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Ameesa(VARSHA )
सफर लम्बा हो चाहे ,दर्द का कैहर हो आगे । ऐ खुदा तेरी खुदाई के आगे । एक सुहागन अपने सुहाग की लम्बी उम्र मागे । सुहागन
Parasram Arora
ललाट पर एक अदद बिंदिया की गोलाई उसके सुहाग्न होने काप्रमाणपत्र है तभी तो सुबह नींद से उठने क़े तुरंत बाद मुँह धोने से पहले वो अपनी बिंदिया को आईने मे देखकर उसकी उपस्तिथि का जायज़ा ले लेती है... अगर वो अपनी जगह से हिल कर आडी तिरछी हो गई है तो एक संतुलित मुस्कान क़े साथ वो उसे लालाट क़े उचित स्थान पर टिका देती है इस तरह एक सुहागिन की हर नई सुबह बिंदिया को सही दिशा मे टिकाने क़े बाद प्रारम्भ होती है ©Parasram Arora सुहागन ......
Arpna Bharti
22'Mar,2020 तक, मैं अपने आपको बहुत खुशकिस्मत समझती थी। दादा दादी का हाथ, अपने सिर पर महसूस करती थी। सबकुछ था सही सही, फिर आयी वो मनहूस घड़ी। चले गए दादा हम सबका साथ छोड़कर, छोड़ गए दादी को अपने सारे ज़िमेदारी सौंप कर। अब सारा भार था दादी के ऊपर, पुरे परिवार का अस था उनपर। अब आया था 4'Oct,2021 का दिन, सोचा नहीं था कि इतनी जल्दी आएगा ये दिन, सोचा नहीं था इतनी जल्दी चले जाएगी दादी भी। अब मैं भी थी वो अभागी, अब मैं भी हूँ बिना दादा दादी की पोती। मैं अभागन😞
words_of_heart_pa
मोहब्बत का महल फिर कहाँ दुबारा बना ,, वो सुहागन बनी , में आवारा बना ,, ©words_of_heart_pa #SunSet मोहब्बत का महल फिर कहाँ दुबारा बना ,, वो सुहागन बनी , में आवारा बना ,,
sunita kumari
मोहब्बत का महल फिर कहां दोबारा बना, तुम सुहागन बनी, मैं आवारा बना..!😔😔 ©sunita kumari #retro मोहब्बत का महल फिर कहां दोबारा बना, तुम सुहागन बनी, मैं आवारा बना..!😔😔
Arora PR
उद्यान तो एक ही हैं लेकिन उसकी तीन... झाड़ियों पर अलग अळग उत्पादन हैं पहली झाड़ी पर केवल कांटे उगे हैं. लेकिन गुलाब नहीं ऊगा हैं ..... दूसरी झाडी पर सिर्फ गुलाब उगे हैं.. और काँटों की उपस्तिथि नहीं है इन दोनों झाड़ियों के कांटे और गुलाब वैधव्य का दुख भोग रहे है क्योकि दोनों एक दूसरे के अभाव मे उग आये है. केकिन वहा एक इसरी झाडी भी है जिस पर गुलाब और कांटे दोनों साथ साथ उगे है ळगता है इस झाड़ी के गुलान और कांटे दोनों जैसे अमर सुहाग और सुहागन का सुख भोग रहे है ©Arora PR वैधव्य vs सुहागन
Deepanjali Patel (DAMS)
बन गयी मैं बिन फ़ेरे सुहागन 💛 तेरे नाम की, थोड़ 🙅 दी हैं मैने, हर रश्मे-कसमें इस झूठे समाज 🌍 की माना औरों कि तरह, मांग में सिन्दूर, गले में मंगलसूत्र नहीं मेरे.... हैं रुक्मनी भी तो कृष्ण की 👑 अर्धांगिनी.... पर संसार लगाता आज भी राधे-कृष्ण के नाम के जयकारे ही.....!!! बोलो राधे राधे 🙏 #thirtytwoquote #सुहागन #राधेकृष्ण #माधवगोविंद
Anup kumar Gopal
कई जन्मों से राधा सुहागन है तुम्हारी, मिलते रहना ब्रज की ग्वालन है तुम्हारी । कभी यमुना किनारे रास रचाते थे, नंद का मिसरी माखन है तुम्हारी । बाल सखा संग गईया चराते थे, कान्हा आज भी गोधन है तुम्हारी । ©Anup kumar Gopal सुहागन है तुम्हारी #Morning