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ADITYA
Dinesh Bhangarh
Vikrant Rajliwal
2 Years of Nojoto अभी पाठन कीजिए मेरे नवीनतम ब्लॉग का और जानिए मेरी आगामी कृति से सम्बंधित कुछ रोमाचक जानकारियां आपकी अपनी साइट vikrantrajliwal.com पर। एक अत्यंत ही दर्दभरा नाटक एक रोमांचक कहानी। (आगामी कृति) नमस्कार है मेरे सभी प्रिय पाठकों एव मित्रजनों, जैसा की मैंने आपको पहले भी सूचित किया है परंतु मुझ को ऐसा आभास हो रहा है कि वह समय भी आ गया जब मुझ को एक बार पुनः आप सब को सूचित करना पड़ेगा कि मेने वर्ष 2016 के शुरुआती दौर में एक अत्यंत ही दर्द से भरी, रोमांचक एव जीवन के हर रंग को प्रस्तुत करती एक कहानी एक नाटक पर कार्य करना प्रारम्भ कर दिया था एव लगातार कार्य करते हुए कुछ ही महीनों में मैने अपनी उस प्रथम कहानी उस नाटक को लगभग 85 % पूरा कर दिया था। परंतु उसी समय मुझ को मास्टर ऑफ मास कोमनिकेशन एव डिप्लोमा की पढ़ाई करनी पड़ी। … [ 356 more words ] http://vikrantrajliwal.com/2019/08/17/ अभी पाठन कीजिए मेरे नवीनतम ब्लॉग का और जानिए मेरी आगामी कृति से सम्बंधित कुछ रोमाचक जानकारियां आपकी अपनी साइट vikrantrajliwal.com पर। एक अत
Vandana
🥰😂🤣🤗 अजब कशमकश है इस दुनिया में हर चीज मिल जाती है आसानी से बस मिलता नहीं प्रेम और विश्वास टूट जाता है आसानी से बस बनाने में बरसो गुजर जाते हैं
Divyanshu Pathak
नव निर्माण और उन्नति का माध्यम ( कोराकाग़ज़ ) ---- स्वामी दयानंद सरस्वती विरजानन्द जी के आश्रम में पहुंचे और उनसे अपना शिष्य बनाने की विनती की तब विरजानन्द जी ने उनसे पूछा कि बेटा तुम क्या जानते हो आज तक कुछ पढा है क्या? तब स्वामी जी ने कहा कि मैंने बहुत सी पुस्तकों को पढ़ा है। यह सुनकर विरजानन्द जी बोले, ठीक है किताबें पढ़ीं हैं तो पर मैं तुम्हें अपना शिष्य नहीं बना सकता इसलिए तुम जा सकते हो। जब स्वामी दयानंद जी ने ये बात सुनी तो उनकी आँखों से आँसू निकलने लगे वे विनीत भाव में बोले गुरुजी मैं क्या करूँ जो आप का शिष्य हो सकूँ।तब विरजानन्द जी ने कहा कि अब तक जो कुछ भी तुमने अपने मन के काग़ज़ पे अंकित किया है उसे मिटा दे और इन किताबों की गठरी को यमुना जी में बहा दे तब मैं तुम्हें अपना शिष्य बनाऊँगा, तेरे मन में कुछ लिख पाऊँगा। कुछ स्पष्ट सुंदर और स्थाई लिखने के लिए "कोराकाग़ज़" होना बहुत जरूरी है। ( कैप्शन देखें ) कोराकाग़ज़ मानव जीवन से जुड़ा हुआ एक ऐसा उपागम है,जो कालक्रम की हर एक गतिविधि का साक्षी बनता है। श्रष्टि के आरंभ में श्रुतियों का लिपिबद्ध होकर
Shravan Goud
मेरा पहला प्यार आज भी अच्छा लगता है पर तड़पाता नही है। मैंने अपने प्यार को हमेशा स्वछंदता दी है। उन्हें भी बहुत अच्छा लगता है। एक दुसरे की सलामती के लिए हम दुआ करते हैं। रचना का सार को जन्मदिन की शुभकामनाएं। 📮रचना का सार..📖 जन्मदिन विशिष्ट प्रतियोगिता :- 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫 #rks2yearspecial 🌄रचना का सार..📖 को आज दो वर्ष
Divyanshu Pathak
आशिक़ी। धीमी धीमी, आँच पर सिककर। जायकेदार बन जाती है। ये दिल-ओ-ज़ुबान पर चढ़कर के, ज़िन्दगी का स्वाद बनकर रहजाती है। हमेशा के लिए दायमी कैफ़ियत बन कर, रूह का हिस्सा मन की ताक़त ये इश्क़। #येरंगचाहतोंके साथ आज हम बात करते है इश्क़ की । ये इश्क़ बड़ा बेदर्दी है रात दिन सताए। बेदर्दी के साथ निगोड़ा भी और तो और कमीना भी है। अनुभवियों
Vedantika
लिखे हैं ज़ज्बात दिल के किसी कोरे पन्ने पर। तुम्हारे साथ उतर आए आँखों के मुहाने पर। दो साल की दोस्ती में हर सुख-दुख बांटा हैं, ज़िंदगी है बेसब्र तुमसे अपनी कथा सुनाने पर। रचना में छुपा हुआ सार जरा पहचान लो तुम, दुनिया न समझ पाएगी लफ़्ज़ों मे बताने पर। 📮रचना का सार..📖 जन्मदिन विशिष्ट प्रतियोगिता :- 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫 #rks2yearspecial 🌄रचना का सार..📖 को आज दो वर्ष
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घूँघट की आड़ (लघुकथा) कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें पहली रचना👉 घूँघट की आड़ (लघुकथा) ******************** इसमें कुछ भी काल्पनिक नहीं है ये सब हकीकत है और हमारी मम्मी के जज़्बात है जिनको हमने श