास के लड़के नहीं जानते। उन्हें प्यार के नाम पर सिर्फ सेक्स करना आता है। लड़की का बैग कंधे से उतारना नहीं आता। कबीर आंसू पोंछता है, बैग संभालता है। ये प्यार है। मैंने तो ये देखा है कि मर्द लड़की का बैग पकड़ना शर्म का काम समझते हैं। कबीर लड़की को सिखाता है कि वो अपने परिवार से अपनी चॉइस की बात करे। वो अपने परिवार को प्यार और ज़िंदगी का फलसफा समझाता है। तभी तो कहता है कि पैदा होना, प्यार करना और मर जाना। 10 पर्सेंट ज़िंदगी यही है, बाकी तो 90 पर्सेंट रिएक्शन है।

दुनिया रिएक्शन है। कबीर प्रेमी है। वो प्रेमी जो दूरी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा। इसलिए कबीर नशा ले रहा है। नहीं तो प्यार में कोई मर जाता है। कोई भाग जाता है। कोई भूखा रहकर मर जाना चाहता है। कोई लड़की को नुकसान पहुंचाता है। ये सुकून वाला था इतने गुस्से वाला कबीर जानता है कि प्यार क्या होता है। तभी तो वो लड़की के घर वालों को प्यार के मायने समझा रहा है। वो लड़की को चोट नहीं पहुंचाता। वो उसके घर वालों को नहीं पीटता। बल्कि लड़की के भाई के गाल को चूमकर किस के मायने समझा देता है। कबीर प्यार में है तभी तो कहता है कि ये उसकी बंदी है। बिल्कुल वैसा ही लगा जैसे कह रहा हो, खबरदार अगर मेरी बहन की तरफ आंख उठाकर देखी तो..। ये मेरी मां है। ये मेरी दादी है। ये मेरे पापा हैं। ये मेरा भाई है...। हां ये मेरी बंदी है कहना इसलिए अजीब लगता है कि अभी लड़की ये नहीं कहना सीख पाई है कि ये मेरा बंदा है। जैसे एक औरत दूसरी औरत से लड़ जाती है कि ये मेरा पति है। दूर रहना। डोरेे डाले तो आंखें नोच लूंगी। 

प्यार पैमाना साथ लेकर नहीं किया जा सकता कि पहले माप लें कि कहीं अधिकारों का तो उल्लंघन नहीं हो रहा है। चाकू उठाकर कपड़े उतरवाने वाला कबीर देखते हैं तो हमें रेप की कोशिश लगती है। मैंने लड़कों से सुना है कैसे उन्होंने लड़की की सलवार का नाड़ा तोड़ दिया। वो पकड़ती और रोकती रह गई। लेकिन उसके बाद लड़की विरोध नहीं करती। बस ये कहती रही, अभी जाओ कोई देख लेगा। फिर कभी करेंगे ये। लेकिन फिर भी दोनों छिप छिपकर करने वाले प्यार का सुख भोग लेते हैं। शायद राइटर ने भी लड़कों से ये बातें सुनी होंगी। तभी उसने जबरन वाला सीन लिख दिया। सिनेमा में समाज का सच दिखाने की हिम्मत होनी चाहिए, ताकि सही गलत की बहस शुरू हो सके। और वो इस सीन पर हुई भी। ये फिल्म की कामयाबी है। 

शादी का झांसा देकर रेप करने की खबरों से अखबार भरे रहते हैं। अगर कबीर जबरन रेप करने वाला होता तो हीरोइन के साथ में उस वक़्त सेक्स करने से रुक नहीं जाता, जब हीरोइन कहती है- आई लव यू कबीर। ये सुनकर क्यों रुका कबीर। वो तो चाकू की नोंक पर कपड़े उतरवा रहा था। फिर उसे क्यों लगा कि ये हीरोइन के साथ धोखा होगा। जो कह रहे हैं कि कबीर सिंह देखकर समाज पर बुरा असर पड़ेगा तो मैं तो चाहता हूं वो कम से कम कबीर ही बन जाएं। जो लड़की को पहले ही बता दें कि उसे फिजिकल सपोर्ट चाहिए। और ये सपोर्ट लेने के लिए लड़की की हां का इंतजार करे। जब लड़की उसे आई लव यू बोले तो सेक्स तभी करें जब वो भी उससे प्यार करते हो। नहीं तो कबीर की तरह ये सोचकर रुक जाएं कि उसके साथ धोखा है। अगर ऐसा हो तो शादी का झांसा देकर रेप की खबरों से अखबार नहीं भरेंगे। मुझे कबीर में वो कई लड़के नज़र आए, जो लड़की को देखकर सिर्फ अपने ज़हन में उसके साथ सेक्स करने की हसरत पालते हैं। जो किसी लड़की को अपनी बपौती समझते हैं। जो तथाकथित प्रेमी सनकी हो जाते हैं। इन्हीं वजहों से हमें कबीर का फेमिनिज्म, कबीर का प्रेम, कबीर का ज़िंदगी जीने का नज़रिया नज़र नहीं आता। इसलिए हम कबीर को अपने पैमाने से मापकर आदर्श देखना चाहते थे, कबीर ने हमारे ज़हन के दरीचे खोले। लोगों ने उसपर बहस की, इस फिल्म से और क्या चाहिए समाज को। ये ही तो दर्पण है। 
हां बस कोई लड़की प्रीति ना बने, जो हर मौके पर चुप रह जाए। लड़का टच करे तो पलटकर जवाब न दे। परिवार वाले अपनी मर्ज़ी थोपें तो ये ने बता सके कि उसका फैसला क्या है। लड़के ज़बरदस्ती करें तो पुलिस स्टेशन तक ना जा सके!

samar shem। kabir singh movie 
meri najro m

बहुत बहस हो चुकी है कबीर सिंह पर। मुझे बहस नहीं करनी है। साबित करने वालों ने उसे बुरा भी साबित कर दिया और ब
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